लालमुन्नी को उनकी मां कभी प्यार करती हैं, गले लगाती हैं तो कभी उनका माथा चूमती हैं. लाल मुन्नी 24 साल की हैं और आज 16 साल बाद वो अपनी मां से मिल रही हैं. दरअसल 16 साल पहले लाल मुन्नी अपनी मां के ही साथ दिल्ली आई थी लेकिन खो गईं थी, उस वक्त लाल मुन्नी की उम्र सिर्फ 7 साल की थी. मां बेटी को मिलवाने का ये शानदार काम किया है हरियाणा पुलिस के एएसआई राजेश कुमार ने. राजेश कुमार की समझदारी और हिम्मत का ही नतीजा है कि उन्होने सिर्फ 4 महीने में 16 साल परिवार से दूर लाल मुन्नी को आज परिवार से मिलवा दिया. एएसआई राजेश कुमार बताते हैं कि ये काम इतना भी आसान नहीं था.
बिहार, राजस्थान, असम सहित कई राज्यों में की जानकारी
एएसआई राजेश कुमार हरियाणा पुलिस की स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफीकिंग में तैनात हैं. राजेश कुमार का वीडियो लाल मुन्नी ने सोशल मीडिया पर देखा. लड़की ने उनसे संपर्क किया और अपने माता पिता को ढूढ़ने की गुजारिश की. राजेश कुमार बताते हैं कि जब लड़की अपनी मां से अलग हुई थी उस वक्त उसकी उम्र महज 7 साल की थी. लाल मुन्नी को अपने माता-पिता के नाम के अलावा कोई ठोस जानकारी याद नहीं थी. राजेश कुमार लाल मुन्नी से घंटों फोन पर बात करते थे उससे उसकी बचपन की यादों के बारे में पूछते, गांव के बारे में पूछते, खेती के बारे में पूछते, ऐसे करते करते उन्होंने कुछ विशेष चीजें निकाल ली जिससे लाल मुन्नी के गांव का पता चल गया. पता चला कि वो झारखंड के गुमला की रहने वाली है. इसके बाद उसके परिवार का पता चल गया.
22 साल की नौकरी, 6 साल में ढूंढ़ निकाले 672 गुमशुदा लोग
एसआई राजेश कुमार साल 2000 में हरियाणा पुलिस में कांस्टेबल के पद पर भर्ती हुए थे. 2013 से वह स्टेट क्राइम ब्रांच की एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग सेल में काम कर रहे हैं. साल 2016 से राजेश ने मिसिंग लोगों को ढूंढना शुरू किया. राजेश बताते हैं कि तब से लेकर आज तक 672 गुमशुदा लोगों को वह परिवार से मिलवा चुके हैं. सबसे बड़ी बात यह कि एएसआई राजेश कुमार ने मानसिक रूप से विक्षिप्त लोगों को भी उनके घर तक पहुंचाया है. राजेश बताते हैं कि अब तक 35- 40 विक्षिप्त बच्चों को उनके परिवार तक पहुंचाया है. यही नहीं सबसे ज्यादा विक्षिप्त महिलाओं को उनके परिवार से मिलवाया है.
डेढ़ साल के बच्चे का घर डायपर से ढूंढ़ा
एसआई राजेश कुमार को लोग बजरंगी भाईजान के नाम से भी बुलाते हैं. वह बताते हैं कि एक बार एक डेढ़ साल के मिसिंग बच्चे के परिवार को बच्चे के डायपर के जरिए ढूंढा. बच्चे ने किसी लोकल ब्रांड का डायपर पहन रखा था. ऐसा ब्रांड कहां पर मिलता है, यह ढूंढते हुए राजेश बच्चे के घर तक पहुंच गए थे. राजेश बताते हैं कि कई बार कई तरह की कठिनाइयों का सामना भी करना पड़ता है. वह बताते हैं एक बार तो एक परिवार ने उन्हें ही किडनैपर समझ लिया और पुलिस बुला ली. हालांकि सब कुछ जानने के बाद परिवार ने उनसे माफी भी मांगी. बता दें, एसआई राजेश के बारे में खबरें नेपाल दुबई और यूके तक छप चुकी हैं. राजेश कुमार पर 'द बुक ऑफ होप' नाम की किताब भी छप चुकी है.