Brij Raj Bhawan Palace: चंबल के किनारे आलीशान होटल, सुनाई देती है आहट! अंग्रेज मेजर की आत्मा से जुड़ी है Rajasthan के इस होटल की भूतिया कहानी

Rahasya: राजस्थान के कोटा का ब्रिजराज भवन पैलेस को भी भूतिया माना जाता है. इसमें अंग्रेज मेजर चार्ल्स बर्टन की आत्मा के भटकने की कहानी प्रचलित है. ये हवेली फिलहाल एक होटल के तौर पर इस्तेमाल की जाती है. कोटा राजघराने की पूर्व महारानी ने भी दावा किया था कि उन्होंने ड्राइंग रूम में मेजर चार्ल्स की आत्मा को देखा था.

Brijraj Bhawan Palace
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 19 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 5:42 PM IST

भारत में कई ऐसी जगहें, जिनको भूतिया माना जाता है. राजस्थान के कोटा का ब्रिजराज भवन पैलेस भी ऐसी ही है, जहां आत्माओं का बसेरा माना जाता है. इस होटल में आत्मा भटकने की कहानियां प्रचलित हैं. कई बार इस होटल में रुके टूरिस्टों ने भी किसी के होने का अहसास किया. ये होटल कभी हवेली हुआ करती थी. इस हवेली के भूतिया होने की कहानी एक अंग्रेज अधिकारी से जुड़ी है. कहा जाता है कि उस अंग्रेज मेजर की आत्मा इस होटल में घूमती है और टूरिस्टों को दिखाई देती है.

होटल में आत्मा के भटकने की कहानी-
कहा जाता है कि ब्रिजराज भवन पैलेस में भूतों का बसेरा है. माना जाता है कि अगर कोई सिक्योरिटी गार्ड ड्यूटी के दौरान सोता है तो भूत उसे जोरदार थप्पड़ मारते हैं. ऐसे में इस होटल में ड्यूटी के दौरान कोई भी गार्ड सोने की हिम्मत नहीं करता है. इतना ही नहीं, इस होटल में आने वाले कई टूरिस्ट भी इस बात को कबूल किया है कि इस होटल में किसी की आहट सुनाई देती है. अक्सर छत या बगीचे में किसी के चलने की आवाज आती है. ये भी कहा जाता है कि अगर रात के वक्त कोई छत या बगीचे में जाता है तो उसे थप्पड़ पड़ते हैं.

कोटा की पूर्व महारानी ने भी दावा किया था कि उन्होंने ड्राइंग रूम में कई बार मेजर चार्ल्स की आत्मा को देखा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक महारानी का कहना है कि मेजर की आत्मा ने उनको कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया. 

195 साल पुराना है होटल-
यह पुरान हवेली राजस्थावन के कोटा में है. इसका निर्माण साल 1830 में चंबल नदी के किनारे किया गया था. इसका निर्माण ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोटा राजघराने की आर्थिक मदद से किया था. साल 1900 में ब्रिटिश अधिकारी भरतपुर में शिफ्ट हो गए. उसके बाद ये हवेली कोटा राजघराने ने वापस ले ली. यह महाराव ब्रिजराज सिंह और उनके परिवार की प्राइवेट प्रॉपर्टी है. इस हवेली का आधा हिस्सा लग्जरी होटल में बदल दिया गया है.

क्या है अंग्रेज अफसर की आत्मा की कहानी-
इस हवेली का रहस्यमयी इतिहास है. साल 1857 में पहले स्वतंत्रता संग्राम के समय हिंदू और मुस्लिमों के बीच काफी विवाद होता था. अंग्रेज इसका फायदा उठाते थे और दोनों समुदाय को लड़ाने के लिए मस्जिद और मंदिर में सुअर का मांस फिकवा देते थे. लेकिन 1857 में पता चला कि अंग्रेज की बंदूकों में जो कारतूस इस्तेमाल होता है, उसमें गाय और सुअर की चर्बी मिलाई जाती है. इसके बाद भारतीय सैनिक भड़क गए और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विद्रोह भड़क उठा.

कहा जाता है कि विद्रोह के समय अंग्रेज मेजर चार्ल्स बर्टन और उसके दो बच्चे ब्रिजराज भवन में रहते थे. सिपाहियों ने इस भवन को चारों तरफ से घेर लिया. सिपाहियों ने मेजर और उके बेटों को मार डाला. उसके बाद से कहा जाता है कि मेजर का आत्मा इस हवेली में भटकती है.

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