पंजाबी घर में राजमा न बने, ऐसा तो कोई सोच ही नहीं सकता है. और राजमा सिर्फ पंजाब नहीं बल्कि उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली एनसीआर में भी खूब बनाया खाया जाता है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए पंजाब के एक किसान ने अपनी प्लेट से राजमा को अपने खेत तक पहुंचाया और अब राजमा की खेती से करोड़ों कमा रहा है.
यह कहानी है पंजाब के 'राजमा किंग' कहे जाने वाले सुरिंदर सिंह रंधावा की. 60 साल से ज़्यादा उम्र के रंधावा ने 12 साल पहले राजमा लगाना शुरू किया था. हालांकि, उन्हें बहुत से लोगों ने समझाया कि पंजाब की जलवायू ऐसी नहीं है कि यहां राजमा उगाया जाए. लेकिन अमृतसर के मनावाला कलां गांव के रहने वाले रंधावा ने यह चांस लिया.
तीन मरला जमीन से की शुरुआत
रंधावा ने सबसे पहले तीन मरला के छोटे से प्लॉट (एक एकड़ का लगभग 1.9%) पर राजमा लगाया. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए रंधावा ने कहा कि पंजाब के कृषि विश्वविद्यालय के रिसर्चर्स और पंजाब कृषि विभाग के अधिकारियों ने उनसे कहा था कि पंजाब राजमा उगाने के लिए उपयुक्त नहीं है क्योंकि इस फ़सल को ठंडी जलवायु की ज़रूरत होती है. राजमा ज़्यादातर जम्मू और हिमाचल प्रदेश में उगाया जाता है और इसे 10 से 27 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान की ज़रूरत होती है.
राजमा बहुत ही संवेदनशील फ़सल है और इसे उचित देखभाल और कम पानी की ज़रूरत होती है. लेकिन रंधावा ने सोचा कि पंजाब में अगर फ्रेंच बीन्स उगाई जा सकती हैं, तो राजमा क्यों नहीं.उन्होंने सबसे पहले राजमा की चितला या चित्तीदार किस्म उगाने का फैसला किया, जो पंजाब में अच्छी तरह से उग सकती है. दिलचस्प बात है कि रंधावा का प्रयास सफल रहा और उन्हें 90 दिनों में बंपर फसल मिली. इसके बाद से रंधावा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
कमाया एक करोड़ का मुनाफा
रंधावा अब पड़ोसी जिले गुरदासपुर के दूसरे किसानों को बीज उपलब्ध कराकर उनकी भी मदद कर रहे हैं. 2024 में, उन्होंने 74 एकड़ ज़मीन से लगभग 19 लाख रुपये के बीज सहित 1.25 करोड़ रुपये से ज्यादा की राजमा बेची और सभी खर्चों को पूरा करने के बाद लगभग 1 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा कमाया. रंधावा परिवार में पांच भाई हैं और उनके पास कुल 125 एकड़ जमीन है जिसमें से अब 80 एकड़ पर वे राजमा उगा रहे हैं.
रंधावा राजमा के बीज की जो किस्म इस्तेमाल कर रहे हैं वह 35 डिग्री तक तापमान में उगाई जा सकती है. पंजाब को गेहूं और धान की खेती के लिए जाना जाता है, लेकिन रंधावा का राजमा मॉडल अब कई किसानों के लिए खेल बदल रहा है. रंधावा के मार्गदर्शन में, पंजाब में, खासकर अमृतसर और गुरदासपुर में इस फसल की खेती जोर पकड़ रही है. उन्होंने अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर आदि के कई किसानों को 200 एकड़ जमीन के लिए राजमा का बीज बेचा है.
क्रॉप रोटेशन मॉडल से मिल रहा फायदा
उनका कहना है कि यह मिट्टी के लिए भी फायदेमंद है. राजमा, नाइट्रोजन को स्थिर करके प्राकृतिक रूप से मिट्टी को समृद्ध करता है, जो मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में मदद करता है. रंधावा एक क्रॉप रोटेशन मॉडल फॉलो करते हैं. जून से अक्टूबर की शुरुआत तक बासमती धान, मध्य अक्टूबर से जनवरी तक आलू और फरवरी से अप्रैल तक राजमा लगाते हैं. इस मॉडल से उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है.