Icecream Man Of India: फल व्यापारी के बेटे के रूप में बढ़ी फलों की समझ, देखते ही देखते नेचुरल्स के रघुनंदन कामथ ने खड़ा कर दिया 400 करोड़ का बिजनेस

Remembering Ice Cream Man of India: नेचुरल्स आइसक्रीम की सफलता का एक प्रमुख कारण आर्टिफिशियल टेस्ट की जगह नेचुरल स्वाद है. इसी वजह से ये आइसक्रीम पसंद करने वालों की पहली चॉइस हो गई. 

Raghunandan Kamath (Photo: Natural's Official Website)
अपूर्वा सिंह
  • नोएडा ,
  • 19 मई 2024,
  • अपडेटेड 10:31 AM IST
  • फलों की गहरी समझ रखते थे रघुनंदन श्रीनिवास
  • धीरे-धीरे किया गुणवत्ता में सुधार 

हम सभी के सामने कभी-कभी ऐसा मोमेंट आता है जब हमें आइसक्रीम की क्रेविंग्स होने लगती हैं. और जब इस क्रेविंग को पूरा करने की बात आती है, तो ज्यादातर लोगों के दिमाग में नैचुरल्स आइसक्रीम (Natural's Icecream) ही आती है. लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि आखिर इस आइसक्रीम के और इसे बनाने वाले के पीछे की कहानी क्या है. दरअसल, ये कहानी नेचुरल्स आइसक्रीम के संस्थापक रघुनंदन श्रीनिवास कामथ (Raghunandan Srinivas Kamath) की है, जिनका हाल ही में निधन हो गया. रघुनंदन श्रीनिवास कामथ को भारत का आइसक्रीम मैन (Icecream Man Of India) भी कहा जाता है. साधारण शुरुआत से लेकर लगभग 400 करोड़ रुपये का बिजनेस बनाने की उनकी ये यात्रा बेहद कम लोग जानते हैं.

फलों की गहरी समझ रखते थे रघुनंदन श्रीनिवास

रघुनंदन श्रीनिवास कामथ के शुरुआती साल कड़ी मेहनत और सादगी से गुजरे. कर्नाटक में एक फल व्यापारी के बेटे के रूप में पले-बढ़े, उन्होंने अपना बचपन फलों के बिजनेस में अपने पिता की मदद करने में बिताया.  इस अनुभव के माध्यम से, रघुनंदन श्रीनिवास को काफी कुछ सीखने को मिला और फलों की गहरी समझ मिली. इस समझ ने उन्हें आइसक्रीम मैन ऑफ इंडिया बनाने में काफी मदद की. हालांकि, वे पढ़ाई में ज्यादा अच्छे नहीं थे लेकिन उनकी बिजनेस की समझ ने उनकी जिंदगी बना दी. 

14 साल की उम्र में, रघुनंदन सपनों के शहर मुंबई चले गए, जहां उन्होंने अपने भाई के दक्षिण भारतीय रेस्टोरेंट में काम किया. उनके जीवन का यह चरण काफी जरूरी रहा, क्योंकि यहीं से उनके मन में बिजनेस करने का भाव जगा. उन्हें लगा कि अब उन्हें कुछ नया करना चाहिए.
     
नेचुरल्स आइसक्रीम का जन्म

नेचुरल्स आइसक्रीम की यात्रा 14 फरवरी 1984 को केवल चार कर्मचारियों और कुछ आवश्यक सामग्रियों के साथ मामूली रूप से शुरू हुई. शुरुआत में बारह किस्मों की पेशकश करते हुए, रघुनंदन ने आइसक्रीम फ्लेवर बनाने के लिए फलों का फायदा लिया. उन्होंने ग्राहकों को लुभाने के लिए एक चतुर रणनीति अपनाई. उन्होंने मेन डिश के रूप में पाव भाजी परोसना और आखिर में मिठाई के रूप में आइसक्रीम पेश करना शुरू किया. यह सोच सफल रही. बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ने लगी और लोग उनकी आइसक्रीम के दीवाने हो गए. अपने पहले साल में, रघुनंदन श्रीनिवास के छोटे जुहू स्टोर ने 5,00,000 रुपये की बिक्री की थी. 

धीरे-धीरे किया गुणवत्ता में सुधार 

अपने फ्लवेर की सफलता और जनता की सकारात्मक प्रतिक्रिया से उत्साहित होकर, रघुनंदन श्रीनिवास ने खुद को पूरी तरह से आइसक्रीम इंडस्ट्री के लिए समर्पित करने का फैसला किया. इस दौरान उन्होंने अपने प्रोडक्ट की गुणवत्ता में काफी सुधार किया. समय के साथ, नेचुरल्स एक सिंगल स्टोर से पूरे देश में फैल गया. 2020 तक भारत भर में 135 स्थानों पर नेचुरल्स आइसक्रीम पहुंच गई थी. 

नेचुरल्स आइसक्रीम की सफलता का एक प्रमुख कारण आर्टिफिशियल टेस्ट की जगह नेचुरल स्वाद है. इसी वजह से ये आइसक्रीम पसंद करने वालों की पहली चॉइस हो गई. 

400 करोड़ का बिजनेस 

वित्त वर्ष 2020 तक कंपनी का रेवेन्यू  400 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया था. स्कूल से ड्रॉपआउट लेने वाले और एक फल विक्रेता के बेटे से लेकर 'आइसक्रीम मैन ऑफ इंडिया' तक का रघुनंदन श्रीनिवास कामथ का सफर कई महत्वाकांक्षी लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है. उनकी कहानी अपनी जड़ों से जुड़े रहने और उसके साथ इनोवेशन को बढ़ावा देने की है. 
 

 

Read more!

RECOMMENDED