Artists in Jail: जेल के अंदर बंद कैदियों ने बनाई पेंटिंग और हाथों से बने हैंडीक्राफ्ट्स, 200 से ज्यादा लोग जुड़े मुहिम से 

लगभग पिछले 6 महीने  से ट्रेनिंग देने के बाद कैदियों द्वारा बनाई गई इन पेंटिंग्स को अब चंडीगढ़ के सेक्टर 10 के आर्ट म्यूजियम में आम लोगों के लिए प्रदर्शनी के लिए लगाया गया है

जेल में बंद कैदियों ने बनाई पेंटिंग
ललित शर्मा
  • चंडीगढ़ ,
  • 29 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 6:04 PM IST
  • कैदियों ने बनाई हैं पेंटिंग 
  • जेल की पूरी दीवारें रंगी हैं 

कई बार इंसान आवेश और क्रोध में आकर एक ऐसी भूल कर बैठता है जिसका खामियाजा उसे जीवन भर भुगतना पड़ता है. लेकिन अब चंडीगढ़ मॉडल जेल के अंदर उन कैदियों के लिए चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा अलग-अलग कार्यक्रम के जरिए मुख्यधारा में लाने का प्रयास कर रही है. जिसमें जब अपराधी अपनी सजा पूरी कर ले उसके बाद समाज में बिना किसी भेदभाव के अपने जीवन की शुरुआत कर सकें. इसी कड़ी में चंडीगढ़ में पहली बार जेल के अंदर बंद कैदियों द्वारा पेंटिंग और हाथों से बने हैंडीक्राफ्ट्स को तैयार करवा कर उनकी प्रदर्शनी लगा रखी है. 

कैदियों ने बनाई हैं पेंटिंग 

तस्वीरों में दिख रही पेंटिंग और कलाकृति है तो साधारण लेकिन फिर भी बहुत मायने में खास है क्योंकि इन पेंटिंग और कलाकृतियों को किसी पेशेवर आर्टिस्ट ने तैयार नहीं की है बल्कि इन्हें चंडीगढ़ की मॉडल जेल के अंदर सजा काट रहे कैदियों ने तैयार किया है. लगभग पिछले 6 महीने  से ट्रेनिंग देने के बाद कैदियों द्वारा बनाई गई इन पेंटिंग्स को अब चंडीगढ़ के सेक्टर 10 के आर्ट म्यूजियम में आम लोगों के लिए प्रदर्शनी के लिए लगाया गया है.

चंडीगढ़ मॉडल जेल के अंदर बंद कैदियों ने रद्दी से मूर्तियों और पेंटिंग के जरिए अपने हुनर को बाहरी दुनिया में प्रदर्शित किया है. अब जेल प्रशासन की तरफ से कैदियों की तरफ से रद्दी से तैयार विभिन्न तरह की मूर्तियां, पेंटिंग और लकड़ी के सामान की प्रदर्शनी आयोजित की गई है.

200 से ज्यादा कैदी जुड़े हैं इससे 

इन कैदियों को जेल में पेंटिंग सीख रहे आर्टिस्ट दीपक चौहान ने बताया कि यह सभी पेंटिंग में इन लोगों ने अपनी क्रिएटिविटी से बनाई है. जेल प्रशासन की तरफ से कलाकृति में रुचि रखने वाले 200 से ज्यादा कैदियों को जोड़ा गया है. जेल सहित अन्य सरकारी विभाग से निकलने वाले अखबार सहित दूसरे रद्दी से कैदियों की टीम ने मूर्तियां तैयार किया है. इसमें रद्दी के साथ पीओपी सहित अन्य जरूरी सामग्री को मिलाकर मूर्तियां बनाई है. इसमें भगवान, महापुरुषों सहित अन्य की आकर्षक मूर्तियां विभिन्न तरह के आकार में तैयार किया है. इसमें मूर्तियों के आकार के हिसाब से एक मूर्ति बनाने में समय और लागत लगती है. इन कैदियों को ट्रेनिंग देने के लिए प्रशासन की तरफ से टीचर भी नियुक्त है.

जेल की पूरी दीवारें रंगी हैं 

अक्सर जेल की दीवारों का रंग सफेद या पीला देखा जाता है लेकिन मॉडल जेल की दीवारों इन दिनों पूरी तरह से रंगों से सजी हुई हैं. जेल की दीवारों को सजाने का काम करने वाले कोई आम मजदूर नहीं है बल्कि जेल में ही बंद कैदियों ने किया है. जेल में कैद कैदियों के द्वारा रद्दी से बनाई पेंटिंग का भी कोई जवाब नहीं है. किसी ने शानदार पेंटिंग बनाकर ट्राइसिटी में डंका बजाया है. जेल के कैदियों की ओर से बनाई गई फ्रेम मुक्त और बिना फ्रेमयुक्त पेंटिंग भी प्रदर्शन में रखी गई है. इसके अलावा कैदियों की ओर से प्लांटर/पॉट्स  को मधुबनी और वारली शैली में रंगा गया है.

वहीं अतिरिक्त आइजी जेल डॉ पालिका अरोड़ा कहती हैं, “जेल में कैदियों के द्वारा टेबल, मेज, मंदिर सहित लकड़ियों के अन्य सामान बाजार में खूब बिक रहे है... इन्हीं को तैयार करने के दौरान बचने वाले लकड़ी के टुकड़ों का कैदियों ने बखूबी इस्तेमाल कर लैंपशेड, फोटो फ्रेम सहित अन्य सामान तैयार किया है. बुकिंग करने पर ये लैंपशेड सहित अन्य लकड़ी के सामान एक सप्ताह में रिसीव हो जाएगी.

 

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