पिंकसिटी यानी जयपुर में पिंकफेस्ट 2025 के चौथे संस्करण का आगाज इस वर्ष राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर (RIC) में एक भव्य और अद्भुत तरीके से हुआ. यह फेस्टिवल न केवल राजस्थान की कला और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि यहां देश-विदेश के ख्यातिप्राप्त कलाकारों, लेखक और सांस्कृतिक विशेषज्ञों का एक अद्वितीय संगम देखने को मिला. इस तीन दिन के फेस्टिवल में कला, संगीत, साहित्य, थिएटर और संवाद की एक नई शैली देखने को मिली, जिसने सभी उपस्थित दर्शकों का दिल छू लिया.
इस फेस्टिवल के पहले दिन से ही यहां प्रदर्शित होने वाली पेंटिंग्स, लाइव आर्ट कैंप, थिएटर प्रस्तुतियां, शास्त्रीय संगीत और पारंपरिक लोक संगीत ने इस आयोजन को एक जीवंत कला महोत्सव में बदल दिया. विशेष रूप से पिंकफेस्ट में लाइव पेंटिंग सत्र का आयोजन हुआ. इसमें विभिन्न आधुनिक और समकालीन कला के रूपों का प्रदर्शन किया गया. इस दौरान कला प्रेमियों को न केवल भारतीय कलाओं का बल्कि अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की कृतियों का भी अनुभव हुआ.
लाइव पेंटिंग और आर्टिस्ट की प्रस्तुतियां
पिंकफेस्ट का एक आकर्षक पहलू था लाइव पेंटिंग. इस सत्र में विभिन्न कलाकारों ने अपनी कला की प्रक्रिया को दर्शकों के सामने रखा. दर्शकों को यह देखने का मौका मिला कि एक पेंटिंग किस तरह से बनती है और उसमें कला के विभिन्न आयाम किस तरह से जुड़ते हैं. इसमें सबसे आकर्षक थे वे कला के रूप जो आजकल के समकालीन और आधुनिक कला के अनुभवों को दर्शाते थे. इस दौरान पेंटिंग के अलावा, कला की कई और विधाओं को भी देखा गया जैसे मीनिएचर आर्ट और शास्त्रीय चित्रकला.
पिंकफेस्ट में विश्वभर के जाने-माने आर्टिस्टों के अलावा जयपुर के छात्रों का भी योगदान रहा. खासकर राजस्थान के स्कूलों और कॉलेजों के छात्रों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया, जो दर्शकों के लिए एक प्रेरणास्रोत साबित हुआ. इस शो में सबसे अनूठा था, चावल के दानों पर मीनिएचर पेंटिंग, जो दर्शकों के लिए एक अजूबा साबित हुआ. यह पेंटिंग्स चावल के दानों पर की जा रही थी और इसे किया था, नीरु छाबड़ा ने, जो 40 वर्षों से इस कला में सक्रिय हैं. नीरु छाबड़ा ने हाल ही में चावल के दानों पर 108 शब्दों का लेखन करके एक अनोखा रिकॉर्ड भी बनाया था. यह कला न केवल बहुत दुर्लभ है, बल्कि उन्होंने इस विधा में अपनी मास्टरपीस कृतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
सांस्कृतिक समागम और विचारों का आदान-प्रदान
पिंकफेस्ट का आयोजन केवल कला का प्रदर्शन तक ही सीमित नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा मंच था जहां कला, साहित्य और संस्कृति के विभिन्न पहलुओं पर गंभीर विचार-विमर्श भी किया गया. उद्घाटन समारोह में दीप प्रज्ज्वलित करने के बाद 'भारतीय कलाओं में कथनात्मकता' पर एक सत्र हुआ. इसमें प्रो. भरत गुप्त ने भारतीय कला की परंपरा के महत्व पर बात की और इसे बचाने के तरीकों पर अपने विचार व्यक्त किए. नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, लक्ष्मी कृष्णामूर्ति और डॉ. तूलिका गुप्ता जैसे प्रमुख नामों ने भी इस सत्र में अपने विचार साझा किए.
इसके बाद 'रचनात्मक प्रक्रिया की अवधारणा' पर एक सत्र आयोजित किया गया. इसमें भारतीय कला में रंगों के महत्व पर चर्चा की गई. इसमें आर रामानंद ने बताया कि रंग केवल सौंदर्य के प्रतीक नहीं होते, बल्कि वे कलाकार के विचारों और भावनाओं का अभिव्यक्त करते हैं. इस सत्र को स्वाति वशिष्ठ ने मॉडरेट किया, जो इस प्रकार के संवाद सत्रों की मास्टर हैं. इस प्रकार के सत्रों ने कला के गहरे पहलुओं को उजागर किया और दर्शकों को भारतीय कला के शास्त्रीय महत्व को समझने का मौका दिया.
देश-विदेश के आर्टिस्ट हुए शामिल
पिंकफेस्ट 2025 में धर्मेंद्र राठौड़ के क्यूरेशन में 100 से अधिक अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय कलाकारों द्वारा 400 से अधिक पेंटिंग्स की प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. इनमें ब्राजील, नार्वे, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देशों के कलाकारों के साथ-साथ भारतीय कलाकार रितिक पटेल, अभिषेक शर्मा, सूरज पटेल, श्रीधर अय्यर, मुकेश साल्वी, आरबी गौतम और जयंत पारिख जैसे प्रमुख नामों की कृतियों का भी समावेश था. इन पेंटिंग्स में राजस्थान की लोक कला, संस्कृति और धरोहर का सुंदर चित्रण किया गया, जो दर्शकों को न केवल दृश्य आनंद देता था, बल्कि राजस्थान की परंपरा से भी जोड़ता था.
लेखन और साहित्यिक सत्र
पिंकफेस्ट में केवल कला ही नहीं, बल्कि साहित्य भी प्रमुख रूप से प्रस्तुत किया गया. पहले दिन बोधि प्रकाशन के तत्वावधान में दो नई पुस्तकों का विमोचन किया गया. लेखिका मधु सक्सेना की कविता संग्रह 'चुटकी भर' और लेखक मनीष पारीक का काव्य संग्रह 'मिलूंगा तुम्हें' लॉन्च किया गया. इन पुस्तकों पर लेखकों और पब्लिशर्स द्वारा विस्तृत चर्चा की गई. इस सत्र में साहित्य प्रेमियों को न केवल किताबों का अनुभव हुआ, बल्कि उनके लेखक और उनकी कृतियों के बारे में जानने का भी मौका मिला.
पहले दिन की प्रमुख गतिविधियां
पहले दिन की गतिविधियों में लाइव आर्ट कैंप, कल्चर रैम्प वॉक, थिएटर प्रस्तुतियां, कथक, शास्त्रीय गायन-वादन, लोक संगीत, दादी-नानी की कहानियां और स्टोरी टेलिंग जैसी प्रस्तुतियां प्रमुख आकर्षण रहीं. इन कार्यक्रमों ने न केवल संस्कृति की विविधता को प्रस्तुत किया, बल्कि दर्शकों को कला के विभिन्न रूपों से भी परिचित कराया. इसके अलावा, फेस्टिवल में डॉक्यूमेंट्री फिल्म 'द गोल्डन लाइट' की स्क्रीनिंग भी की गई, जो कला और संस्कृति की दुनिया में एक महत्वपूर्ण फिल्म मानी जाती है.
दूसरे दिन की गतिविधियां
पिंकफेस्ट 2025 का दूसरा दिन भी उत्साह और रचनात्मकता से भरा हुआ था. इसमें आर्ट एग्जीबिशन, कल्चरल वॉक, पिकासो एग्जीबिशन, अनुगूंज, लाइव स्टेज परफॉर्मेंस जैसी गतिविधियाँ आयोजित की गईं. ये कार्यक्रम न केवल दर्शकों के लिए मनोरंजन का स्रोत बने, बल्कि उन्हें कला की विविधता और गहराई से भी परिचित कराया. इसके अलावा, विभिन्न कलाकारों ने लाइव प्रदर्शन भी किया. इससे दर्शकों को कला के निर्माण की प्रक्रिया और इसके पीछे की सोच को समझने का मौका मिला.
पिंकफेस्ट 2025 जयपुर में आयोजित एक अद्भुत कला महोत्सव था, जिसने कला प्रेमियों को एक नई दृष्टि और अनुभव दिया. यहां प्रस्तुत कला, साहित्य, और संगीत के अनूठे रूप ने न केवल भारतीय कला की महिमा को उजागर किया, बल्कि दुनिया भर के कलाकारों और दर्शकों के बीच एक सशक्त संवाद स्थापित किया. इस फेस्टिवल ने जयपुर को एक सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में विश्वभर में और अधिक प्रसिद्ध किया है.
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