Sophia Dilip Singh: कौन थीं ब्रिटिश भारतीय राजकुमारी सोफिया, जिन्हें मिलने जा रहा ब्लू फ्लैक सम्मान, जानिए पूरा मामला

1900 के दशक में ब्रिटेन में महिलाओं के मतदान के अधिकार के लिए लड़ने वाली राजकुमारी सोफिया दिलीप सिंह को ब्लू फ्लैक से सम्मानित किया जाएगा. सोफिया के पिता महाराजा दलीप सिंह थे. महारानी विक्टोरिया की वह गॉडडाटर थीं.

Sophia Dilip Singh (photo twitter)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 30 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 4:14 PM IST
  • महाराजा दिलीप सिंह की बेटी सोफिया का जन्म 1876 में हुआ था
  • ब्रिटेन में महिलाओं को मताधिकार देने के लिए किया संघर्ष

महाराजा रणजीत सिंह की पोती और महाराजा दिलीप सिंह की बेटी सोफिया दिलीप सिंह का जन्म 1876 में हुआ था. सोफिया को लंदन में स्मारक ब्लू फ्लैक (पट्टिका) से सम्मानित किया जाएगा. सोफिया महारानी विक्टोरिया की गॉडडाटर थीं. 1900 के आसपास के समय में ब्रिटेन में महिलाओं को मताधिकार देने के लिए संघर्ष करने वाले प्रमुख कार्यकर्ताओं में ब्रिटिश भारतीय राजकुमारी सोफिया भी शामिल थीं. 

महारानी विक्टोरिया ने दिया था घर
इंग्लिश विरासत न्यास द्वारा संचालित ब्लू फ्लैक योजना में ऐतिहासिक हस्ती से संबंधित खास भवनों के ऐतिहासिक महत्व का सम्मान किया जाता है. इस योजना के 2023 समूह में ब्रिटिश भारतीय राजकुमारी के 19वीं सदी के घर को भी शामिल किया गया है. इंग्लिश विरासत ने इसकी घोषणा करते हुए बताया कि महाराजा दिलीप सिंह की बेटी के पास हालैंड पार्क (लंदन) में पहले से ही एक प्लाक है. अब प्रदान की जाने वाली प्लाक हैंपटन कोर्ट पैलेस के समीप एक विशाल घर को चिह्नित करेगी. यह घर सोफिया और उनकी बहनों को महारानी विक्टोरिया ने अनुग्रह के रूप में प्रदान किया था.

महिला अधिकारों के लिए किया काम
साल 1909 में राजकुमारी सोफिया दिलीप सिंह महिला अधिकारों के लिए सक्रिय काम करने लगीं. महिला मताधिकार के लिए संघर्षशील एम्मेलिन ने उनका चयन महिला कर (टैक्स) प्रतिरोध लीग के एक प्रमुख सदस्य के रूप में किया. राजकुमारी सोफिया ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपने जुनून के साथ-साथ महिलाओं के मतदान के अधिकार के लिए संघर्ष अथवा आंदोलन में बेशकीमती योगदान दिया. उन्होंने इसकी अगुवाई तक की. 

भारतीय सैनिकों की सेवा की
राजकुमारी सोफिया ने ईस्ट एंड के एशियाई नाविकों, महिलाओं के विकास, हिंदुस्तान की आजादी और 1914 में हुए प्रथम विश्व युद्ध के पश्चिम मोर्चे पर घायल हुए भारतीय सैनिकों के लिए अहम काम किया. सिख सैनिकों को एकबारगी यकीन नहीं हो रहा था कि महान महाराजा रणजीत सिंह की पोती नर्स की वर्दी में उनके बिस्तर के सिरहाने बैठीं हैं. उन्होंने भारतीय सैनिकों के लिए धन भी जुटाया. 

 

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