भले ही आधुनिक समय में लोग भूत-प्रेत पर यकीन नहीं करते हैं, लेकिन दुनिया में कई ऐसी जगहें हैं, जहां आत्माओं के भटकने की कहानियां प्रचलित है. मुंबई का सबसे आलीशान होटल ताज पैलेस को लेकर भी भूतिया कहानियां फेमस हैं. कहा जाता है कि इस होटल में आत्म घूमती है और ये आत्मा एक आर्किटेक्ट की है, जिसने इस होटल में खुदकुशी कर ली थी. ये होटल करीब 121 साल पहले खोला गया था.
घूमता है आर्किटेक्ट का भूत!
जमशेदजी टाटा ने होटल का वास्तुशिल्प प्लान डब्ल्यूए चैंबर्स से डिजाइन करवाया था. लेकिन जब चैंबर्स इंग्लैंड की यात्रा से लौटे तो उन्होंने देखा कि होटल का निर्माण उनके प्लान के मुताबिक नहीं हुआ है. होटल पूरी तरह से उल्टी दिशा में बना है. इससे आहत होकर आर्किटेक्ट चैंबर्स ने होटल की 5वीं मंजिल से कूदकर खुदकुशी कर ली. माना जाता है कि इस होटल के ओल्ड विंग में आज भी चैंबर्स का भूत घूमता है. कई लोगों ने उनकी आत्मा को इस होटल में घूमते हुए अनुभव कि्या है. कहा जाता है कि चैंबर्स का भूत होटल की निगरानी करता है. कहा जाता है कि एक बार स्टाफ का एक सदस्य कीमती चांदी के बर्तन चुराने का प्रयास कर रहा था, लेकिन चैंबर्स के भूत ने उसे बेहोश कर दिया.
इस होटल का निर्माण क्यों हुआ-
एक बार जेआरडी टाटा घूमने के लिए ब्रिटेन गए थे. उनको वहां के वाटसन होटल में भारतीय होने की वजह से अपमानित होना पड़ा. क्योंकि होटल में सिर्फ अंग्रेजों की एंट्री थी. इसके बाद उन्होंने ऐसा ही होटल बनाने का फैसला किया. जब वो भारत लौटे तो उन्होंने ताजमहल होटल का निर्माण करवाया. यह देश की पहली ट्रेडमार्क बिल्डिंग है. इस होटल का शुभारंभ 16 दिसंबर 1903 को हुआ था.
13 रुपए था होटल का किराया-
यह भारत का पहला ऐसा होटल था, जहां बिजली थी. भारत का पहला इंटरनेशनल डिस्कोथेक भी ताज महल होटल में बना था. इस होटल में कभी सिंगल रूम का किराया 10 रुपए और पंखे-अटैच्ड बाथरूम वाले रूम का किराया 13 रुपए था. लेकिन आज इस होटल में एक दिन ठहरने के लिए 25 हजार रुपए खर्च करने पड़ते हैं. पहले विश्व युद्ध के दौरान इस होटल में अस्पताल में बदल दिया गया था. इसमें 600 बेड लगवाए गए थे.
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