किसी को रोते हुए देखना आपके लिए बुरा अहसास हो सकता है. लेकिन हाल ही में किए गए एक अध्ययन के अनुसार, इंसानों के आंसुओं में एक कैमिकल सिग्नल होता है जो गुस्सा या अग्रैशन से जुड़ी ब्रेन एक्टिविटी को कम कर देता है. यानी महिलाओं के आंसुओं से पुरुष का दिल आसानी से पिघल सकता है. ये रिसर्च इजराइल के वीजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस ने की और यूएस साइंस जर्नल पीएलओएस बायोलॉजी में प्रकाशित हुई है. हालांकि इसमें महिलाओं के आंसू शामिल थे, क्योंकि महिलाओं ने खुद को डोनर के रूप में उपलब्ध कराया था.
कैसे की गई रिसर्च
कई अध्ययनों से पता चला है कि चूहों के आंसुओं में ऐसे रसायन होते हैं जो सोशल सिग्नल के रूप में काम करते हैं. मादा चूहों के आंसू उनके बीच नर चूहों से लड़ाई को कम करते हैं और subordinate Male Mole Rats अपने आप को जानबूझ कर आंसुओं में डुबा लेते हैं ताकि उनपर हमले कम हो.
महिलाओं का रोना सामाजिक रूप से स्वीकार
यह पता लगाने के लिए कि क्या मनुष्यों में भी इसी तरह के प्रभाव होते हैं, पीएचडी स्टूटेंड की एक टीम ने पहले 25 मेल वॉलंटियर्स को इमोशनल आंसू और सलाइन से अवगत कराया. वॉलंटियर्स ये नहीं बता पाए कि वे क्या सूंघ रहे थे क्योंकि दोनों चीजें गंधहीन थी. ये आंसू 6 महिला वॉलंटियर्स से लिए गए थे, जिन्होंने अकेले में इमोशनल फिल्में देखीं और अपने आंसुओं को इकट्ठा किया. रिसर्च के लिए जब ऐसे वॉलंटियर्स की तलाश की गई जो अपने आंसू दान कर सकें, तो हमें ज्यादातर महिलाएं मिलीं, क्योंकि उनके लिए रोना सामाजिक रूप से ज्यादा सामान्य होता है.
टेस्टोस्टेरोन का असर पुरुषों की आक्रामकता पर
पहले हुए शोध से पता चला था कि आंसू पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन के स्तर को कम करते हैं, और टेस्टोस्टेरोन कम होने से महिलाओं की तुलना में पुरुषों में आक्रामकता पर अधिक प्रभाव पड़ता है. नई शोध में रिसचर्स ने "पुरुषों पर आंसुओं के प्रभाव का अध्ययन करना शुरू किया क्योंकि ऐसा कम ही देखने को मिलता है. उन्होंने वॉलंटियर्स को एक कंप्यूटर गेम खेलने को कहा जोकि गुस्सैल और अक्रामकता पर आधारित था. इसमें एक टीम को पैसा जमा करना था जबकि उसके प्रतिद्वंद्वी को वो पैसे चुराने थे. मौका मिलने पर पुरुष दूसरे खिलाड़ी के पैसे चुराकर उससे बदला ले सकते थे. लेकिन पुरुषों को जब इन आंसुओं की गंध सुंघाई गई तो उनके व्यवहार में 43.7 प्रतिशत की गिरावट आई.
आंसुओं से कम होता है पुरुषों का अक्रामक रवैया
आखिरी में वैज्ञानिकों ने एमआरआई स्कैनर से जुड़े पुरुषों के दिमाग के साथ प्रयोग दोहराया. जब पुरुषों को खेल के दौरान उकसाया गया तो वे अधिक सक्रिय हो गए, लेकिन जब उन्होंने आंसू सूंघ लिए तो अक्रामकता का प्रभाव धीरे-धीरे कम होने लगा.