Shoe Size Bha: भारतीयों के लिए इस नए शू साइजिंग सिस्टम को जानिए, आखिर क्या है 'भा' और क्यों पड़ी इसकी जरूरत

एक लाख से ज्यादा भारतीय लोगों को इसमें शामिल किया गया. इनके पैर के साइज को चेक करने के लिए 3-D फुट स्कैनर का उपयोग किया गया था. कुल मिलाकर, भारतीयों के पैर यूरोपीय या अमेरिकियों की तुलना में अधिक चौड़े पाए गए.

Shoe Size (Photo: Unsplash)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 23 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 2:31 PM IST
  • एक लाख भारतीयों को चेक किया गया 
  • लंबे समय से चले आ रहा है यही शू सिस्टम 

जब भी हम कोई जूता या चप्पल खरीदते हैं तो उसके लिए हमें अपने पैर का साइज बताना पड़ता है. ये यूके और यूएस साइज होता है. हालांकि, जूते के लिए भारतीय साइज सिस्टम भी अब आ गया है. हाल ही में भारतीयों के पैरों के आकार पर एक सर्वे हुआ है. भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसे 'भा' (Bha) नाम देने का प्रस्ताव है. यह भारत में जूते बनाने का एक बेस बन सकता है. अगर ये आ जाता है, तो मौजूदा यूके/यूरोपीय और यूएस फुटवियर साइज सिस्टम का स्थान ले लेगा. 

सर्वे में क्या पाया गया?

शुरुआत में यह सोचा गया था कि भारतीयों के लिए अलग-अलग पैर के साइज को शामिल करने के लिए कम से कम पांच फुटवियर साइज की जरूरत होगी. सर्वे से पहले यह माना जाता था कि पूर्वोत्तर भारत के लोगों के पैरों का आकार बाकी के क्षेत्रों में रह रहे लोगों की तुलना में औसतन छोटा होता है.

इसे लेकर दिसंबर 2021 और मार्च 2022 के बीच एक सर्वे किया गया था. इस सर्वे में पांच भौगोलिक क्षेत्रों में 79 स्थानों पर रहने वाले करीब 1,01,880 लोगों को शामिल किया गया. इतना ही नहीं बल्कि भारतीय पैर के आकार, आयाम और संरचना को समझने के लिए 3डी फुट स्कैनिंग मशीनें तैनात की गईं. इसमें पाया गया कि एक औसत भारतीय महिला के पैर के आकार में बदलाव 11 साल की उम्र में चरम पर होता है जबकि एक भारतीय पुरुष के पैर के आकार में बदलाव लगभग 15 या 16 साल में होता है.

एक लाख भारतीयों को किया गया शामिल 

इस सर्वे में एक लाख से ज्यादा भारतीय लोगों को शामिल किया गया. इनके पैर के साइज को चेक करने के लिए 3-D फुट स्कैनर का उपयोग किया गया था. कुल मिलाकर, भारतीयों के पैर यूरोपीय या अमेरिकियों की तुलना में अधिक चौड़े पाए गए. यूके/यूरोपीय/यूएस साइज सिस्टम के तहत कम चौड़े जूते बनते हैं, जबकि भारतीय ऐसे जूते पहनते हैं जो थोड़े बड़े होते हैं. नतीजतन, असुविधा की वजह से चोट लगने की संभावना बढ़ गई है. उदाहरण के लिए, हील वाले जूते पहनने वाली महिलाएं अक्सर बड़े आकार के जूते चुनती हैं, जिससे चोट लगने और असुविधा होने का खतरा बढ़ जाता है.

लंबे समय से चले आ रहा है यही शू सिस्टम 

भारत औपनिवेशिक काल से चले आ रहे शू साइज को ही फॉलो कर रहा है. लेकिन अब भारत में फुटवियर बाजार बढ़ रहा है. ऐसे में जरूरी हो गया है कि एक नया फुटवियर साइज सिस्टम लॉन्च किया जाए. इसी को देखते हुए Bha फुटवियर साइज सिस्टम लाने की बात हो रही है. अलग-अलग उम्र के लोगों और जेंडर के लिए आठ अलग-अलग आकारों के साथ, Bha लगभग 85% भारतीय आबादी को सही फिट और बेहतर आराम प्रदान करने का वादा करता है. इसके साल 2025 तक लॉन्च होने की संभावना है. 

 

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