सड़क के गड्ढों से हुए हादसों को देखते हुए आरिफ ने उठाया अनोखा कदम, ठीक करने के लिए लिया बैंक से 2.7 लाख का लोन  

बेहतर सड़कों, नालियों और दूसरी नागरिक सुविधाओं के अनुरोध के लिए कई बार ये लोग क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से मिले, लेकिन किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जब राजनेता इन मुद्दों के प्रति उदासीन दिखे तो उन्होंने ये कदम उठाया.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 21 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 2:22 PM IST
  • लिया 2.7 लाख का लोन 
  • सड़क के गड्ढों से हो चुके कई हादसे 

कई बार जब हमें कुछ नजर नहीं आता तो हम खुद आगे बढ़कर उस काम को करते हैं. दूसरों की मदद या उनके द्वारा उसे ठीक करने का इंतजार नहीं करते हैं. ठीक ऐसा ही किया बेंगलुरु के आरिफ मृदुल ने. जब उन्होंने देखा कि गड्ढों को भरने के साथ साथ बेहतर नागरिक सुविधाएं देने की उनकी दलीलों पर कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है तो उन्होंने खुद आगे बढ़ने का निर्णय लिया. सड़कों पर मौजूद इन गड्ढों को भरने के लिए उन्होंने खुद 2.7 लाख रुपये का लोन लिया. 

लिया 2.7 लाख का लोन 

दरअसल, सरकार की "उदासीनता" से तंग आकर, 'सिटीजन्स ग्रुप, ईस्ट बेंगलुरु' ने रविवार को टैक्स भरने का बहिष्कार करने के लिए एक अभियान 'नोडेवलपमेंटनोटैक्स' (NoDevelopmentNoTax) शुरू किया. पिछले हफ्ते, ग्रुप के सदस्यों ने एक साथ मिलकर हलनायकनहल्ली, मुनेश्वर लेआउट और चूड़ासंद्रा में 6 किमी की दूरी पर गड्ढों को ठीक करने के लिए पैसे दिए थे. 

इस समूह के संस्थापक सदस्य, 32 साल के आरिफ मुद्गल हैं. जिन्होंने इस मिशन के लिए 2.7 लाख रुपये का लोन लिया. आरिफ मुद्गल ने टीओआई को बताया कि उन्होंने कुछ दिन पहले होसा रोड पर दो दुर्घटनाएं देखीं, जिसने उन्हें मदद करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा, “मेरे अपार्टमेंट के पास रहने वाली एक महिला उस समय घायल हो गई जब वह जिस ऑटो में यात्रा कर रही थी वह होसा रोड पर एक गड्ढे से टकराकर पलट गया."

सड़क के गड्ढों से हो चुके कई हादसे 

आरिफ कहते हैं, “14 अगस्त की रात को उसी गड्ढे से बचने की कोशिश में एक ई-कॉमर्स फर्म का एक डिलीवरी एजेंट भी घायल हो गया था. वह एक कार से टकरा गया और उसका पैर टूट गया. मुझे बाद में पता चला कि वह मांड्या से है और अपने नौ सदस्यीय परिवार में अकेला कमाने वाला है. मुझे बड़ी परेशानी महसूस हो रही थी. इसलिए ये करना का सोचा.”

कैसे बना सिटिजंस ग्रुप?

सिटिजंस ग्रुप कैसे बना इसके बारे में बाते करते हुए आरिफ कहते हैं, “मेरी जैसी ही विचारधारा रखने वाले लोगों ने पांच साल पहले 'सिटीजंस ग्रुप, ईस्ट बेंगलुरु' की स्थापना की थी. ग्रुप के दूसरे सदस्यों ने भी पैसों में योगदान दिया और हमने कुछ गड्ढों को ठीक किया. लेकिन हमारे पास पैसे ख़त्म हो गए, इसलिए मैंने कर्ज लिया." 

ग्रुप के एक सदस्य मिथिलेश कुमार ने टीओआई से कहा कि वे बेहतर सड़कों, नालियों और अन्य नागरिक सुविधाओं के अनुरोध के लिए कई बार क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से मिले, लेकिन किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. राजनेता इन मुद्दों के प्रति उदासीन हैं. उन्हें लगता है कि इन इलाकों के निवासी दूसरे राज्यों या जगहों से हैं. इसलिए, हमने रविवार को प्रॉपर्टी टैक्स बॉयकॉट अभियान शुरू किया है.

 

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