Lab Grown Meat: अब लैब में बनेगा मीट, सिंगापुर के बाद अमेरिका ने भी दी इसे मंजूरी, जानें असली वाले से ये कैसे अलग होता है

Lab Grown Meat: आर्टिफिशियल मीट लैब में बनाया जाता है. लैब में बनाए गए मीट की प्रक्रिया की बात करें तो इसमें वैज्ञानिक गाय की स्टेम सेल्स, मांसपेशियों और दूसरे अंगों के बिल्डिंग ब्लॉक्स का इस्तेमाल करते है.

Lab Grown Meat
अपूर्वा सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 22 जून 2023,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST
  • दो कंपनियों को दी मंजूरी 
  • अमेरिका ने भी दी इसे मंजूरी

दुनियाभर में आर्टिफिशियल तरीके से मीट बनाने की कोशिश चल रही है. 2 देशों ने तो ऐसा करना शुरू भी कर दिया है. सिंगापुर के बाद अब अमेरिका ने भी लैब में बनने वाले मीट को मंजूरी दे दी है. मीट के लिए अब जानवरों को मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी, जानवरों की सेल्स से चिकन सीधे उगाया जा सकेगा. अमेरिका ने लैब ग्रोन मीट (Lab Grown Meat) बेचने के लिए दो कंपनियों को अपनी पहली मंजूरी दे दी है. 

दो कंपनियों को दी मंजूरी 

एजेंसी के एक प्रवक्ता ने बुधवार को एएफपी को बताया कि अमेरिकी कृषि विभाग (USDA) ने अपसाइड फूड्स और गुड मीट को मंजूरी दे दी है. कंपनियों ने कहा है कि उनके प्रोडक्ट्स जल्द ही चुनिंदा रेस्टोरेंट में उपलब्ध होंगे. अपसाइड फूड्स और गुड मीट दोनों को नवंबर में फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने सुरक्षा आधार पर मंजूरी दे दी थी. वहीं USDA ने पिछले सप्ताह उनके प्रोडक्ट लेबल की समीक्षा की और उन्हें मंजूरी दी. 

क्या है Lab Grown मीट?

जैसा की नाम से पता चलता है कि आर्टिफिशियल मीट लैब में बनाया जाता है. लैब में बनाए गए मीट की प्रक्रिया की बात करें तो इसमें वैज्ञानिक गाय की स्टेम सेल्स, मांसपेशियों और दूसरे अंगों के बिल्डिंग ब्लॉक्स का इस्तेमाल करते है. मांसपेशियों की सेल्स को बढ़ने में मदद करने के लिए सेल्स को अमीनो एसिड और कार्बोहाइड्रेट के साथ पेट्री डिश में रखा जाता है. एक बार जब पूरी तरह से मसल फाइबर विकसित हो जाते हैं, तो जो मीट आपके सामने बनकर आता है वो असल मीट के जैसा ही होता है. 

लैब में बने मीट की कितनी कीमत होगी?

पहला लैब में बना हैमबर्गर 2012 में बनाया गया था. और इसे बनाने में लगभग 325,000 डॉलर की लागत आई थी. लेकिन जैसे-जैसे टेक्नोलॉजी बढ़ती गई वैसे-वैसे कल्चर्ड मीट के उत्पादन की लागत में कमी आती रही. एक ऑस्ट्रेलियाई रेडियो शो में एक इंटरव्यू के दौरान, डच स्टार्टअप मोसा मीट ने अनुमान लगाया कि अगर वे बड़े पैमाने पर उत्पादन करने लग जाएं तो कीमत 80 डॉलर प्रति किलोग्राम हो सकती है.

क्या ये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है?

हालांकि, यह कहना अभी काफी जल्दबाजी होगी कि लैब में उगाए गए मीट के उत्पादन का पर्यावरणीय प्रभाव क्या होगा. लेकिन अभी तक जितनी भी रिसर्च हुई है उससे यही पता चलता है कि पर्यावरण-अनुकूल है. असली मीट की तुलना में लैब में बनाया गया मीट 45% कम ऊर्जा का उपयोग, 99% कम जमीन का उपयोग और  96% कम ग्रीनहाउस गैस एमिशन पैदा करता है.
 

 

Read more!

RECOMMENDED