Why Leaning Tower Of Pisa Is Tilted: 850 साल पहले रखी गई थी पीसा के मशहूर Leaning Tower की नींव, जाने क्यों झुकी है ये मीनार और क्या है इसका इतिहास

लीनिंग टॉवर की की खास बात यह है कि यह झुकाव इसके निर्माण का हिस्सा कभी था ही नहीं. कमजोर नींव की कारण इस टावर ने खुद ही यह आकार ले लिया और विश्व भर में लीनिंग टावर के नाम से जाना जाने लगा

Leaning Tower Pisa (Photo-Pixabay)
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 09 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 5:48 PM IST

किसी भी इमारत की मजबूती के लिए उसकी नींव का मजबूत होना बेहद जरूरी है. कमजोर नींव पर बनी  इमारतें  झुक कर नष्ट हो जाती हैं. ऐसी ही दिलचस्प कहानी है पीसा के मशहूर लीनिंग टावर की जिसके निर्माण की नींव आज ही के दिन 9 अगस्त 1173 में रखी गई थी. यह लीनिंग टावर अपने 4 डिग्री के झुकाव के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है. इसे बनने में 200 साल का वक्त लगा था. .

1372 में बनकर हुआ था तैयार

 लीनिंग टावर इटली के टस्कनी की राजधानी पीसा में बना हुआ है और इसे एक फ्री स्टैंडिंग घंटी टावर के रूप में जाना जाता है. लगभग 200 सालों में बने इस टावर को बनाने की शुरुआत 9 अगस्त 1173 में हुई थी. टावर का निर्माण 3 चरणों में किया गया और आखिरकार 1372 में यह पुरी तरह बनकर तैयार हो गया. सिलेंड्रिकल आकार और 185 फीट लंबे इस टावर में आठ मंजिले है जो सफेद मार्बल से बनी हुई है. टावर के झुकाव की कारण कोई कलाकृति नहीं बल्कि उसकी कमजोर नींव है. दरअसल निर्माण के नरम मिट्टी वाली जमीन का चुनाव किया गया था जो इसके झुकाव का मुख्य कारण है. कमजोर नींव के कारण 20 वीं सदी तक यह 5.5 डिग्री तक झुक गया था और कई मशक्कत  के बाद इसके झुकाव को 4 डिग्री तक पहुंचाया गया.

3 चरणों में हुआ था निर्माण

पहले चरण में टावर बनाने के लिए नरम मिट्टी वाली जगह का इस्तेमाल किया गया था जो टावर के भारी वजन को नहीं झेल सकती थी. जमीन तय करने के बाद 9 अगस्त 1173 में टावर को बनाने की शुरुआत हुई और पहली कुछ  मंजिले बनने के दौरान किसी तरह का कोई झुकाव नहीं दिखा.

लेकिन निर्माण कार्य आगे बढ़ने पर मिट्टी जमीन में धंसने लगी और टावर एक तरफ झुकना शुरू हो गया. यही निर्माण का दूसरा चरण शुरू हुआ और निर्माण दल ने मंजिलों को थोड़ा सा झुकाव के विपरीत दिशा में बनाना शुरू कर दिया. जमीन की  एक ओर ज्यादा वजन होने के कारण यह उपाय पूरी तरह सफल नहीं  हो पाया और करीब 200 साल के निर्माण के बाद भी  टावर का झुकाव बढ़ता रहा.

20 सदी में तीसरे चरण में जब टावर नष्ट होने की स्थिति में था तो इंजीनियरों ने टावर को बचाने की कई कोशिश की और काफी हद तक झुकाव को कम करके बचाने में सफल भी हुए. टावर को बचाने के लिए मिट्टी को हटाना, सीमेंट इंजेक्शन और टावर के वजन को कम करना शामिल था.
 

 

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