अकसर लोग छोटी-मोटी बीमारी होने पर ही जीवन में उम्मीद छोड़ देते हैं. कुछ छात्र तो ऐसे होते हैं जो परीक्षा में कम अंक आने पर जान तक दे देते हैं. पर हरियाणा के रहने वाले दिव्यांश की कहानी लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. दिव्यांश कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होने के बावजूद भी NEET की परीक्षा में अव्वल आए.
NEET-UG 2024 की परीक्षा में दिव्यांश ने 720 में से पूरे 720 अंक हासिल किए हैं. लेकिन परीक्षा की तैयारी से पहले दिव्यांश का स्वास्थ्य काफी गंभीर था. जिसके कारण वह परीक्षा की तैयारी भी देरी से शुरू कर पाए. लेकिन इस सब के बावजूद परीक्षा में वे अव्वल आए. आइए बताते हैं किस दौर से गुज़रे दिव्यांश और कैसे हैं वो एक निराशा से भरे लोगों के लिए आशा की किरण.
फेफड़ों की बीमारी और डेंगू से थे ग्रस्त
एक मीडिया इंटरव्यू में दिव्यांश ने बताया कि पहले वह फेफड़ों की बीमारी के ग्रस्त थे. जिसके बाद वह डेंगू की चपेट में आ गए. डेंगू के कारण वह करीब एक हफ्ते तक बेडरेस्ट पर रहे. जैसे ही उनकी हालत में सुधार आया, तो उनकी मां की तबियत बिगड़ गई और अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा. जिसके बाद काफी समय उनका मां की देखाभाल में लगा.
परीक्षा की तैयारी में कितनें दिनों की हुई देरी
दिव्यांश ने बताया की सबकुछ ठीक हो जाने के बाद उन्हें करीब 15 दिन का समय और लगा. इस समय के बीत जाने के बाद वह वापस परीक्षा की तैयारी में जुटे. नीट जैसी कठिन परीक्षा की तैयारी में एक दिन की भूमिका भी बहुत होती है. अब ऐसे में कोई बीमार पड़ जाए या फिर परीक्षा की तैयारी में पीछे रह जाए तो वह काफी निराश हो जाता है. कभी-कभी तो तैयारी को बीच में ही छोड़ देता है.
लेकिन दिव्यांश ने हार नहीं मानी. उन्होंने मन लगाकर तैयारी की और केवल परीक्षा पास ही नहीं की बल्कि अव्वल आए. नीट में बहुतों के लिए तो परीक्षा पास करना ही पहाड़ तोड़ने के बराबर होता है.
फेफड़ों की किस बीमारी से थे ग्रस्त
जिस बीमारी से दिव्यांश ग्रस्त थे, उसे सरल भाषा में कोलैप्सड लंग्स (Collapsed Lungs) के नाम से भी जाना जाता है. इस बीमारी में व्यक्ति के फेफड़ों और सीने के बीच गैप बन जाता है. इस गैप में जो हवा होती है वह फेफड़ो की दीवार पर ज़ोर लगाती हैं. जिससे व्यक्ति को परेशानी का सामना करना पड़ता है.
हार मानने वालों के लिए मिसाल बने दिव्यांश
बीमारियों और परेशानी के बीच घिरे होने के कारण दिव्यांश अपनी परीक्षा की तैयारी देर से कर पाए. इस बीच कई बच्चे तैयारी में उनसे काफी आगे निकल गए. लेकिन दिव्यांश ने अपनी इन परेशानियों को अपने सपने के बीच रोड़ा बनने नहीं दिया. उन्होंने मेहनत से वो कर दिखाया है, जिसे करने में अच्छे-अच्छों को कई साल लग सकते हैं.
नीट की परीक्षा में पूरे अंक प्राप्त करना सबके बस की बात नहीं. दिव्यांश ने इस बात को साबित कर दिखाया कि अगर निश्चय दृढ़ हो और मेहनत में कोई कसर ना हो, तो मुश्किल से मुश्किल काम भी किया जा सकता है.