Bhangarh Fort: चूड़ियां टूटने, औरतों के चिल्लाने की आवाज, परछाइयों का दिखना, 6 बजे के बाद एंट्री बैन... क्या सच में भूतिया है भानगढ़ का किला

Bhangarh Fort Mystery: भानगढ़ किला भारत की भूतिया जगहों में एक है. स्थानीय लोगों का मानना है कि यहां पर अजीब-अजीब घटनाएं होती रहती हैं. इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में राजा माधो सिंह ने करवाया था. यह किला चारों तरफ से पहाड़ों से घिरा है. सूर्यास्त के बाद किसी को भी इस किले में रुकने की इजाजत नहीं है.

Bhangarh Fort
शशिकांत सिंह
  • नई दिल्ली,
  • 12 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 4:36 PM IST

देश में कई रहस्यमयी जगहें हैं, जिसके बारे में कई तरह की डरावनी कहानियां प्रचलित है. राजस्थान का भानगढ़ किला भी ऐसा ही है. इस किले को भूतिया माना जाता है. कहा जाता है कि 400 साल पुराने इस किले में आत्माएं घूमती हैं. इस किले के कई अनसुलझे रहस्य हैं. इस किले में सूर्यास्त के बाद किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है.

400 साल पुराना है भानगढ़ किला-
राजस्थान के अलवर में एक छोटा सा गांव भानगढ़ है. इस गांव में एक किला है, जो भानगढ़ किले के नाम से जाना जाता है. इस किले का निर्माण 17वीं शताब्दी में किया गया था. यह किला प्राचीन और मध्य काल का एक नमूना है. इसका निर्माण माधो सिंह ने अपने छोटे बेटे मान सिंह के लिए करवाया था.

आत्माएं करती हैं संवाद-
भानगढ़ किले के बारे में एक कहा जाता है कि यहां आत्माएं साथ बात करती हैं. स्थानीय लोग इस किले को भूतिया मानते हैं. स्थानीय लोगों का मानना है कि इक किले से औरत के चिल्लाने, चूड़ियां टूटने और रोने की आवाज आती है. इतना ही नहीं, उनका ये  भी मानना है कि किले से संगीत की आवाजें भी आती हैं. कभी-कभी किले में परछाइयां भी दिखाई देती हैं. कई बार पर्यटकों को ऐसा प्रतीत हुआ है कि कोई उनका पीछा कर रहा है और पीछे से थप्पड़ मार रहा है. इस किले से अजीब सी गंध भी आती है.

इस किले के पास भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की तरफ से एक बोर्ड लगाया है, जिसपर लिखा है कि भानगढ़ की सीमा में सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद एंट्री की इजाजत नहीं है. बोर्ड पर लिखा है कि अगर कोई इस नियम का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

किले से जुड़ी तपस्वी की कहानी-
भानगढ़ किले के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं. इसमें से एक कहानी तपस्वी से जुड़ी है. जिसके मुताबिक इस किले को बनाने के लिए राजा माधो सिंह ने इस इलाके में रहने वाले तपस्वी गुरू बालूनाथ से इजाजत मांगी थी. तपस्वी बालूनाथ ने इसके लिए एक शर्त रख दी. उनकी शर्त थी कि महल की छाया उनके एकांतवास पर नहीं पड़नी चाहिए. तपस्वी ने ये भी कहा था कि अगर ऐसा होता है तो इसकी कीमत इस महल और इसमें रहने वाले लोगों को चुकानी पड़ेगी. कहा जाता है कि जब किले का निर्माण हो रहा था तो इस शर्त की अनदेखी की गई. किले की दीवार की छाया तपस्वी के एकांतवास पर पड़ी. जिसके बाद ये पूरा किला बर्बाद हो गया.

तांत्रिक की कहानी भी प्रचलित-
भानगढ़ किले को लेकर एक तांत्रिक की कहानी भी प्रचलित है. भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बहुत सुंदर थी. उनकी सुंदरता की चर्चा आसपास के राज्यों में भी होती थी. उस इलाके में एक तांत्रिक रहता था. उसे राजकुमारी पसंद आ गई. लेकिन वो जानता था कि ये जोड़ी बनना संभव नहीं है. एक दिन जब राजकुमारी बाजार में खरीदारी कर रही थीं तो उस समय तांत्रिक भी बाजार में मौजूद था. राजकुमारी ने जो सामान खरीदा था, उसमें तांत्रिक ने काला जादू कर दिया. तांत्रिक को ऐसा करते हुए राजकुमारी ने देख लिया था. इसलिए उन्होंने सारा सामान जमीन पर फेंक दिया. जैसे ही उन्होंने सामान जमीन पर फेंका, सब पत्थर बन गया. ये पत्थर तांत्रिक की तरफ लुढ़क गया, जिससे वो कुचला गया. लेकिन जादूगर ने मरने से पहले श्राप दे दिया कि कभी भी किसी के सिर पर छत नहीं होगी. ऐसी मान्यता है कि इस इलाके में जो भी घर बनता है, उसकी छत रात में गिर जाती है.

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