ये मां-बेटे हैं समाज के लिए मिसाल, दोनों ने एक साथ दी मैट्रिक की परीक्षा

जब चाहत हो कुछ कर गुजरने की तो क्या कुछ नहीं हो सकता. एक मां ने 36 साल की उम्र में दुबारा पढ़ाई शुरू की और अब वो अपने बेटे के साथ मैट्रिक की परीक्षा दे रही हैं. उन्होंने ऐसा करके मिसाल कायम किया है.

Jyosna padhi
मोहम्मद सूफ़ियान
  • भुवनेश्वर,
  • 30 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 3:20 PM IST
  • घर की दिक्कतों की वजह से छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई
  • शादी के 15 साल के बाद पढ़ने का मिला मौका

कहते हैं कि पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती. पूरे जिंदगी लोग सीखते और पढ़ते रहते हैं. कई बार समाज में हमें कुछ ऐसे उदाहरण देखने को मिल जाते हैं जिसकी मिसाल दी जा सके. कुछ इसी तरह का मिसाल पेश किया है ज्योसना ने. जब वह मैट्रिक परीक्षा देने सेंटर पर अपने बेटे के साथ आईं तो लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया. ओडिशा के कोरापुट जिले में लोगों की जुबान पर है कि जज्बा हो तो ऐसा. यह प्रेरणा से भरी बात है कि एक 36 वर्षीय मां अपने बेटे के साथ परीक्षा देंगी. ज्योसना को अपनी पढ़ाई घर की दिक्कतों की वजह से बीच में ही छोड़ना पड़ा था लेकिन उन्होंने पढ़ने का सपना देखना नहीं छोड़ा. जैसे ही मौका मिला तो वह समाज के लिए एक मिसाल बन गईं.

नौंवी क्लास में ही छोड़ दी थी पढ़ाई

ओड़िसा के कोरापुट जिले के पूजरीपुट गांव की 36 वर्षीय ज्योसना पाधी जब नौवीं क्लास में थी तभी फैमली प्रॉब्लम्स की वजह से न चाहते हुए भी उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी. घरवालों ने जबरदस्ती ज्योसना को स्कूल जाने से रोक दिया था. 2006 में ज्योसना की शादी हुई. शादी के बाद जिमीदरियां बढ़ने से वो अपनी पढ़ाई को जारी नहीं रख सकीं. वह घर के कामों में उलझ कर के रह गईं. उनको कभी यह ख्याल भी नहीं आया कि वह आगे पढ़ पाएंगी और मैट्रिक पूरा कर पाएंगी. लेकिन कोरोना काल की वजह से शुरू हुए ऑनलाइन पढ़ाई ने ज्योसना को एक राह दिखाई. ज्योसना अपने बेटे के बगल में बैठकर सीखने लगीं पढ़ने लगीं. और फिर एक दिन ज्योसना ने डिसाइड किया कि वह मैट्रिक की परीक्षा देंगी. 

बेटे के साथ शुरू की एग्जाम की तैयारी

ज्योसना कहती हैं कि शादी के 15 साल के बाद उन्हें यह मौका मिला. वह बहुत खुश हैं. अपने पति के बारे में बोलती हुए ज्योसना कहती हैं कि इस पूरी यात्रा में मेरे पति मेरे साथ रहे हैं वह बहुत सपोर्टिव हैं. ज्योसना आगे कहती हैं कि जब मेरा बेटा ऑनलाइन क्लास करने के लिए मेरा फोन लेता था तो मैं भी उसके बगल में बैठ जाया करती थी. ताकि वह किसी भी क्लास को मिस न करे. वह नहीं चाहती कि उनकी तरह उनका बेटा भी बने. वह चाहती हैं कि वह जो हासिल नहीं कर पाई वह उनका बेटा हासिल करे. वह अपने बेटे को उच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए देखना चाहती हैं. वह कहती हैं कि बेटे के बगल में बैठते बैठते उनकेअंदर इसी दौरान भी पढ़ाई करने की इच्छा जागी. 

घरवालों ने किया काफी सपोर्ट

ज्योसना को शुरुआत में काफी दिक्कत हुई क्योंकि घर के कामों को भी करना होता था और अपनी पढ़ाई भी पूरी करनी होती थी. लेकिन बाद में ज्योसना के परिवारवालों ने काफी मदद की. ज्योसना के हसबैंड त्रिनाथ कहते हैं कि वह अपनी पत्नी की इच्छा को देखकर उनका कॉरेस्पोंडेंस कोर्स के लिए एडमिशन करवा दिया. वह इस बात से काफी खुश हैं कि उनकी पत्नी और उनका बेटा एक साथ परीक्षा देगा. वहीं उनके बेटे आलोकनाथ ने इंडिया टुडे से बातचीत करते हुए कहा कि मैंने और मां ने बोर्ड एग्जाम के लिए एक साथ ही तैयरी की है. मुझे इस बात का गर्व है कि मैं और मां एक साथ मैट्रिक की परीक्षा देंगे.

 

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