किसानों की मदद के लिए छात्र ने बनाया Kishan Know, इससे मिलेगी फसलों की हेल्थ रिपोर्ट, लागत 85 रुपए से भी कम

ओडिशा के ऋषिकेश नायक ने किसानों की मदद की लिए Kishan Know नामक डिवाइस बनाया है जो रियल टाइम डाटा के आधार पर AI और IoT जैसी तकनीकों का इस्तेमाल करके फसलों में बैक्टीरिया, फंग्स और वायरस आदि का कम से कम समय में पता लगाता है.

Rishikesh Amit Nayak (Photo: X/@@AmitRishikesh)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 02 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:35 PM IST
  • 12 घंटे में लगाता है फसल में बीमारी का पता 
  • 16 साल की उम्र से कर रहे हैं तकनीक पर काम 

फसलों पर कीटों का आक्रमण किसानों के लिए खेती में आने वाली कई बड़ी मुश्किलों में से एक है. बहुत बार तो किसानों को फसलों में लगने वाले कीड़ों और बीमारियों का पता ही नहीं चल पाता है जिससे वे समय रहते समाधान भी नहीं कर पाते हैं और फसल को बड़ा नुकसान होता है. किसानों को इस नुकसान से बचाने के लिए ओडिशा के एक छात्र ने अनोखा डिवाइस बनाया है. 

भुवनेश्वर के रहने वाले ऋषिकेश अमित नायक ने 'KISHAN KNOW' - डिवाइस बनाया जो किसानों को फसल की हेल्थ रिपोर्ट देगा. यानी की रियल टाइम डाटा के आधार पर यह डिवाइस बता सकते है कि फसल पर कीटों का हमला हो सकता है या नहीं, कौन सा कीट है या फसल में क्या बीमारी लगी है? इससे किसान समय रहते समाधान करके फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं. 

12 घंटे में लगाता है फसल में बीमारी का पता 
ऋषिकेश का कहना है कि उन्होंने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का प्रयोग करते हुए थर्मल इमेजिंग के माध्यम से एक टेक्निक विकसित की, जिससे बहुत ही कम समय में पौधों पर आक्रमण करने वाले कीट और पौधों में लगी बीमारी के बारे में पता लगाया जा सकता है. कीट जब पौधे पर अपने प्री-मैच्योर फेज में होता है तभी इसके बारे में किसान को पता लग जाएगा और किसान समय रहते परेशानी का हल कर सकते हैं और फसल को नुकसान से बचा सकते हैं. सबसे अच्छी बात है कि सभी किसान इन तकनीक का इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं. 

आपको बता दें कि डिवाइस IoT तकनीक और AI-आधारित मॉडल है जो सिर्फ 12 घंटों में माइक्रोबियल हमलों को पहचानने में मदद करता है. वर्तमान में, चेन्नई के वेल्लोर इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में पढ़ने वाले ऋषिकेश Intel कंपनी की मदद से इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ा रहे हैं. उन्हें Intel से फंडिंग मिली है और कंपनी के साथ मिलकर उन्होंने इस तकनीक को विकसित किया है. इससे किसान एक डॉलर यानी 85 रुपए से भी कम में अपनी फसलों को कीटों के हमलों और बीमारियों से बचा सकते हैं. 

16 साल की उम्र से कर रहे हैं तकनीक पर काम 
आपको बता दें कि ऋषिकेश 16 साल की छोटी उम्र से ही अपने इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं. क्योंकि गांव से उन्होंने कई किसानों को समस्याओं का सामना करते देखा है और उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल करके समस्या को ठीक से समझने के लिए अपनी रिसर्च शुरू की. ऋषिकेश ने अपनी मीडिया इंटरव्यूज में बताया कि फसल की बर्बादी के कारण किसानों की आत्महत्या बहुत आम है. वह खुद एक किसान परिवार से आते हैं और उन्होंने करीब से किसानों की परेशानियों को देखा है.

साल 2017 में, जब वह 9वीं कक्षा में था, तब अखबारों में किसान आत्महत्याओं के बारे में बहुत कुछ पढ़ते थे. उन्होंने इस पर शोध करने का फैसला किया. उन्होंने देखा कि 80 प्रतिशत फसल की बर्बादी बैक्टीरिया के हमले के कारण होती है. हमारे पास मौसम की स्थिति के लिए समाधान हैं, लेकिन खेतों पर बैक्टीरिया के हमले को रोकने के लिए बहुत कम काम किया गया है. इसलिए उन्होंने इस दिशा में काम करने का फैसला किया. 

नासा रोवर चैलेंज में लिया हिस्सा 
तकनीकी कौशल में सक्रिय होने के कारण उन्होंने 2020 में नासा रोवर चैलेंज में भी भाग लिया और अपनी कप्तानी में अपनी टीम को तीसरी रैंक दिलाई. उन्होंने IdeateforIndia Challenge में 50 इनोवेशन में भी टॉप जगह हासिल की. इसमें पूरे भारत के छात्रों ने भाग लिया था. इसके अलावा उन्होंने इसरो, सीबीएसई और अटल इनोवेशन मिशन के कई कार्यक्रमों में भाग लिया और उन्हें अवॉर्ड भी मिल चुका है. 

 

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