प्रतिभा किसी चीज की मोहताज नहीं होती है, कुछ ऐसा ही कर दिखाया है प्रयागराज के रहने वाले मनरेगा मजदूर सुरेश ने. सुरेश ने पुणे में हुई खो खो अल्टीमेट लीग फाइनल जीतकर अपने घर और प्रदेश का नाम रोशन किया है. ये खो खो का मैच 17 अगस्त से शुरू हुआ और चार सितंबर को इसका फाइनल पुणे में हुआ था. सुरेश के हांथो में और बगल में रखी ट्रॉफियां इसकी गवाह हैं.
खेल में थी रुचि
प्रयागराज से 35 किलोमीटर दूर फाफामऊ क्षेत्र में नगदिलपुर,नशरातपुर गावं के रहने वाले सुरेश के पिता चन्द्र बहादुर पंजाब में मूंगफली की रेडी लगाते हैं. चार भाइयों में सुरेश तीसरे नंबर के हैं. सुरेश मनरेगा में मजदूरी करते थे. मज़दूरी के साथ उनकी रुचि खेल में भी थी. सुरेश नजदीक के एक स्कूल में कोच लाल जी धुरिया की देखरेख में खो खो खेलते थे.
सुरेश ने छत्तीसगढ़ में यूपी की तरफ से सीनियर नेशनल खो खो खेला और उनका परफॉमेंस काफी अच्छा रहा और सिलेक्शन आगे हो गया. उड़ीसा की टीम ने इन्हें ले लिया. इसके बाद 17 अगस्त को पुणे में हुए अल्टीमेट खो खो लीग में उड़ीसा जगन्नाथ टीम का वो हिस्सा बनें. 4 सितंबर को हुए फाइनल में टीम ने जीत हासिल की और पूरी टीम को उड़ीसा सरकार की तरफ से दो करोड़ से ज्यादा की राशि दी गई.
देश का नाम रौशन करना चाहते हैं
सुरेश आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं. खेलने के लिए उनकी कई लोगों ने मदद की जिससे वो इस मुकाम तक पहुंचे और अपने गांव, परिवार,और शहर का नाम रोशन किया. अब सुरेश की कामयाबी से परिवार और गांव के लोग बेहद खुश हैं कि एक मनरेगा मजदूर अब खो खो का बड़ा खिलाड़ी बन कर उभरा है. सुरेश को अब यूपी सरकार से मदद की उम्मीद है ताकि वो देश का नाम रोशन कर सके.
(पंकज श्रीवास्तव की रिपोर्ट)