मध्य प्रदेश के बैतूल के एक कलेक्टर अपनी संवेदनशीलता के कारण चर्चा का विषय बने हुए हैं. उन्होंने जिले की दो गरीब बच्चियों के लिए कुछ ऐसा किया कि हर कोई उनकी तारीफ करते नहीं थक रहा.
दरअसल बैतूल के शाहपुर में स्थित प्राइवेट स्कूल गुड शेपर्ड में पलक ठाकुर और परी ठाकुर सातवीं और आठवीं कक्षा में पढ़ती थीं. परी और पलक इस स्कूल को छोड़कर दूसरे स्कूल में पढ़ना चाह रही थीं और उनका वहां एडमिशन भी हो गया. जब यह दोनों बच्चियां प्राइवेट स्कूल में टीसी लेने गईं तो उन्हें टीसी देने से मना कर दिया गया. उनसे कहा गया कि उनकी 70,000 फीस बाकी है है इसलिए उन्हें टीसी नहीं दिया जा सकता.
अपनी समस्या लेकर कलेक्टर के पास पहुंची थीं
प्राइवेट स्कूल की इस तरह की मनमानी आपने अक्सर सुनी और देखी होगी. दोनों बच्चियां टीसी के लिए बार-बार स्कूल के चक्कर काटने से परेशान हो गईं. आखिरकार बच्चियों ने जनसुनवाई में पहुंच कर कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी को अपनी समस्या बताई. बच्चियों की समस्या सुनकर कलेक्टर ने तत्काल ही आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त शिल्पा जैन के साथ इन बच्चियों को 38 किमी दूर शाहपुर अपनी कार से भेजा. शिल्पा जैन ने स्कूल प्रबंधन से बात की और दोनों बच्चियों की टीसी दिलवाई.
माफ करवाई 70 हजार फीस
कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी की इस संवेदनशीलता से बच्चियां और उनके परिजन खुश हो गए. बच्चियों ने कलेक्टर को इसके लिए धन्यवाद कहा है. बताया जा रहा है कि बच्चियां आर्थिक रूप से कमजोर परिार से आती हैं और उनका परिवार ये फीस देने में सक्षम नहीं था, परिवार पैसों का इंतजाम करने में लगा ही था कि कलेक्टर साहब ने उनकी समस्या हम कर दी.
मामले को लेकर कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने बताया कि जनसुनवाई में दो बच्चियां आई थीं. ये दोनों बच्चियां शाहपुर के गुड शेपर्ड स्कूल में पढ़ती थीं. अब वे दोनों दोनों दूसरे स्कूल में पढ़ना चाहती हैं, फीस बाकी होने के कारण स्कूल प्रबंधन टीसी नहीं दे रहा था जिसको लेकर मैंने अपनी कार से दोनों बच्चियों को शाहपुर भेजा और टीसी दिलवाने में मदद की.
-राजेश भाटिया की रिपोर्ट