इंडो-पाक बॉर्डर पर बसे लोगों का जीवन संवारने के लिए इस IAS ने शुरू की AaBAD पहल, 200 से ज्यादा गांवों में आया बदलाव

AaBAD Initiative: पंजाब में एक IAS अफसर ने खास पहल शुरू करके भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर बसे गांवों की तस्वीर बदलना शुरू किया है. इस एक पहल से हजारों लोगों की जिंदगी संवर रही है.

IAS Himanshu Aggarwal
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 06 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:32 PM IST

भारत-पाकिस्तान सीमा से लगे पंजाब के ज्यादातर गांव सामाजिक-आर्थिक और बुनियादी ढांचे के विकास में पिछड़े हुए हैं. लेकिन अब एक प्रशासनिक अधिकारी ने इस तस्वीर को बदलने की ठानी है. इस IAS अफसर ने एक परियोजना शुरू की है जो इस क्षेत्र के लोगों की समस्याओं का समाधान कर रहे है. इस परियोजना का उद्देश्य दूरदराज के गांवों के निवासियों तक पहुंच कर उनका समग्र विकास सुनिश्चित करना है. 

इस पहल को शुरू किया है डॉ. हिमांशु अग्रवाल ने, जो वर्तमान में गुरदासपुर जिले के डिप्टी कमिश्नर हैं. व्यापक बुनियादी ढांचे और सीमावर्ती जिलों के समग्र विकास के प्रति उनके जुनून के कारण AaBAD प्रोग्राम (एब्सोल्यूट बॉर्डर एरिया डेवलपमेंट) की शुरुआत हुई.

कैसे शुरू हुई पहल 'आबाद'
फिरोजपुर के रहने वाले अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि भारत-पाक सीमा पर स्थित गांवों ने दशकों से भू-राजनीतिक तनाव का खामियाजा भुगता है, जो अक्सर उनके पिछड़ेपन में नजर आता है. देश की सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देते हुए इन निवासियों के जीवन में बदलाव लाना आवश्यक है और इसलिए उन्होंने आबाद शुरू करने का फैसला किया. 

यह पहल सबसे पहले फाजिल्का में लागू की गई थी, जहां अग्रवाल गुरदासपुर में तैनात होने से पहले डीसी थे. अग्रवाल का कहना है कि इसके 3 कार्यक्षेत्र हैं - AaBAD सर्विस डिलीवरी कैंप, AaBAD संजीवनी कैंप (स्वास्थ्य), और AaBAD हुनर ​​हाट (कौशल विकास). AaBAD शिविरों का उद्देश्य सीमावर्ती क्षेत्रों में ग्रामीण स्तर पर पब्लिक सर्विस देना है. ये शिविर स्थानीय आबादी के बीच सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता फैलाते है और उन्हें अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए एक मंच प्रदान करते हैं. 

इन शिविरों में विभिन्न सेवाएं प्रदान की जाती हैं - जिनमें जाति प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र, ग्रामीण क्षेत्र प्रमाण पत्र, सीमा क्षेत्र प्रमाण पत्र, पेंशन संबंधी प्रमाण पत्र, स्वास्थ्य विभाग से संबंधित सेवाएं, ग्रामीण विकास और मनरेगा सेवाएँ, जॉब कार्ड का प्रावधान, जल आपूर्ति और स्वच्छता विभाग से संबंधित सेवाएं शामिल हैं.

हजारों लोगों तक पहुंचा फायदा 
अब तक, 37,950 लोग संजीवनी शिविरों से लाभान्वित हुए हैं, 25,000 से ज्यादा लोग सर्विस डिलीवरी से लाभान्वित हुए हैं और 32 हुनर ​​हाट स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) गठित हुए हैं. इन स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पाद ऑफ़लाइन और ऑनलाइन बेचे जा रहे हैं - इस प्रकार महिलाओं के लिए आय उत्पन्न हो रही है. 

राज्य पुलिस के साथ-साथ बीएसएफ कर्मी भी इन बलों में भर्ती के लिए युवाओं के बीच जागरूकता अभियान में शामिल हैं. वे लोगों को ड्रोन और नशीली दवाओं की गतिविधियों पर रिपोर्ट करने के तरीके के बारे में भी जागरूक करते हैं. गुरदासपुर में, AaBAD कैंप पिछले साल दिसंबर में शुरू किए गए थे और अब तक 200 से ज्यादा गांवों को कवर किया गया है. इस प्रकार 25,000 से ज्यादा लोगों को फायदा मिला है. इसके अलावा, सीमावर्ती गांवों में स्वास्थ्य विभाग और रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा AaBAD संजीवनी कैंप आयोजित किए जा रहे हैं. 

अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर विभिन्न स्थानों पर दो एम्बुलेंस तैनात की गई हैं. डॉक्टरों, फार्मासिस्टों, आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की एक टीम सीमावर्ती गांवों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए गांवों का दौरा करती है. हुनर हाट ने एसएचजी के उत्पादों की बिक्री से 1,88,320 रुपये कमाए गए हैं. 

 

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