अब आसान भाषा में समझ पाएंगे जपजी साहिब, 81 साल के रिटायर्ड कर्नल ने किया ट्रांसलेशन

रिटायर्ड कर्नल डी. एस चीमा ने जपजी साहिब को गुरमुखी से आसान और समझने वाली भाषा शैली में आम लोगों के लिए प्रस्तुत किया है. डी.एस चीमा ने गुड न्यूज टुडे से खास बातचीत में बताया कि कई प्रसिद्ध विद्वानों और विद्वान लोगों ने जपजी साहिब का अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अनुवाद किया है

ललित शर्मा
  • चंडीगढ़,
  • 24 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:23 PM IST

सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव जी का प्रकाश पर्व 27 नवंबर को मनाया जाएगा. जपजी साहिब सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक की सबसे प्रमुख रचना है, और हर एक सिख के 'नितनेम' की पहली प्रार्थना है. इसमें मूल मंतर, दो श्लोक, एक आरंभ में और दूसरा अंत में और बीच में अड़तीस पौड़ियाँ (सीढ़ियाँ) शामिल हैं. ये गुरुमुखी रोमन में लिखा गया है और कठिन शब्दों का इसमें प्रयोग है. पाठकों को आसान भाषा में समझने का प्रयास 81 साल के रिटायर्ड कर्नल डी एस चीमा ने किया है- 

बड़ी संख्या में सिख और अन्य धर्मों के लोग हैं जो जपजी की उत्कृष्ट आध्यात्मिक सुंदरता के बारे में जानते हैं, लेकिन पवित्र भाषा, गुरुमुखी, वर्तमान पंजाबी भाषा से इतनी अलग है कि यह इसके लिए एक बाधा बन जाती है और बहुत से लोग उसे उस तरीके से नहीं पढ़ पाते.

रिटायर्ड कर्नल डी. एस चीमा ने जपजी साहिब को गुरमुखी से आसान और समझने वाली भाषा शैली में आम लोगों के लिए प्रस्तुत किया है. डी.एस चीमा ने गुड न्यूज टुडे से खास बातचीत में बताया कि कई प्रसिद्ध विद्वानों और विद्वान लोगों ने जपजी साहिब का अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में अनुवाद किया है, हालांकि, इस तरह की महान रचना की व्याख्या करने के सभी प्रयास, मानव ज्ञान और बुद्धि की सीमाओं के कारण कम पड़ जाएंगे. ये प्रस्तुति में, 'गुरुमुखी' रोमन में लिखा गया है और कठिन शब्दों को समझने के लिए संक्षिप्त शब्दावली का पालन किया गया है.

रिटायर्ड कर्नल डी. एस चीमा ने कहा कि आपके हाथ में जो है वह एक साधारण सिख द्वारा गुरु नानक के ईश्वर की एकता और सार्वभौमिक भाईचारे के संदेश को सरल और समझने में आसान तरीके से साझा करने का एक विनम्र प्रयास है. इस कार्य में किसी मौलिकता का दावा नहीं किया गया है. यह एक जन्मजात सिख द्वारा आस्था की समझ और व्याख्या है और इसमें शिक्षा, ज्ञान और कौशल द्वारा लगाई गई सीमाएं हैं जिन्हें मैं हासिल करने में सक्षम हूं.

 

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