लाल लिपस्टिक (Red Lipstick) को आज महिलाओं के आत्मविश्वास और स्टेटस से जोड़कर देखा जाता है. महिलाओं और लाल लिपस्टिक के बीच का संबंध कोई नया नहीं है, बल्कि इतिहास में छिपा है. ईरान में 4,000 साल पुरानी शीशी में भी लाल लिपस्टिक के मिलते-जुलते ट्रेस पिगमेंट मिले चुके हैं. ये गहरा लाल रंग लंबे समय से शक्ति, ताकत और आत्मविश्वास से जुड़ा हुआ है. हालांकि, इसका आकर्षण न केवल इसके रंग में है, बल्कि इसकी कई तरह की व्याख्याओं और भावनाओं में भी है.
3500 ईसा पूर्व का है इतिहास
लाल लिपस्टिक का इतिहास 3500 ईसा पूर्व का है. प्राचीन मेसोपोटामिया की रानी पुआबी (Queen Puabi) अपने होठों को सफेद सीसे और कुचले हुए लाल पत्थर के मिश्रण से रंग लेती थीं. तब लिपस्टिक पावर और स्टेटस का प्रतीक होती थी.
पुरातात्विक खुदाई से पता चला है कि कई अमीर सुमेरियों को लिप कलरेंट के साथ दफनाया गया था. यह चलन प्राचीन मिस्र तक फैला था. मिस्र की औरतें होंठों पर लाल गेरू लगाया करती थीं. रानी क्लियोपेट्रा जिन्हें दुनिया की सबसे खूबसूरत रानी माना जाता था, ने भी कारमाइन को प्राथमिकता दी थी. ये कोचीनियल कीड़ों से निकाला गया एक गहरा लाल रंग था.
इसके अलावा, प्राचीन ग्रीस में, रेड लिपस्टिक सेक्स वर्कर्स से जुड़ी थी. इतना ही नहीं अगर सार्वजनिक रूप से वे निर्धारित लिप पेंट के बिना दिखाई देती थीं तो उन्हें सजा भी मिलती थी. इस लिप पेंट में शहतूत, शैवाल, भेड़ का पसीना और यहां तक कि मगरमच्छ का मल भी शामिल होता था.
रॉयल्टी से जादू टोना तक
16वीं शताब्दी के दौरान, इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ I (Queen Elizabeth I) ने अमीर परिवारों के बीच लाल लिपस्टिक के उपयोग को लोकप्रिय बनाया. उनके शासनकाल के दौरान लाल लिपस्टिक की लोकप्रियता बढ़ गई.
हालांकि, उनके उत्तराधिकारी, James I का मेकअप के प्रति रवैया कुछ अलग था. जादू-टोने के डर के कारण 1770 में एक कानून बनाया गया जिसमें कहा गया कि पुरुषों को शादी के लिए धोखा देने के लिए मेकअप का इस्तेमाल किया जाता है. और ऐसा करने वाली किसी भी महिला पर डायन के रूप में मुकदमा चलाया जा सकता है.
महिलाओं से जुड़े आंदोलन में लाल लिपस्टिक
20वीं सदी की शुरुआत में सफ्रागेट्स (Suffragettes) जैसे बड़े आंदोलनों में भी रेड लिपस्टिक की बड़ी भूमिका रही है. 1920 का ये आंदोलन महिलाओं के वोट करने के अधिकार से जुड़ा था. इस आंदोलन के दौरान लाल लिपस्टिक को नया महत्व मिला, जो महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई का प्रतीक था.
ब्यूटी आंत्रप्रेन्योर एलिजाबेथ आर्डेन ने 1912 में एलिजाबेथ कैडी स्टैंटन और एम्मेलिन पंकहर्स्ट जैसी महिलाओं को लाल लिपस्टिक पहनने के लिए प्रेरित किया. जैसे-जैसे ये महिलाएं अपने अधिकारों के लिए लड़ती गईं, लाल लिपस्टिक उनकी यूनिफॉर्म का हिस्सा बन गई. यह उस समय ताकत का प्रतीक बन गई.
द्वितीय विश्व युद्ध में भी हुई खूब पॉपुलर
द्वितीय विश्व युद्ध तक, लाल लिपस्टिक विद्रोह का प्रतीक बन गई थी. इसमें "फाइटिंग रेड!" और "विक्टरी रेड!" जैसे नारे खूब लोकप्रिय हुए. श्रमिकों के मनोबल को बढ़ाने के लिए फैक्ट्री के ड्रेसिंग रूम में लिपस्टिक का स्टॉक किया जाता था.
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बोल्ड रेड लिप्स एक क्लासिक पसंद बने रहे. तब ऑड्रे हेपबर्न और मर्लिन मुनरो जैसे हॉलीवुड आइकन ने इसे एक फैशन स्टेपल बना दिया था.
2018 में कैंपेन चलाया गया
2018 में सेंट्रल अमेरिका के एक देश निकारागुआ में #SoyPicoRojo कैंपेन में देश की तानाशाही का विरोध करने के लिए पुरुषों और महिलाओं को लाल लिपस्टिक लगाई गई थी. वहीं 2019 में, साउथ अमेरिका के चिली में हजारों महिलाओं ने सेक्शुअल हैरेसमेंट की निंदा करने के लिए लाल लिपस्टिक लगाई थी.
यह साफ है कि लाल लिपस्टिक सिर्फ एक कॉस्मेटिक भर ही नहीं है. आज, लाल लिपस्टिक लगाना सभी महिलाओं के लिए आत्मविश्वास और सशक्तिकरण का प्रतीक बना चुका है.