Rights for Every Indian Woman: एक महिला के रूप में क्या खुद से जुड़े ये जरूरी कानून जानती हैं आप?

महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और समानता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारतीय संविधान में कई अधिकार दिए गए हैं. हम आपको कुछ ऐसे ही कानूनों और अधिकारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सभी महिलाओं को पता होने चाहिए.

Rights for every Indian woman (Image Credit: India Today)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 12:22 PM IST
  • समान काम के लिए समान वेतन
  • गरिमा और शालीनता

आज महिलाएं घर से अकेले बाहर निकलने से लेकर खुद के फैसले तक लेने लगी हैं. लेकिन एक और जहां दुनिया में जहां देवी-देवताओं की पूजा की जाती है, महिलाएं अक्सर खुद को अलग-अलग प्रकार के दुर्व्यवहार और भेदभाव का शिकार पाती हैं. हालांकि, महिलाओं की सुरक्षा, गरिमा और समानता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारतीय संविधान में कई अधिकार दिए गए हैं. इतना ही नहीं महिलाओं के लिए कई कानून हैं जो उन्हें सुरक्षा देते हैं. दुर्भाग्य से, कई महिलाएं अपने अधिकारों से अनजान हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे ही कानूनों और अधिकारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो सभी महिलाओं को पता होने चाहिए.

1. समान काम के लिए समान वेतन

महिलाओं को समान काम के लिए समान वेतन पाने का अधिकार है. इसका अधिकार इक्वल रैम्यूनरेशन एक्ट (Equal Remuneration Act) में दिया गया है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि जब सैलरी या काम की बात आती है तो कोई भी उनके साथ लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता है.

2. गरिमा और शालीनता

ऐसे मामलों में जहां एक महिला पर आरोप लगाया गया है, उसकी गरिमा और शालीनता की रक्षा करते हुए, किसी अन्य महिला द्वारा या उसकी उपस्थिति में चिकित्सा जांच की जानी चाहिए. 

3. वर्कप्लेस पर उत्पीड़न से सुरक्षा

वर्कप्लेस पर महिलाओं को यौन उत्पीड़न से बचाने के लिए वर्कप्लेस एक्ट दिया गया है. इसके तहत किसी भी प्रकार के सेक्शुअल हैरेसमेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज की जा सकती है. इसका अधिकार महिलाओं को है. वे तीन महीने के भीतर आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) को लिखित शिकायत प्रस्तुत कर सकते हैं.

4. घरेलू हिंसा से सुरक्षा

भारतीय संविधान की धारा 498 महिलाओं को मौखिक, आर्थिक, भावनात्मक और यौन शोषण सहित उनके पतियों या रिश्तेदारों द्वारा घरेलू हिंसा से बचाती है. दोषी पाए जाने पर अपराधियों को जेल और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है. 

5. यौन उत्पीड़न में पीड़ितों की गोपनीयता 

अपनी गोपनीयता की रक्षा के लिए, यौन उत्पीड़न पीड़ित मुकदमे के दौरान अपनी पहचान गुप्त रखने के लिए जिला मजिस्ट्रेट या महिला पुलिस अधिकारी के समक्ष अपना बयान दर्ज करा सकती हैं.

6. फ्री कानूनी सहायता

बलात्कार पीड़ितों को कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम के तहत मुफ्त कानूनी सहायता का अधिकार है. अगर महिला खुद सक्षम नहीं है तो इसके तहत न्याय पाने के लिए बलात्कार पीड़ितों के लिए वकीलों की व्यवस्था कराना जरूरी है. 

7. रात में गिरफ्तारी नहीं

असाधारण मामलों को छोड़कर, महिलाओं को सूरज छिपने के बाद और सूरज निकलने से पहले गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है. पुलिस उनसे केवल महिला कांस्टेबल और परिवार के सदस्यों या दोस्तों की मौजूदगी में ही पूछताछ कर सकती है.

8. वर्चुअल शिकायतें

महिलाएं ईमेल या रजिस्टर्ड डाक पते के माध्यम से वर्चुअल शिकायतें दर्ज कर सकती हैं. अगर महिला शारीरिक रूप से पुलिस स्टेशन नहीं जा सकती हैं तो उन्हें उनके घरों पर शिकायतें दर्ज करने के लिए किसी पुलिस अधिकारी को भेजा जाता है.

9. पीछा करने से सुरक्षा

भारतीय दंड संहिता की धारा 354डी के अनुसार, किसी महिला का उसकी स्पष्ट अरुचि के बावजूद बार-बार पीछा करने, संपर्क करने या निगरानी करने वाले व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. 

10. जीरो एफआईआर

महिला किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज कर सकती है. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि पीड़िता किस क्षेत्र की है, वह किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज कर सकती है. 

इस महिला दिवस पर, आइए हम महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता फैलाकर सशक्त बनाएं और यह सुनिश्चित करें कि जीवन के हर क्षेत्र में उन्हें बरकरार रखा जाए और उनका सम्मान किया जाए. 


 

Read more!

RECOMMENDED