साल 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई जनरेशन-ज़ेड (Gen Z) अक्सर अपने बेपरवाह रवैये और आज़ाद ख़यालों के लिए पहचानी गई है. एक ओर जहां इसके कुछ फायदे हो सकते हैं, लेकिन नौकरी पर यह रवैया मालिकों के लिए सिरदर्द साबित होता है.
जेन-ज़ी के वर्क एथिक को लेकर कई बहसें हुई हैं. पिछली पीढ़ियों में जन्मे मैनेजर्स ने इस पीढ़ी के काम पर सवाल उठाए हैं, लेकिन अब खुद जेन-ज़ी मैनेजर्स ने भी अपने हमउम्र पेशेवरों के आगे हाथ जोड़ लिए हैं.
स्विट्ज़रलैंड की रेज़मे जीनियस (Resume Genius) नाम की कंपनी के एक सर्वे ने खुलासा किया है कि मैनेजर्स जेन-ज़ी के साथ काम करना सबसे मुश्किल मान रहे हैं. क्या कहता है यह सर्वे और क्या हैं इसके मायने, आइए डालते हैं नज़र.
जेन-ज़ी के आगे मैनेजर्स ने मानी हार
रेज़मे जीनियस ने इस सर्वे के लिए अमेरिका के 625 मैनेजर्स से बात की. उन्होंने सवाल किया कि किस पीढ़ी के साथ काम करना सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण है. सामने से 45 प्रतिशत मैनेजर्स ने जवाब दिया, जनरेशन-ज़ेड. सिर्फ यही नहीं, 50 प्रतिशत जेन-ज़ी मैनेजर्स ने भी माना कि अपनी ही पीढ़ी के साथ काम करना उनके लिए सबसे मुश्किल है.
इसके बरक्स, 1946 से 1964 के बीच जन्मे 'बूमर्स' (Boomers) के साथ काम करना सबसे ज्यादा आसान साबित हुआ. हालांकि इसका मतलब यह नहीं था कि बूमर्स को नौकरी पर भी ज्यादा रखा जा रहा था. अपने रिटायरमेंट के करीब आ चुके बूमर्स के लिए अब नई नौकरी ढूंढना भी मुश्किल है. सर्वे का हिस्सा बनने वाले सिर्फ चार प्रतिशत मैनेजर्स ने माना कि वे आने वाले सालों में किसी वरिष्ठ व्यक्ति को नौकरी पर रखेंगे.
एक ओर जहां मैनेजर्स जेन-ज़ी की मनमानियों से तंग आ गए हैं, वहीं 33 प्रतिशत मैनेजर्स ने यह भी कहा कि वह आने वाले समय में इस पीढ़ी के ही किसी व्यक्ति को नौकरी पर रखेंगे. जेन-ज़ी भले ही बूढ़े हो चूके 'बूमर्स' से बेहतर हैं, लेकिन वह नौकरी के लिए बेस्ट जनरेशन नहीं हैं. इस मामले में किसी और ने बाज़ी मारी है.
नौकरी के लिए बेस्ट कौन?
इस सर्वे के अनुसार, मैनेजर्स आने वाले समय में सबसे ज्यादा मिलेनियल्स को नौकरी पर रखने का वादा करते हैं. कुल 45 प्रतिशत मैनेजर यह मानते हैं कि वे आने वाले समय में किसी मिलेनियल को नौकरी पर रखना चाहेंगे. मिलेनियल यानी वह व्यक्ति जिनका जन्म 1982 से 1997 के बीच हुआ. आसान शब्दों में कहें तो वह पीढ़ी जिसने अपना लड़कपन कुमार सानू-उदित नारायण के गाने सुनते हुए और शाहरुख-सलमान-आमिर की फिल्में देखते हुए गुज़ारा.
इस सर्वे में एक जरूरी ट्रेंड यह देखा गया कि जैसे-जैसे कर्मचारियों की उम्र बढ़ती गई, वैसे-वैसे वे मैनेजर्स के चहेते बनते गए. सर्वे के अनुसार, 26 प्रतिशत मैनेजर्स ने माना कि मिलेनियल्स के साथ काम करना कठिन है, जबकि 13 प्रतिशत ने कहा कि जनरेशन एक्स के साथ काम करना मुश्किल है. सिर्फ नौ प्रतिशत मैनेजर्स ने बूमर्स के साथ काम करने के अनुभव को मुश्किल बताया.
यानी यह कहा जा सकता है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ जनरेशन ज़ेड भी कॉर्पोरेट दुनिया की मांगों के अनुसार खुद को ढाल लेगी.