Success Story: जर्मनी में छोड़ी जॉब, गांव में आकर चलाने लगे स्कूल, अब सीखा रहे हैं जैविक खेती के गुर... देशी किस्म के बीजों को संरक्षित करते हैं Aravinthan Arvi

अरविंथन अरवी जर्मनी में जॉब छोड़कर घर लौट आए. वो कोयंबटूर में स्कूल चलाते हैं. वो बच्चों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करते हैं. उन्होंने सब्जियों की देशी किस्मों को संरक्षित रखने के लिए एक छोटा सा बीज बैंक बनाया है. जिसमें बैंगन की करीब 70 किस्में, भिंडी की 20 किस्में, टमाटर की 28 किस्में और फलियों की 20 किस्मों को संरक्षित किया है.

अरविंथन अरवी जर्मनी में जॉब छोड़कर कोयंबटूर में बच्चों को जैविक खेती सीखा रहे हैं
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 07 नवंबर 2023,
  • अपडेटेड 2:43 PM IST

एक युवा इंजीनियर ने जर्मनी में जॉब छोड़ दी और वापस घर लौट आए. गांव में स्कूल चलाने लगे. बच्चों को जैविक खेती के बारे में बताने लगे. वो स्कूल में सालाना 2 हजार किलो सब्जियां पैदा करता है. उस युवक ने एक बीज बैंक भी बनाया है. जिसमें देशी किस्मों की सब्जियों को संरक्षित रखा जाता है. उस युवा इंजीनियर का नाम अरविंथन अरवी है.

जर्मनी में छोड़ी जॉब, लौटे घर-
अरविंथन अरवी तमिलनाडु के रहने वाले हैं. उनकी पढ़ाई-लिखाई करूर शहर में हुई है. उनके पिता वकील हैं और पुश्तैनी जमीन पर खेती भी करते थे. इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी होने के बाद अरविंथन पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए जर्मनी चले गए. वहां उनको अच्छी-खासी नौकरी भी मिल गई. लेकिन पिता चाहते थे कि उनका बेटा उनके साथ रहे. इसलिए उन्होंने जर्मनी में नौकरी छोड़ दी और साल 2010 में वापस लौट आए. पिता करूर में स्कूल चलाते थे. अरविंथन भी उसमें सहयोग करने लगे.

कोयंबटूर में एक और स्कूल खोला-
साल 2015 में अरविंथन के पिता ने कोयंबटूर में एक और स्कूल खोला. अरविंथन वहां चले गए. स्कूल में 150 रेजिडेंशियल स्टूडेंट्स थे. उन्होंने बच्चों को सेहतमंद भोजन कराने के लिए स्कूल में फल-सब्जी उगाने का फैसला किया. साल 2016 में उन्होंने टैरेस गार्डन की शुरुआत की. लेकिन टैरेस गार्डन से पर्याप्त मात्रा में सब्जियां नहीं मिल पाती थी. इसलिए उन्होंने खेल के मैदान और कैंपस की दीवार के बीच खाली पड़े 30 फीट की जगह में खेती करना शुरू किया.

साल 2018 में स्कूल ने एक रिटायर्ड टीचर से बगल की जमीन पट्टे पर ले ली. इस पर अरविंथन ने धान उगाना शुरू किया. वो बच्चों को जैविक खेती के बारे में बताना चाहते थे. इसी साल उन्होंने 11वीं और 12वीं के छात्रों के लिए कृषि विज्ञान ग्रुप बनाए. इसमें 20 छात्र थे. इनको धान की खेती के बारे में सिखाया. इस स्कूल में सालाना 2 हजार किलो सब्जी और फलियां पैदा होती हैं.

अरविंथन ने बीज बैंक बनाया-
अरविंथन ने पिछले कुछ सालों में सैकड़ों बीज जुटाए हैं. उनको संरक्षित करने के लिए उन्होंने एक छोटा बीज बैंक बनाया है. उन्होंने बैंगन की करीब 70 किस्में, भिंडी की 20 किस्में, टमाटर की 28 किस्में और फलियों की 20 किस्मों को जुटाया  है और उनको संरक्षित किया है.

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