Black और Pink ही नहीं भारत का Natural Brown Salt भी सेहत के लिए है अच्छा, 300 सालों से नमक बना रहा है यह गांव, आजादी आंदोलन से जुड़े तार

सफेद, ब्लैक और पिंक नमक के अलावा भारत में एक और नमक बनता है और यह है Brown Salt. कर्नाटक के गोकर्णा में सानिकट्टा नामक जगह पर यह प्राकृतिक भूरा नमक बनाया जाता है जिससे न सिर्फ यहां के लोगों की कमाई हो रही है बल्कि यह नमक स्वास्थ्य के लिए अच्छा है.

Sanikatta Salt (Photo: Instagram)
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • 23 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 3:19 PM IST

एक बार गोवा जाने का सपना हर किसी का होता है लेकिन गोवा में बढ़ती भीड़ को देखते हुए अब टूरिस्ट ऑफबीट लोकेशन तलाशते हैं. बीच का मजा लेने के लिए एक ऐसी जगह है कर्नाटक का गोकर्णा. गोकर्णा में अलग-अलग जगहों पर कई बीच हैं जहां आप घूमने के लिए जा सकते हैं. बीच के अलावा यहां मंदिरों के दर्शन भी कर सकते हैं. गोकर्णा के बारे में एक और खास बात है और वह है यहां का सानिकट्टा गांव. अगर आपको देखना हो कि नमक कैसे बनता है तो इस गांव में जाना भी बनता है.  

जी हां, सिर्फ गुजरात ही नहीं, गोकर्णा में भी नमक बनाया जाता है. सफेद, काले और पिंक नमक के बीच, गोकर्णा का सानिकट्टा नमक ब्राउन यानी भूरे रंग का होता है. सानिकट्टा कर्नाटक का सबसे पुराना नमक उत्पादक गांव है जहां पिछले 300 सालों से नमक बनाया जा रहा है. साल 1720 से इस गांव में नमक बनाया जाता है और मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तक हर दिन लगभग 100 टन नमक का उत्पादन होता है. 

कैसे बनता है यह नमक 
सानिकट्टा नमक एक प्राकृतिक नमक है. यह नमक अघानाशिनी बेसिन में बहने वाले पानी से निकाला जाता है. यह लगभग 1000 वर्ग किमी क्षेत्र में है. बारिश के महीनों में पानी को बेसिन से लिया जाता है और एक बड़े तालाब में स्टोर किया जाता है, जहां पानी प्राकृतिक रूप से वाष्पित होता है. सितंबर के अंतिम सप्ताह के आसपास, पानी को कंडेनसर में चार्ज किया जाता है. जब यह अंतिम कंडेनसर तक पहुंचता है, तो यह पानी 20-24 डिग्री घनत्व (Density) हासिल कर चुका होता है. आखिरी स्टेप है क्रिस्टलाइजेशन. हम जो नमक खाते हैं उसका घनत्व लगभग 27-30 डिग्री होना चाहिए. 

डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1952 से पहले लोग अलग-अलग अपना-अपना नमक बनाते थे. लेकिन 1952 में इस क्षेत्र के लगभग 60 नमक निर्माताओं, दोनों बड़े और छोटे, ने एक सहकारी समिति बनाने का फैसला किया. सोसायटी के गठन के बाद, नमक-प्रोसेसिंग यूनिट लगभग 400 एकड़ मं फैल गई है और अब यह भारत की सबसे बड़ी यूनिट्स में से एक है. इस नमक को सानिकट्टा या गोकर्णा नमक के नाम से जाना जाता है. 

स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है यह 'ब्राउन' नमक 
नागरबेल साल्ट ओनर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी के अध्यक्ष अरुण नादकर्णी ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में बताया, "हम प्राकृतिक प्रक्रिया का उपयोग करके अघनाशिनी नदी के पानी से नमक का उत्पादन करते हैं, यही वजह है कि इसका रंग भूरा होता है. यह नमक एक औषधीय उत्पाद है, जिसमें लगभग 96 प्रतिशत मिनरल्स होते हैं, जिनमें से 4 प्रतिशत दुर्लभ मिनरल्स होते हैं. हम सिर्फ पोटेशियम आयोडाइड मिलाते हैं.” उनका कहना है कि आयुर्वेद और नेचुरोथेरेपी सेंटर्स में भी भूरे नमक की मांग है क्योंकि इससे काफी स्वास्थ्य संबंधित फायदे होते हैं. 

सोसायटी विज्ञापन और मार्केटिंग पर कोई पैसा खर्च नहीं करती है. नमक क्षेत्र और उत्पादन यूनिट में सानिकट्टा और पड़ोसी गांवों के 200 से ज्यादा लोग काम करते हैं. नमक के उत्पादन के लिए आज भी यहां इको-फ्रेंडली तरीका अपनाया जाता है. प्राकृतिक जल और सौर ऊर्जा को इसके लिए इस्तेमाल किया जाता है. 

नमक सत्याग्रह में लिया हिस्सा 
डेक्कन हेराल्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस क्षेत्र के लोगों ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में नमक सत्याग्रह में भाग लिया था. 13 अप्रैल, 1930 को, स्वतंत्रता सेनानी आर आर दिवाकर के नेतृत्व में अंकोला में लगभग 40,000 लोगों ने सत्याग्रह में भाग लिया,. यहां एक अन्य नेता एम पी नाडकर्णी ने सानिकट्टा नमक के एक पैकेट की नीलामी की. रेवू होन्नप्पा नायक ने नमक का पैकेट 30 रुपये में खरीदा, जिससे कानून का उल्लंघन हुआ. पुलिस ने सत्याग्रह के नेताओं - आर आर दिवाकर, कर्नाड सदाशिव राव, डॉ एन एस हार्डिकर और उमाबाई कुंडापुर को गिरफ्तार कर लिया. नमक मार्च 45 दिनों तक निर्बाध रूप से जारी रहा जब पूरे तटीय कर्नाटक के लोगों ने आंदोलन में भाग लिया. इस प्रकार सनिकट्टा ने नमक सत्याग्रह में भूमिका निभाई. 

सनिकट्टा नमक के अलावा, भारत में राजस्थान में सांभर झील के पानी से काला प्राकृतिक नमक उत्पन्न होता है. गुलाबी हिमालयी समुद्री नमक का उत्पादन ज्यादातर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में होता है. आप प्रोसेस्ड नमक की जगह इन प्राकृतिक नमक को खाने में शामिल कर सकते हैं. 

 

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