हमारी खाने की थाली में दही की अपनी अलग जगह होती है. लेकिन हमारी फेवरेट Curd यानी Dahi सुर्खिर्यों में है. गैर-हिंदी भाषी दक्षिणी राज्यों, तमिलनाडु और कर्नाटक में दही और दूसरे डेयरी प्रोडक्ट्स पर “दही” के हिंदी नाम पर विवाद हो रहा है. इसी को देखते हुए भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने गुरुवार को कर्ड के पैकेट का नाम बदलकर 'दही' करने के आदेश को रद्द कर दिया है.
हालांकि, दही को भारत के ही नहीं बल्कि दुनिया की अलग-अलग जगहों पर कई नाम से जाना जाता है. जगह के फूड कल्चर के हिसाब से हर कोई उसका अलग-अलग नाम लेता है. इतना ही नहीं बल्कि इसे खाना का तरीका भी अलग है.
दही के अलग-अलग नाम
दरअसल, दुनिया में जहां कुछ लोग इसे योगर्ट कहते हैं वहीं भारत के हिंदी भाषी राज्यों में इसे दही कहा जाता है. इसके अलावा, हिंदी भाषी राज्यों में दही को खोया, दधि, फुटकी, मट्ठा, छेना भी कहा जाता है. हालांकि, इनका टेक्सचर अलग अलग हो सकता है. लेकिन देश के अलग-अलग राज्य में इसके नाम बदल जाते हैं. जैसे तेलगु में इसे पेरुगु कहा जाता है. वहीं तमिल में इसे थयिर कहा जाता है. कन्नड़ में दही को लोग मोसरू कहते हैं. और मलयालम में इसे तैर (Tair) कहा जाता है.
भाषा |
नाम |
हिंदी |
दही |
तेलगू |
पेरुगु |
तमिल |
थयिर |
कन्नड़ |
मोसरू |
असम |
दोई |
मलयालम |
तैर |
दही के हैं अपने फायदे
बताते चलें कि दही पांच आहुतियों (पंचामृत) में से एक माना जाता है. खाने के अलावा इसे हिंदु धार्मिक कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह पाचन में मदद करती है और एसिडिटी को खत्म करने में भी मदद करती है. इसके अलावा इसमें हाई प्रोटीन होता है. इसमें कैल्शियम भी काफी मात्रा में होता है जो हमारी हड्डियों को मजबूत रखता है.