पेड़-पौधे की कमी से मुंबई में ऑक्सीजन की कमी हो रही है. बढ़ता प्रदूषण सेहत खराब कर रहा है. इन सब से बचने के लिए मुंबई के कामा सरकारी अस्पताल की तरफ से की गई पहल की जमकर तारीफ हो रही है. अस्पताल में तीन मिनी शहरी जंगल बनाया गया है. मियावाकी तकनीक से बना ये शहरी जंगल मरीजों और उनके परिजन के लिये किसी रामबाण से कम नहीं है.
मरीजों को मिल रही शुद्ध हवा
मुंबई का कामा अस्पताल महिलाओं और बच्चों के बेहतर इलाज के लिए जाना जाता है लेकिन अब ये सरकारी अस्पताल शहरी जंगल के नाम से भी जाना जाता है. गर्मी और प्रदूषण के कारण बढ़ रहे बीमारियों से अपने मरीजों को बचाने के लिये अस्पताल की तरफ से पिछले तीन सालों में अब तक 11 हजार पेड़ पौधे लगाए जा चुके हैं, इसके बाद मरीज और उनके परिजन भी खुल कर सांसे ले रहे हैं. दरअसल पहले यहां एक छोटा सा बगीचा था और उसमें नाम मात्र पेड़ थे. साथ उसके नीचे सीमेंट कंक्रीट की एक परत भी थी. मौजूदा हालत को देखते हुए अस्पताल परिसर में शहरी जंगल बनाने का निर्णय लिया गया. कामा अस्पताल के अधीक्षक डॉ. तुषार पालवे के अनुसार इस खुले बगीचे में मियावाकी पद्धति से मिनी शहरी जंगल बनाने की कोशिश की गई है.
लगाए गए हैं आयुर्वेदिक गुण वाले पौधे
डॉ तुषार पालवे ने बताया कि लगाए गए 11 हजार पेड़ों में अडुलसा, आंवला, दालचीनी, गोंद, बादाम, फनास, कडीपत्ता, आम, कोकम, नागचाफा, करवंद, पिंपल, सोनचाफा, सुपारी, तेजपत्ता, वड, रीठा, पारिजात जैसी 46 प्रजातियों के देसी और आयुर्वेदिक गुणवाले 2500 पौधे शामिल हैं. इस शहरी वन का उद्देश्य कम जगह में अधिक पेड़ लगाना और ऑक्सीजन पैदा करना है. इस अस्पताल के मियावाकी जंगल से मरीज और उनके परिजनों को जहां शुद्ध हवा मिल रही है तो वहीं इस गर्मी में अस्पताल में आए लोगों को छांव भी मिल रही है. लोग बड़े आराम से पेड़ की छांव में सो रहे हैं.
(धर्मेंद्र दुबे की रिपोर्ट)