झारखंड के रामगढ़ ज़िले के सरैया कुंदरू गांव के रहने वाले वाले पन्नालाल 'बर्डमैन ऑफ़ झारखंड' के नाम से पहचाने जाने लगे हैं. पन्नालाल 40 से ज़्यादा पक्षियों की आवाज़ निकाल सकते हैं. वह 100 से ज़्यादा तरह के पक्षियों की आवाज़ों को पहचान भी सकते हैं. पन्नालाल का दावा है कि जब वह पक्षियों की भाषा में बोलते हैं, तो वे समझ जाते हैं.
कौन हैं झारखंड के बर्डमैन?
पन्नालाल पेशे से किसान हैं. आठ साल की उम्र से ही पक्षियों की आवाज़ें निकाल रहे पन्नालाल परिंदों से इतना प्रेम करते हैं कि अपनी आय का बड़ा हिस्सा उनके संरक्षण के लिए खर्च करते हैं. पन्नालाल झारखंड के अलावा उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, असम और पूर्वोत्तर भारत के जंगलों का भी भ्रमण कर चुके हैं. लेकिन पन्नालाल का यह सफर शुरू कहां से हुआ?
कैसे सीखी परिंदों की भाषा?
पन्नालाल के इस काम में परिवार के सभी लोग साथ देते हैं. उनके बड़े भाई बताते हैं कि बचपन से ही पन्नालाल को जंगलों में जाकर पक्षियों की आवाज निकालने और उन्हें समझने का शौक था. बचपन में पन्नालाल जमीन में गड्ढा खोदकर उसमें छिप जाते थे. यहां से सिर्फ उनका माथा दिखता था. वह परिंदों की आवाज निकालकर उन्हें बुलाते और उन्हें समझते थे.
किन परिंदों की आवाज निकालते हैं पन्नालाल?
पन्नालाल मोर, कोयल, कौवा, मुर्गा, जंगली मुर्गा पक्षियों की आवाज निकाल सकते हैं. जंगल के बीचोंबीच जब पन्नालाल ने मोर की आवाज निकाली तो मोर बाहर निकल आया था. जब पन्नालाल ने कौवे की आवाज निकाली तो नीले गगन पर दर्जनों कौवे मंडराने लगे. पन्नालाल ने बताया, "मैं झारखंड के रामगढ़ का ही स्थाई निवासी हूं. मैंने पक्षियों पर शोध की है. वे कैसे प्रजनन करते हैं. कैसे जीते हैं. मैंने उनकी तरह आवाज निकालना सीखा है."
पन्नालाल बताते हैं कि वह सुबह 6:00 बजे घर से निकलते हैं और रात लगभग 10:00 बजे घर लौटते हैं. इस दौरान वह जंगल में बेखौफ होकर घूमते हैं. उनका कहना है कि वह बेखौफ होकर इसलिए घूम पाते हैं क्योंकि पक्षियों पर उन्हें बहुत भरोसा है. उनका मानना है कि कोई खतरा है तो पक्षी संकेत देते हैं क्योंकि आसमान में उड़ते परिंदे से कोई जानवर छिप नहीं सकता.
कैसे सीखी परिंदों की भाषा?
पन्नालाल बताते हैं, "मैं पक्षियों की आवाजों को समझता भी हूं. मैं उनकी भाषा को समझ कर सुरक्षित जगह चला जाता हूं. साथ ही मैं झारखंड के स्कूलों में भी पक्षियों के बारे जानकारी साझा करता हूं." पन्नालाल बताते हैं कि वह दूसरे राज्यों में कार्यक्रम के लिए भी गए हैं और पक्षियों को करीब से देखने का काम करते हैं.
परिंदों के प्रति प्यार और उनके संरक्षण की भावना के लिए जिले के राजनीतिक और समाजसेवी सभी पन्नालाल की सराहना करते हैं. वह पक्षियों के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए काम करना चाहते हैं और इसके लिए सरकार से मदद मांग रहे हैं. स्थानीय लोगों को उम्मीद है कि सरकार और जिला प्रशासन पन्नालाल को आर्थिक सहायता देकर उनकी इस काम में मदद करेगा.
झूलन अग्रवाल की रिपोर्ट