Inspiring: स्कूल में नहीं मिल रहा था एडमिशन तो ओपन स्कूल से की पढ़ाई...अब इंटरनेट की मदद से पढ़ाई कर शारीरिक रूप से विकलांग अस्मित ने पास की JEE की परीक्षा

19 वर्षीय और शारीरिक रूप से विकलांग अस्मित ने कमाल कर दिखाया है. उन्होंने ओपन स्कूल से पढ़ाई कर 12वीं की परीक्षा पास की और फिर इंटरनेट की मदद से तैयारी की दूसरे अटेंप्ट में JEE की परीक्षा पास की.

JEE Exam (Representative Image, Unsplash)
ललित शर्मा
  • चंडीगढ़,
  • 03 मई 2024,
  • अपडेटेड 5:49 PM IST

आज आपको 19 वर्षीय शारीरिक रूप से विकलांग अस्मित की कहानी बताएंगे. अस्मित ने हमेशा अपने साहस और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया और अब जेईई मेन परीक्षा पास करके अपनी क्षमताओं को प्रकट किया है. अस्मित अपनी दादी की जान बचाने का प्रयास कर रहे थे जिस दौरान उन्हें रीढ़ की हड्डी में गोली लग गई. इस कारण उनकी 13 बड़ी सर्जरी करानी पड़ी. अस्मित ने ओपन स्कूल से पढ़ाई करके JEE मेन्स क्वालिफाई किया जो निश्चित रूप से युवाओं के लिए प्रेरणा है. 

अस्मित ने अपनी इस लड़ाई में पहले मौत को तो मात दी और फिर जीवन में आने वाली सभी कठिन परिस्थितियों का सामना किया. हाल ही में JEE 2 का रिजल्ट निकला है जिसमें अस्मित ने इस परीक्षा को क्वालीफाई किया है. लेकिन उनकी यह सफलता अपने आप में बहुत बड़ी है क्योंकि अस्मित ने जेईई मेन्स 2 क्वालिफाई करने के लिए महज 3 महीने ही तैयारी की. 

कैसे लगी गोली?
अस्मित अपनी इस सफलता का सारा श्रेय अपनी मां और चंडीगढ़ में स्पाइनल रिहैबिलिटेशन सेंटर की संचालिका को दिया जिन्होंने बुरे वक्त में उनकी मदद और सहायता की. अस्मित बताते हैं कि उनकी मां उनकी शक्ति का स्तंभ रही हैं.जी हां, आज से 4 साल पहले अस्मित आम बच्चों की तरह खुद अपने पैरों पर खड़े होकर आम सी जिंदगी जी रहे थे. लेकिन फिर एक ऐसा हादसा हुआ जिससे उनकी जिंदगी में सिर्फ अंधेरा ही छा गया. अश्मित ने गुड न्यूज़ टुडे से खास बातचीत में बताया कि साल 2020 में कोलकाता में उनके गांव में चोर घुस आए थे. इस दौरान अपनी दादी को बचाते हुए चोरों ने उसके ऊपर गोली चला दी जिसकी वजह से उनकी रीड की हड्डी और फेफड़ों में गोली लग गई.

परिवार को बेचनी पड़ी गाड़ी
गोली लगने से उनकी कमर के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से पैरालाइज हो गया. वह समय वैश्विक महामारी कोरोना का था. उस समय बड़ी मुश्किल से उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया.उनकी लगभग 13 बड़ी सर्जरी हुई. इस बीच वह वेंटिलेटर पर भी रहे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.डॉक्टर की सलाह पर फिर वह कोलकाता से इलाज के लिए चंडीगढ़ के स्पाइनल रिहैबिलिटेशन केंद्र पर पहुंचे. उस दौरान उनको कोविड भी हो गया था.लेकिन उन्होंने इन सभी मुश्किलों का डटकर मुकाबला किया.उनके इलाज के लिए परिवार को सारी जमा पूंजी और गाड़ी तक बेचनी पड़ी थी. 

जहां इलाज हुआ, वहीं मिल गई नौकरी
अस्मित का संघर्ष यहीं खत्म नहीं हुआ और 1 साल के बाद जब उन्होंने जैसे-तैसे अपना होश संभाला तो फिर कोशिश की अपनी पढ़ाई को जारी रखने की.लेकिन चंडीगढ़ में किसी स्कूल में उ्न्हें एडमिशन नहीं मिला क्योंकि ज्यादातर स्कूलों की फीस बहुत ज्यादा थी. अश्मित ने मोबाइल और इंटरनेट के जरिए अपनी पढ़ाई करने की ठानी और फिर 12वीं की परीक्षा ओपन स्कूल से दी.

अस्मित बताते हैं कि परिवार आर्थिक तंगी से गुजर रहा था इसलिए नौकरी करना उनके लिए हर हाल में जरूरी था. जहां उनका इलाज चल रहा था उसी स्पाइनल रिहैबिलिटेशन सेंटर में उन्हें नौकरी मिल गई.फिर उन्होंने JEE की तैयारी करना शुरू कर दिया. पहले अटेंप्ट में उन्हें सफलता नहीं मिल पाई लेकिन उसके बाद उन्होंने तीन से चार महीने सेल्फ स्टडी और कड़ी मेहनत करके JEE 2 परीक्षा को क्वालीफाई किया है. अस्मित ने बताया कि वह अपने परिवार को आर्थिक रूप से स्थिर बनाना चाहते हैं क्योंकि उनकी सारी बचत खत्म हो गई है.

 

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