भोलेनाथ की नगरी काशी की पहचान सिर्फ धार्मिक नगरी के रूप में नहीं है बल्कि यह प्राचीन शहर अपनी खान-पान से देसी-विदेशी सैलानियों को अपना मुरीद बनाता रहा है. आज हम आपको बनारस की की ठंडाई के बारे में बताने जा रहे हैं. यहां बनाई जाने वाली ठंडाई किसी के लिए भोलेनाथ का प्रसाद तो किसी के लिए ठंडक लेने का जरिया भी रही है.
तीसरी पीढ़ी के रूप में ठंडई बेचने का कर रहे काम
जिस तरह से पंजाब में लस्सी और छाछ जैसे पेय पदार्थ का चलन है तो वैसे ही बनारस में ठंडाई को लोग पूरे आनंद और चाव के साथ पीते हैं. हम आपको काशी की एक ऐसी ठंडाई की दुकान के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 116 साल पुरानी है. यहां आज भी ठंडाई पीने वालों को लाइन लगी रहती है. जी हां, हम बात कर रहे हैं वाराणसी के चौक इलाके के ठठेरी बाजार मोहल्ले में मोती कटरा स्थित पाठक जी ठंडाई वाले दुकान की. यहां अब से तीन पीढ़ियों पहले ठंडाई बेचने का काम बलराम पाठक ने शुरू किया था. इसके बाद उनके बेटे शंभू नाथ पाठक ने अपने पिता की परंपरा को आगे बढ़ाया तो अब तीसरी पीढ़ी के रूप में बसंत शंकर पाठक ठंडाई बेचने के काम को कर रहे हैं.
मौसमी फलों और फूलों की भी मिलती है ठंडाई
यूं तो बनारस की गलियों में ठंडाई तमाम जगह मिल जाएगी, लेकिन जो स्वाद पाठक जी की ठंडाई में आती है, वैसा कहीं और नहीं मिल सकता. इसके चलते ठंडाई के दीवाने उनके यहां लंबे समय से स्वाद चखने चले आ रहे हैं. उनकी इस दुकान में खास बात यह भी है कि यहां बाकी ठंडाई की दुकानों की तरह सिर्फ केसरिया दूध कीठंडाई ही लोगों को नहीं पीने को मिलती है बल्कि मौसमी फलों और फूलों की भी ठंडाई मिलती है ताकि ठंडाई के शौकीनों को कुछ ना कुछ नया अनुभव करने का मौका मिलता रहे.
ग्राहकों को चखाते हैं रोज कुछ न कुछ नया स्वाद
इन दिनों बसंत शंकर पाठक अमरूद से लेकर गुलाब के फूलों की भी ठंडाई अपने ग्राहकों को परोस रहे हैं. इन्होंने बताया है कि काढ़े की भी ठंडाई जल्द बनने वाले हैं. बसंत शंकर पाठक ने बताया कि वह पारले जी बिस्कुट से भी ठंडाई को बना चुके हैं. उनका मकसद ही यह है कि अपने ग्राहक को रोज कुछ न कुछ नया स्वाद चखाते रहें. उन्होंने यह रोचक जानकारी भी दी कि अंग्रेजों की हुकूमत में न केवल दर्जी को लाइसेंस लेना पड़ता था, बल्कि ठंडाई बेचने वालों को भी लाइसेंस लेने के बाद ही ठंडाई बेचने की अनुमति होती थी.
लोगों को बनाए हुए है अपना मुरीद
ठंडई के शौकीनों के लिए पाठक जी की ठंडाई की दुकान रोज शाम को किसी अड़ी से कम नहीं है. लोग यहां जमकर ठंडाई का स्वाद लेते हैं और गप्पे भी लड़ाते हैं. लोगों का कहना है कि जो स्वाद पाठक जी की ठंडाई में है वैसा कहीं और नहीं इसलिए वे यहां खींचे चले आते हैं. यहां की ठंडाई मलाई की हो या बगैर मलाई वाली, अनार, सेब, अमरूद जैसे ऋतु फल और गुलाब समेत कई और फूलों का नेचुरल फ्लेवर हो या अदरक-जीरा और काढ़े की ठंडाई, सभी के प्राकृतिक स्वाद आपको ठंडाई में नजर आएंगे. ऐसे में आप समझ गए होंगे आखिर क्यों पाठक जी ठंडाई वाले की ये पुरानी दुकान खास है. यहां की ठंडाई प्राकृतिक स्वाद और विश्वास के साथ वर्षों से लोगों को अपना मुरीद बनाए हुए है.
(रौशन जायसवाल की रिपोर्ट)