बढ़ते प्रदूषण से परेशान सौमिक दास ने अपने घर को बोनसाई पौधों से ढक दिया है. 200 से ज्यादा पौधे अपने घर की छत और घरों के कमरों में लगा दिए हैं. जिससे घर में बाहर की तुलना में प्रदूषण कम हो गया है. इतना ही नहीं इससे घर के अंदर का तापमान भी 10 डिग्री तक कम हो गया है. सौमिक दास ने अब नोएडा में बोनसाई के पौधों का व्यवसाय करना भी शुरू कर दिया है. सौमिक अभी तक 35 से ज्यादा बोनसाई की प्रजातियां उगा चुके हैं.
इस पौधे की बनावट काफी अलग होती है
दरअसल, कई साल पहले सौमिक दास को बोनसाई पौधे ने अपनी ओर आकर्षित किया था. बोनसाई पौधे की बनावट काफी अलग होती है. और बोनसाई की खासियत जानने के बाद उन्होंने उसे अपने घर में लगाना शुरू कर दिया. सौमिक ने बोनसाई के पौधों को पत्थरों में भी उगाना शुरू किया. कुछ समय बाद, कंबोडिया में भगवान विष्णु का मंदिर है वहां आज भी हिंदू और बौद्ध लोग मंदिर की देखभाल करते हैं. वह मंदिर इतना पुराना है कि उसके बीच से आसपास के पेड़ों की शाखाएं निकलने लगी हैं. इसी मन्दिर की सौमिक दास ने एक मिनी लैंडस्केप क्रिएशन की है. उन्होंने अपने हाथों से विशेष पत्थरों और बोनसाई पौधे के इस्तेमाल से मंदिर का ढांचा बनाया है.
पेंजिंग आर्ट के जरिए पौधे को पत्थरों में उगाते हैं
पत्थरों में पौधे उगाने की तकनीक बहुत पुरानी है. इस कला को पेंजिन आर्ट भी कहा जाता है. थोड़ी-सी मिट्टी के साथ पौधे को जड़ों के साथ पत्थरों के बीच उगाया जाता है. जिन पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है वो भी खास पत्थर होते हैं. पत्थर जो समुद्र में पाए जाते हैं या जंगलों में, जिन पत्थरों में ऑक्सीजन आर पार हो सके ऐसे ही पत्थरों में बोनसाई पौधे लगाएं जाते हैं.
प्रदूषण से को कम करने में कारगर है बोनसाई का पौधा
तीन से चार बोनसाई के पौधे अगर आप अपने घरों में लगाते हैं तो वो एक एयर प्यूरीफायर का काम करते हैं. बोनसाई की उम्र डेढ़ सौ साल से ज्यादा की होती है. आप इन पौधों की लंबाई रोककर इन्हें सालो तक अपने घरों में रख सकते हैं.