मध्य प्रदेश के रहने वाले एक सात वर्षीय बच्चे को सर गंगा राम अस्पताल में एमरजेंसी में लाया गया. उस वक्त बच्चे में खूनी दस्त, दिमाग में सूजन और शरीर में जहर के लक्षण दिख रहे थे. डॉक्टरों ने जब जांच की तो पाया कि बच्चे को एब्रिन नाम का जहर दिया गया था, जो अब्रस प्रीटोरियस नाम के पौधे के बीजों से निकलता है. भारत में इसे रत्ती या गुंची भी कहा जाता है.
एब्रिन के संपर्क में आने से बचना चाहिए
इस पौधे का जहर सांप के जहर जितना खतरनाक होता है. और समय पर इलाज न होने पर मौत भी हो सकती है. एब्रिन ज़हर का कोई तोड़ नहीं है, इसलिए सबसे जरूरी बात ये है कि लोगों को एब्रिन के संपर्क में आने से बचना है. अगर आपका काम इससे जुड़ा हुआ है तो एब्रिन को जल्द से जल्द शरीर से बाहर निकालने की कोशिश करनी चाहिए.
सांप के जहर जितना खतरनाक होता है रत्ती
एब्रिन एक ऐसा जहर है जो सांप के जहर से भी खतरनाक होता है. एब्रिन किसी व्यक्ति के शरीर की कोशिकाओं के अंदर जाकर बीमारी का कारण बनता है और कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने से रोकता है. प्रोटीन के बिना कोशिकाएं मर जाती हैं, जिससे व्यक्ति की मौत हो सकती है. इस पौधे के सभी हिस्से जहरीले होते हैं. बीज बेस्वाद और गंधहीन होते हैं.
कुछ फायदे भी हैं
हालांकि ऐसी बात नहीं है कि इस पौधे से केवल जहर ही बनाया जाता है. यह औषधीय पौधा भी है, जिसका इस्तेमाल आयुर्वेद की औषधि के रूप में किया जाता है. गुंजा के पौधे से मिलने वाला अर्क एंटीकैंसर और एंटीट्यूमर गुणों से भरपूर है. जोकि कैंसर के इलाज में मददगार होता है. यह शरीर में कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने से रोकता है. हालांकि बिना परामर्श लिए इसका सेवन न करें. रत्ती का पौधा शुक्राणु उत्पादन को प्रभावित करता है. इसके पौधे पहाड़ों में काफी पाए जाते हैं. अगर दिखने की बात करें तो यह लाल और काले रंग का होता है. इसका वैज्ञानिक नाम Abrus precatorius है. बिना एक्सपर्ट की सलाहनुसार रत्ती की पत्तियों या बीजों का इस्तेमाल न करें.