दिल्ली के 17 साल के एक स्कूली छात्र ने परीक्षा के डर से घर से फरार होकर सुर्खियां बटोर ली हैं. यह छात्र परीक्षा से बचने के लिए घर से भागा और ट्रेन से 2100 किलोमीटर दूर बेंगलुरू जाकर रुका. घरवालों की नज़रों से दूर यह छात्र वहीं एक झोपड़ी में भी रहने लगा. आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला.
एग्जाम की टेंशन में भागा स्टूडेंट
दिल्ली के रोहिणी में रहने वाला यह नाबालिग कनॉट प्लेस के एक स्कूल में पढ़ता था. यह स्टूडेंट फाइनल एग्जाम को लेकर चिंतित था इसलिए वह घर से भाग गया. जाते हुए उसने अपने पिता को मैसेज किया कि वह घर से जा रहा है और उसे कोई न ढूंढे. मैसेज मिलने पर परिवार वालों ने पुलिस की मदद लेने का फैसला किया.
दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के डीसीपी विक्रम सिंह ने बताया कि 21 फरवरी को एक शख्स ने पुलिस को शिकायत दी कि उनका 17 साल का नाबालिग बेटा कहीं चला गया है. बच्चा नाबालिग था इसलिए पिता की शिकायत पर पुलिस ने तुरंत केस दर्ज किया और बच्चे की तलाश के लिए एक टीम गठित की.
बच्चे से मिलकर क्या पता चला?
जांच के दौरान पुलिस को पता लगा कि बच्चा तमिलनाडु में है. दरअसल वह बच्चा ट्रेन से पहले बेंगलुरू पहुंचा था और उसके बाद तमिलनाडु चला गया था. जानकारी मिलते ही पुलिस कि टीम तुरंत बेंगलुरु गई. वहां से जानकारी इकट्ठा करने के बाद पुलिस की टीम तमिलनाडु के कृष्णागिरी पहुंची जहां से बच्चे को घर लाया गया.
कृष्णागिरी पहुंचने पर ही पुलिस को पता लगा कि वह बच्चा दरअसल एक दिहाड़ी मज़दूर की नौकरी कर रहा था और एक झोपड़ी में रह रहा था. तो आखिर उस बच्चे ने यह जिन्दगी क्यों चुनी? बच्चा 11वीं कक्षा का स्टूडेंट था. वह अपनी आने वाली परीक्षाओं को लेकर चिंतित था. पढ़ाई नहीं करना चाहता था. जब परीक्षाओं की चिंता ने उसे सताया तो उसने घर छोड़ने का फैसला किया.
पुलिस ने अब बच्चे को उसके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया है. उसकी काउंसलिंग भी की गई है. यह घटना इस बात पर ज़ोर देती है कि कई बार पढ़ाई की टेंशन बच्चों के दिमाग पर बुरा असर डाल सकती है और वह उल्टे-सीधे कदम उठाने पर मजबूर हो सकते हैं. अगर आपका बच्चा भी पढ़ाई से जुड़ी टेंशन के संकेत देता है तो इस बात को नजरंदाज न करें. उससे बात करें और जरूरत हो तो उसकी काउंसिलिंग भी करवाएं.