Marriage in Tram: आजकल शादी-विवाह पर जहां लोग दिखावे के लिए लाखों रुपए खर्च कर देते हैं. बड़ी-बड़ी गाड़ियों से लेकर बारात जाते हैं. शादी के लिए भव्य पंडाल में एक-दूसरे के साथ वर-वधू सात फेरे लेते हैं, वहीं सिटी ऑफ जॉय कोलकता में अनोखा निकाह देखने को मिला. दूल्हा और दुल्हन ने 104 साल पुरानी ट्राम में कुबूल है-कुबूल है कहा. दूल्हा ने ट्राम में निकाह कर जहां दुल्हन को सरप्राइज दिया तो वहीं शहर की विरासत को संरक्षित करने का संदेश भी दिया.
ट्राम में निकाह करने के लिए तुरंत तैयार हो गए शाहरुख
अहमद हुसैन उर्फ शाहरुख का निकाह स्वेता रानी राय उर्फ आयशा खातून से 14 दिसंबर 2024 को होना तय था. शाहरुख के बड़े भाई अब्दुल रज्जाक जो पिछले 30 सालों से कलकत्ता ट्राम कंपनी के साथ काम करते हैं ने अनोखी शादी की योजना बनाई. उन्होंने अपने भाई शाहरुख से ट्राम में निकाह पढ़ने की बात कही. इस पर शाहरुख भी तुरंत तैयार हो गए. इसके बाद अब्दुल रज्जाक ने 104 साल पुरानी बलाका नामक एक पीली ट्राम बुक की.
ट्राम को फूलों और मालाओं से सजाया गया था
पूरी ट्राम को फूलों और मालाओं से सजाया गया, ठीक वैसे ही जैसे शादियों में गाड़ियों को सजाया जाता है. ट्राम के सामने फूलों से जस्ट मैरिड लिखा हुआ था. इसके बाद शनिवार की रात 8 बजे बारात नोनापुकुर डिपो से निकली. इस ट्राम पर निकली बारात ने सभी लोगों का ध्यान आकर्षित किया. इस ट्राम पर शाहरुख के परिवार के सदस्य भी मौजूद थे, जो काफी खुश थे.
ट्राम के सामने फूलों से लिखा हुआ था जस्ट मैरिड
आयशा खातून को इस बात की जानकारी नहीं थी कि बारात ट्राम से आ रही है. जब वह अपने घर से रेडकार्पेट पर चलने के बाद नीचे उतरीं तो अचानक देखा कि उनके घर के सामने सड़क पर एक सजी-धजी ट्राम खड़ी है. ट्राम के सामने फूलों से जस्ट मैरिड लिखा हुआ था. आयशा खातून और शाहरुख ने ट्राम में ही निकाह पढ़ा. इस दौरान दोनों परिवारों के रिश्तेदारों ट्राम में मौजूद रहे.
...तो इसलिए बनाई यह अनूठी योजना
अब्दुल रज्जाक ने कहा कि कोलकाता में पहले कभी ट्राम में निकाह नहीं हुआ है. हमने अपने छोटे भाई की शादी को जीवन भर के लिए यादगार बनाने के लिए यह अनूठी योजना बनाई. दूल्हा शाहरुख ने बताया कि मैं अपनी पत्नी को सरप्राइज देना चाहता था. यह हम दोनों के लिए वाकई एक अद्भुत क्षण था. उन्होंने कहा कि कभी-कभी मैं समाचारों में देखत हूं कि ट्राम को कोलकाता शहर से हटा दिया जाएगा लेकिन ट्राम हमारी विरासत है. शहर से ट्राम के हटने के बाद हमें इसकी कमी खलेगी इसलिए इस दिन को यादगार बनाने के लिए हमने यह योजना बनाई. आपको मालूम हो कि राज्य परिवहन विभाग निजी समारोहों के लिए बसों और ट्राम को पहले भी किराए पर देता रहा है, लेकिन पहली बार है कि किसी ने शादी के लिए ट्राम किराए पर ली है.
बहुत पुराना है कोलकाता में ट्राम का इतिहास
आपको मालूम हो कि कोलकाता में ट्राम का इतिहास बहुत पुराना है. अंग्रेजों के जमाने में साल 1873 में ट्राम सर्विस की शुरुआत हुई थी. 24 फरवरी 1873 को पहली बार ट्राम कोलकाता में चली थी. उस समय इसे घोड़ों से खींचा जाता था. 1900 के दशक में यह स्टीम यानी भाप से चलने लगी. फिर इसे इसे बिजली से चलाया जाने लगा. कभी कोलकाता के लिए परिवहन का मुख्य साधन ट्राम हुआ करती थी. कोलकाता की सड़कों पर 450 से अधिक ट्राम चलती थीं. हालांकि अब इसकी संख्या सिर्फ 8 रह गई है. 1960 के दशक में कोलकाता में ट्राम की 37 लाइनें थीं. अब ट्राम सिर्फ दो लाइनों (धर्मतल्ला से श्यामबाजार और धर्मतल्ला से बालीगंज) पर ही चलती हैं.
(राजेश साहा की रिपोर्ट)