Man grows forest on a barren hillock: प्रकृति से इतना प्यार की बंजर पहाड़ी पर उगा दिया जंगल, खर्च कीं अपनी सेविंग्स

ओडिशा में 87 साल के एक शख्स ने खास मिसाल पेश की है. ब्रजबंधु लेंका नामक शख्स ने एक बंजर पहाड़ी पर जंगल लगा दिया है.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 08 मई 2023,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST
  • रिटायरमेंट के बाद शुरू किया काम
  • खर्च कर चुके हैं 18 लाख रुपए 

अक्सर लोगों का सपना होता है कि वे रिटायरमेंट के बाद एक अच्छा जीवन बिताएं. आखिर कौन अपनी जिंदगी ऐशो-आराम से नहीं जीना चाहता है. लेकिन ओडिशा के ब्रजबंधु लेंका, एक सेवानिवृत्त अधिकारी, इस सोच से कहीं ज्यादा परे हैं. दरअसल, 87 वर्षीय लेंका ने अपनी कमाई से एक बंजर पहाड़ी पर हरियाली लाने का मुश्किल काम किया है. कटक के अथागढ़ प्रखंड के धुरुसिया में उन्होंने दिन-रात मेहनत करके एक जंगल खड़ा कर दिया है. 

पिछले दो दशकों में, उन्होंने अपने गांव में लांडा पहाड़ी पर लगभग 500 किस्मों के पेड़ लगाए हैं. और अपने दोस्तों के योगदान से, उन्होंने पहाड़ी पर सहायक मंदिरों के साथ एक हनुमान मंदिर भी बनवाया है. लेंका ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इस पहाड़ी को पौधों से भरी हुई देखना उनका सपना था और यह उनके जीवन के आखिरी पड़ाव पर सच हो गया है. उन्होंने न केवल पेड़ लगाए हैं बल्कि हर दिन उन्हें पानी और खाद भी दे रहे हैं.

रिटायरमेंट के बाद शुरू किया काम
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, यह सब 1999 में शुरू हुआ जब वह ओडिशा लघु उद्योग निगम के सहायक निदेशक के रूप में सेवानिवृत्त हुए. पेशे से एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, लेंका 1963 में निर्यात संवर्धन और विपणन निदेशालय के तहत सरकारी परीक्षण प्रयोगशाला में एक ओवरसियर के रूप में शामिल हुए थे. उन्होंने राज्य भर में विभिन्न सरकारी प्रयोगशालाओं में काम किया. 

लेंका ने अपनी सेवा अवधि के दौरान शैलश्री विहार में एक घर बनाया और कुछ जमीन-जायदाद भी खरीदी. 1999 में रिटायर होने के बाद, लेंका अपने गांव के लिए कुछ करने के उद्देश्य से अपनी जड़ों की ओर लौट आए. उन्होंने कहा कि वह गांव की पहाड़ी को बंजर देखते हुए बड़े हुए लेकिन उनकी इच्छा थी यहां कुछ फल देने वाले पेड़ उगें. साथ ही,  वह भगवान हनुमान के लिए एक मंदिर भी बनाना चाहते हैं. 

खर्च कर चुके हैं 18 लाख रुपए 
सबसे पहले उन्होंने पहाड़ी पर औषधीय पेड़ों के अलावा कई फल और फूल वाले पेड़ों के पौधे लगाना शुरू किया. मंदिर का निर्माण भी शुरू हुआ लेकिन फिर पैसे की समस्या आने लगी. लेंका ने 2003 में अपना घर और जमीन बेची और उस पैसे का इस्तेमाल अधिक पेड़ लगाने और 50 फीट ऊंचे मंदिर के निर्माण के लिए किया. ग्रामीणों के बैठने की व्यवस्था के साथ पूरे मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण भी किया गया है. 

लेंका ने अपने सपने को सच होते देखने के लिए 18 लाख रुपए खर्च किए. आज, पहाड़ी पर उग आया जंगल कई पक्षियों और जानवरों का घर है. इसके अलावा, ग्रामीण प्रतिदिन मंदिर आते हैं और शांत वातावरण में समय बिताते हैं. गांव की सभी शादियां भी मंदिर परिसर में स्थित शिव मंदिर में संपन्न होती हैं. 

 

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