Tipayi: लकड़ी से बनी है यह बैलेंस बाइक, बच्चों के साथ बड़ी होगी यह साइकिल

पुणे में रहने वाले प्रेम काले ने बच्चों के लिए एक खास बैलेंस बाइक बनाई है जिसका नाम है Tipayi. यह बैलेंस बाइक लकड़ी की बनी है और बहुत हल्की है.

Prem Kale in Shark Tank India (Photo: Instagram)
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 02 जून 2023,
  • अपडेटेड 2:00 PM IST
  • स्कूल छोड़कर पकड़ी अलग राह 
  • कई बार असफल हुए लेकिन हार नहीं मानी

साइक्लिंग करना सेहत और पर्यावरण दोनों ही दृष्टि से फायदेमंद है. खासकर कि अगर कम उम्र से ही साइक्लिंग की आदत बन जाए तो बच्चों की  मोटर स्किल्स भी अच्छी डेवलप होती हैं. हालांकि, बहुत से पैरेंट्स बच्चों को ट्रेनर व्हील वाली साइकिल देते हैं ताकि वे बिना गिरे प्रैक्टिस कर सकें. लेकिन बच्चों के लिए साइक्लिंग सीखने और बैलेंस करने का एक सबसे अच्छा तरीका है बैलेंस बाइक. आपको बता दें कि बैलेंस बाइक बच्चों की ऐसी साइकिल होती हैं जो थोड़ी नीची होती हैं और इनमें पैडल या ब्रेक नहीं होती हैं. इन्हें चलाने से बच्चों की मोटर स्किल्स बढ़ती हैं. 

बहुत से माता-पिता अपने बच्चों के लिए ये बैलेंस साइकिल बाहर से मंगवाते हैं. लेकिन आज हम आपको बता रहे हैं एक ऐसे भारतीय स्टार्टअप के बारे में जो बच्चों के लिए ये खास साइकिल बना रहा है और वह भी एकदम अनोखी. इस स्टार्टअप का नाम है Vamshycle, जिसे पुणे के 22 वर्षीय प्रेम काले ने साल 2019 में शुरू किया था. और यह स्टार्टअप Tipayi नामक ब्रांड के तहत बैलेंस बाइक बना रहा है. 

स्कूल छोड़कर पकड़ी अलग राह 
दसवीं कक्षा के बाद जब प्रेम काले ने स्कूल छोड़ने का फैसला किया, तो उनके माता-पिता परेशान हो गए. उन्होंने प्रेम को पहले अपनी ग्रेजुएशन पूरी करने की सलाह दी. लेकिन प्रेम उन्हें समझाने में कामयाब रहे कि औपचारिक शिक्षा उनके लिए नहीं है. और आज प्रेम एक इंवेंटर और उद्यमी हैं. उन्होंने बच्चों के लिए खुद लकड़ी की ट्राइसाइकिल बनाई है - जिसका नाम उन्होंने तिपाई रखा है - जिसमें कोई ब्रेक या पैडल नहीं है. 

प्रेम ने अपने मीडिया इंटरव्यूज में बताया है कि उस समय उन्होंने ग्रेजुएशन आदि में समय लगाने की बजाय मुंबई में मेकर्स असाइलम में एक महीने का कोर्स किया. यह संस्थान आपके अपने आइडियाज को साकार करने के लिए एक क्रिएटिव जगह है. यहां उन्होंने कारपेंटरी, लेजर कटिंग और 3डी प्रिंटिंग का हुनर ​​सीखा. इसके बाद ही उन्हें 2018 इंडियास्किल्स नेशनल कॉम्पिटिशन में भाग लेने का मौका मिला और कैबिनेट मेकिंग कैटेगरी में सेकंड रनर-अप रहे. 

इस सबके दौरान ही उन्होंने तिपाई पर काम करना शुरू किया. वह कई बार असफल हुए लेकिन हार नहीं मानी. आखिरकार उन्होंने प्रोटोटाइप बना लिया. 2019 में एक बच्चों की प्रदर्शनी में उन्होंने एक स्टॉल लगाया और उन्हें पॉजिटिव रेस्पॉन्स मिला. तब से, उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. 
 
क्या खास है तिपाई में
प्रेम की तिपाई की खासियत है कि यह लकड़ी की बनी ट्राइसाइकिल है और जो पार्ट मेटल से बने हैं, वे स्टेनलेस स्टील के हैं, ताकि आसानी से जंग न लगे. उन्होंने लकड़ी के लिए रूसी बिर्च प्लाईवुड का उपयोग किया है, जो हल्की है - इस तिपाई साइकिल का वजन केवल तीन किलोग्राम है. लकड़ी टिकाऊ होती है. तिपहिया साइकिल में तीन चौड़े पहिए हैं - दो पीछे और एक आगे. इन पहियों को उचित संतुलन और आसानी से मोड़ने के लिए लगाया जाता है.

इसमें पैडल नहीं होते हैं, इस प्रकार दो से पांच साल की उम्र के बच्चों के लिए बैठना और सवारी करना आसान हो जाता है. सीट को इस तरह से भी डिज़ाइन किया गया है कि यह बच्चों को बैठने और खेलने में सहज महसूस कराती है. इस तिपाई की खास बात है कि यह बच्चे की हाइट के हिसाब से बढ़ती है. 

इसका मतलब है कि बाइक को डिसमेंटल और अपग्रेड करके मामूली संशोधन के साथ, तीन अलग-अलग उम्र की कैटेगरी में बच्चों के लिए बनाया जा सकता है. यह 18 महीने से 2.5 साल के बच्चों के लिए ट्राईसाइकिल, 2.5 से 3.5 साल के बच्चों के लिए शॉर्ट ग्राउंड क्लीयरेंस साइकिल और 3.5 से 5 साल के बच्चों के लिए लंबी साइकिल के रूप में काम करती है. यूजर्स की मदद के लिए तिपाई के साथ एक इंस्ट्रक्शन मॉड्यूल आता है. 

 

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