Inspiring Journey Of Bharat Kumar: किसी फिल्म से कम नहीं है इस लड़के की ISRO तक पहुंचने की कहानी, कभी मां के साथ धोते थे जूठे बर्तन

भरत के पिता बैंक में सुरक्षा गार्ड का काम करते थे. घर में पैसे कि किल्लत आई तो भरत की मां ने चरौदा रेलवे स्टेशन पर चाय और इडली की टपरी लगाना शुरू कर दिया. मकसद था बेटे को अच्छी शिक्षा देना. चरौदा में रेलवे का कोयला उतरता चढ़ता है.

Bharat Kumar
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 25 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 3:15 PM IST
  • 23 साल के भरत कुमार का कमाल
  • मेहनत के दम पर बनाई पहचान

कहते हैं मेहनत और जज्बा हो तो क्या कुछ नहीं हासिल किया जा सकता. इसरो (ISRO) की हजारों लोगों की टीम और उनकी मेहनत के दम पर भारत आज चांद पर पहुंच गया है. इनकी मेहनत ही थी कि भारत का चंद्रयान 3, साउथ पोल (दक्षिणी ध्रुव) के पास लैंड करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है. छत्तीसगढ़ के एक छोटे से कस्बे चरौदा के रहने वाले भरत कुमार चंद्रयान 3 की टीम का हिस्सा रहे. भरत की कहानी लाखों युवाओं के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. भरत ने जितनी कठिनाइयों से इस मुकाम को हासिल किया है, वह किसी सपने के साकार होने जैसा है.

मां के साथ स्टॉल पर किया काम

भरत के पिता बैंक में सुरक्षा गार्ड का काम करते थे. घर में पैसे कि किल्लत आई तो भरत की मां ने चरौदा रेलवे स्टेशन पर चाय और इडली की टपरी लगाना शुरू कर दिया. मकसद था बेटे को अच्छी शिक्षा देना. चरौदा में रेलवे का कोयला उतरता चढ़ता है. बचपन में कोयले की इसी काली गर्द के बीच भरत अपनी मां के साथ काम करते. कभी वे लोगों की जूठी प्लेट्स धोते तो कभी किसी के लिए चाय बनाते. मां का हाथ बंटाने के साथ-साथ भरत अपनी पढ़ाई के लिए भी पूरी मेहनत करते रहे.

जिंदल ग्रुप ने की मदद

चरौदा के लोकल स्कूल से ही उन्होंने पढ़ाई की. जब वे नौवीं में थे तो फीस की दिक्कत से टीसी कटवाने की नौबत आ गई. लेकिन भला हो स्कूल प्रशासन का...उन्होंने भरत की स्कूल की फीस माफ कर दी. वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों ने भरत के कॉपी किताब का खर्च उठाया. भरत ने भी पूरी मेहनत की और 12वीं मेरिट के साथ पास की. IIT धनबाद के लिए जब भरत का चयन हुआ तो चरौदा के लोगों का सीना फख्र से चौड़ा हो गया. कॉलेज में जब फिर आर्थिक समस्या आड़े आई तो रायपुर के उद्यमी अरुण बाग और जिंदल ग्रुप ने भरत की मदद की.

देश का नाम रोशन कर रहे भरत

भरत ने यहां भी किसी को निराश नहीं किया और अपनी प्रखर मेधा का परिचय देते हुए 98% के साथ IIT धनबाद में गोल्ड मेडल हासिल किया. जब भरत इंजीनियरिंग के 7वें सेमेस्टर में थे, तब उनका ISRO में प्लेसमेंट हुआ. आज भरत इस चंद्रयान 3 मिशन का हिस्सा हैं. 23 साल के भरत उन लाखों करोड़ों लोगों के लिए प्रेरणा हैं जो जीवन में कुछ करना चाहते हैं. भरत छोटे शहरों से आने वाले अनगिनत लोगों के लिए रोशनी और आशा की किरण हैं, जो प्रतिकूल परिस्थितियों में रहते हुए भी कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं.

 

Read more!

RECOMMENDED