Helping Wayanad People: नेकी हो तो ऐसी! पिगी बैंक तोड़ने से लेकर सर्जरी फंड डोनेशन तक, वायनाड का सहारा बन रहे हैं लोग

केरल के वायनाड में हुई लैंडस्लाइड से हजारों लोगों का जीवन तहस-नहस हो गया है. सैकड़ों लोगों की जान गईं तो बहुत से लोग लापता हैं और जो लोग ठीक बचे हैं उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल गई है. इन लोगों की मदद करने के लिए दिहाड़ी मजदूर, छात्रों से लेकर विधवाएं और बुजुर्ग तक आगे आ रहे हैं.

Wayanad Landslide
gnttv.com
  • नई दिल्ली ,
  • 14 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 1:17 PM IST

केरल के वायनाड में हुए लैंडस्लाइड में सैकड़ों लोगों की जान चली गई और न जाने कितने लोग बेघर हो गए. अब जैसे-तैसे ये लोग एक बार फिर अपनी जिंदगी को समेटने की कोशिश कर रहे हैं. दिल छूने वाली बात यह है कि इस संघर्ष में और भी बहुत से लोग उनके साथी बन रहे हैं ताकि वायनाड जल्द से जल्द इस दुख से उबर सके.

बात जब वायनाड की मदद की आई को एक 76 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी सर्जरी कराने की बजाय सर्जरी का पैसा लोगों के लिए दान कर दिया, एक मछली बेचने वाले ने अपनी दिन भर की कमाई डोनेट की तो दो बहनों ने अपनी गुल्लक तोड़कर इकट्ठे किए हुए पैसे दान कर दिए. 30 जुलाई को वायनाड की पहाड़ियों में हुए भूस्खलन के बाद उत्तरी केरल जिले में हुई बाढ़ में लगभग 231 लोगों की मौत हो गई और लोगों के घर बह गए. इन पीड़ित लोगों के लिए मुख्यमंत्री राहत कोष (CMDRF) में लोग डोनेशन दे रहे हैं. लगभग 130 भूस्खलन पीड़ित अभी भी लापता हैं. 

100 करोड़ से ज्यादा आया डोनेशन
CMDRF में 13 अगस्त तक 110.55 करोड़ रुपये का डोनेशन आया. डोनेशन देने वालों में दिहाड़ी मजदूरों, छात्रों से लेकर विधवाएं और बुजुर्ग तक शामिल हैं. इस भीषण त्रासदी से प्रभावित होकर और राहत कार्यों के लिए योगदान मांगने पर हर तबके के लोग राज्य सरकार और पीड़ितों की मदद के लिए आगे आए. इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, त्रिशूर के चियाराम में शिवनंदना और उसकी बहन शिवन्या ने अपनी गुल्लक तोड़कर 3,050 रुपये निकाले और इन्हें लोगों की मदद के लिए दान किया. शिवनंदना कक्षा 7 की तो शिवन्या कक्षा 1 की छात्रा हैं. 

शिवनंदना के माता-पिता ने बताया कि उनकी बेटियां पैसे इकट्ठा करके  टीवी और साइकिल खरीदना चाहती थीं. लेकिन वायनाड में उन्होंने जो देखा उससे वे प्रभावित हुईं और उन्होंने अपनी सेविंग्स डोनेट कर दी. वहीं, कन्नूर के पय्यनूर में एक मछली विक्रेता, 64 वर्षीय एडाथिल श्रीधरन ने सीएमडीआरएफ को अपने दिन की कमाई 53,000 रुपये डोनेट की. 

सर्जरी के पैसे किए डोनेट 
तिरुवनंतपुरम के अनाद गांव की मूल निवासी 76 वर्षीय सावित्री एल ने 25,000 रुपये का दान दिया. ये पैसे उन्होंने अपने पैरों की करेक्टिव सर्जरी के लिए अलग रखे थे. लेकिन जब उन्होंने वायनाड की तस्वीरें और वीडियो देखे तो उन्हें लगा कि इन लोगों का दर्द उनके दर्द से कहीं ज्यादा बड़ा है. कम से कम उन्हें दिन में तीन बार खाने को मिलता है. इसलिए उन्होंने पैसे दान कर दिए. स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से पीड़ित कक्षा 2 के छात्र मुहम्मद फिदेल के माता-पिता ने अपने बेटे की गुल्लक से 16,000 रुपये की सेविंग्स सीएमडीआरएफ को दान की. यह राशि मुहम्मद ने अपनी मासिक विकलांगता पेंशन (1,600 रुपये) से इकट्ठा की थी. 

कन्नूर के चेम्बिलोड पंचायत में, 22 सदस्यीय हरिता कर्म सेना जो एक महिला स्वयं सहायता समूह है, उन्होंने सीएम के फंड में 40,000 रुपये का योगदान दिया. इनमें से ज्यादा महिलाएं गरीबी रेखा से नीचे वाले परिवारों से आती हैं और लोगों के घरों से नॉन-बायोडिग्रेडेबल कचरा इकट्ठा करके रीसाइक्लिंग के लिए बेचती हैं. 2018 और 2019 में केरल बाढ़ के दौरान भी, राज्य भर और बाहर के लोगों ने भारी संख्या में योगदान दिया था. 

 

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