Kendrapara की शम्सुन बीबी, जो बिना मेहनताने श्मशान घाट की देखरेख कर बनीं धार्मिक एकता का प्रतीक

ओडिशा के छोटे से नगर की एक मुस्लिम महिला एकता का प्रतीक बनी हुई है. ये महिला एक एकड़ में फैले श्मशान घाट में साफ-सफाई और वहां की देखरेख का काम करती हैं. श्मशुन ने वहां पर पेड़-पौधे भी लगाए हैं.

Samsun Bibi
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 10:48 PM IST

ओडिशा के केंद्रपाड़ा की रहने वाली शम्सुन बीबी ने एक स्थानीय श्मशान घाट की देखरेख के लिए अपना जीवन समर्पित कर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम की है.राणापद की रहने वाली 45 वर्षीय शम्सुन 2012 से अपने घर के करीब मौजूद श्मशान घाट की देखरेख कर रही हैं.उनके इस काम की खास बात यह है कि इसके लिए उन्हें किसी तरह का मेहनताना नहीं मिलता.
   
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार,शम्सुन करीब एक एकड़ में फैले श्मशान घाट में साफ-सफाई करने के अलावा वहां कई पेड़ भी लगा चुकी हैं. हाल ही में राणापद शमशान घाट में अपने पिता का अंतिम संस्कार करने वाले खड़ियंगा के सरत बहरा का कहना है कि शम्सुन अपने लगाए गए पौधों और 30 नीम के पेड़ों को रोज पानी देती हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि कुछ समय पहले तक आवारा कुत्तों और मवेशियों को श्मशान घाट में घुसने से रोकना बहुत मुश्किल था. लेकिन जबसे शम्सुन श्मशान का दरवाजा बंद रखने के साथ-साथ पहरेदारी करने लगी हैं,कोई जानवर परिसर में नहीं घुस पाता है.
 
परिवार वाले भी करते हैं समर्थन
शम्सुन का कहना है कि वह श्मशान घाट का उतना ही सम्मान करती हैं जितना स्थानीय कब्रिस्तान का. वह कहती हैं, "मैं यहां इसकी सुरक्षा और देखरेख के लिए हूं. कोरोनाकाल में भी मैंने अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभाई." शम्सुन अपने पति और तीन बेटियों के साथ श्मशान घाट के करीब ही एक छोटे से घर में रहती हैं.वह बताती हैं, "मेरे परिवार या मुस्लिम रिश्तेदारों की ओर से मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं है.बल्कि वह हर रोज इस श्मशान घाट को साफ करने में मेरे काम का समर्थन करते हैं."

काम के लिए नहीं मिलते हैं पैसे
शम्सुन के पति एसके सुलेमान दिहाड़ी मजदूर हैं.शम्सुन के काम ने क्षेत्र के सांप्रदायिक सौहार्द को उजागर किया है.केंद्रपाड़ा के वरिष्ठ अधिवक्ता उमेश चंद्र सिंह ने शम्सुन के काम की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे समय में जब समाज में सांप्रदायिक सौहार्द और धार्मिक सहिष्णुता इतने कम हो गए हैं,शम्सुन बीबी आशा का एक प्रतीक बनी हुई हैं.केंद्रपाड़ा नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी आशुतोष गौरव ने इस बात की पुष्टि की कि शम्सुन को उनके काम के लिए कोई पैसे नहीं मिलते.वह कहते हैं, "शम्सुन बीबी लंबे समय से श्मशान घाट की देखरेख कर रही हैं.हम उन्हें इसके बदले कोई रकम नहीं दे रहे हैं.कभी-कभी मृतकों के रिश्तेदार और परिजन उन्हें उनके काम के लिए कुछ पैसे दे देते हैं."

 

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