ठीक तीन साल पहले, COVID-19 महामारी ने दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया था, जिसने सभी के जीवन और जीवन जीने के तरीके को महत्वपूर्ण रूप से बदल दिया था. यह वह समय था जब दुनिया भर में लोग अपनी सुरक्षा के लिए अपने घरों में रहने तक ही सीमित थे. Covid लॉकडाउन के बीच इस "होम जेल" के दौरान, लोगों ने बागवानी, खाना पकाने, पेंटिंग और पढ़ने जैसे कई पुराने और नए शौक विकसित किए.
उदयपुर के लड़के की कहानी
उदयपुर के रहने वाले दिग्विजय सिंह की कहानी भी कुछ अलग नहीं है. अपने पास ढेर सारा खाली समय होने के कारण, वह अपनी ऊर्जा को किसी दिलचस्प और मनोरंजक काम में लगाना चाहते थे. अलग-अलग चीजें ट्राई करने के बाद उन्होंने घर पर ही चॉकलेट बनाने का फैसला किया. दिग्विजय के मन में जब ये विचार आया तब वो सिर्फ 16 साल के थे. दिग्विजय की ओर से उठाए गए इस छोटे से कदम ने अंततः उन्हें अपना खुद का ब्रांड शुरू करने के लिए प्रेरित किया.
अब, 19 साल की उम्र में, दिग्विजय एक self-taught(खुद से सीखे हुए) चॉकलेट निर्माता है, जो साराम (Saraam)नाम की कंपनी चलाता है. यह बीन से लेकर बार तक बढ़िया चॉकलेट बनाती है. इस ब्रांड के तहत, दिग्विजय ने देश भर में सैकड़ों संतुष्ट ग्राहकों को दो टन से अधिक चॉकलेट बेची हैं. उन्होंने दिल्ली, बेंगलुरु, उदयपुर और जयपुर जैसे प्रमुख शहरों में कई कस्टमर्स बना लिए हैं.
कितनी अलग है दिगविजय की बनाई चॉकलेट
जो चीज दिग्विजय की चॉकलेट को यूनीक और लोकप्रिय बनाती है, वह है इसमें जामुन, केसर और बेर जैसे स्वदेशी फलों और मसालों का समावेश है, जो पाक मानचित्र पर देश की वनस्पति विरासत को प्रदर्शित करते हैं. उदयपुर के एक मध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे और पले-बढ़े दिग्विजय सिंह अपने मेहनती पिता को उनकी ऑटोमोबाइल की दुकान में काम करते हुए देखते थे और हमेशा कुछ अलग करने की सोचते थे. जब कोविड के दौरान लॉकडाउन लगा और दिग्विजय घर तक सीमित हो गए, तो उन्होंने चॉकलेट बनाने का फैसला किया. उन्होंने यह विचार अपने चचेरे भाई, महावीर सिंह के साथ शेयर किया और वो भी इस आइडिया को सुनकर उत्साहित हुए. हालांकि, उस समय दोनों में से किसी को भी चॉकलेट बनाना नहीं आता था.
कैसे बनाए कॉन्टेक्ट्स
Youtube की मदद से, 19 वर्षीय दिग्विजय (तब 16 वर्ष) ने चॉकलेट बनाने की कला सीखी और इन मीठी मिठाइयों को परिवार और दोस्तों को बांटना शुरू कर दिया. दिवाली के दौरान दिग्विजय के पिता ने एक कार खरीदी और उन्हें उपहार के रूप में एक चॉकलेट बॉक्स मिला. पूछताछ करने पर, उन्हें पता चला कि शोरूम के मालिक ने बेची गई प्रत्येक कार के लिए अपने सभी ग्राहकों को समान चॉकलेट बॉक्स दिए. इससे दिग्विजय को अपनी होममेड चॉकलेट बेचने के लिए होटल मालिकों और कार शोरूमों से संपर्क करने का विचार आया
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कब मिला पहला ऑर्डर
2021 में, दिग्विजय को एक कार शोरूम से 1,000 चॉकलेट का पहला ऑर्डर मिला. इसके बाद उन्होंने उसी साल अपना ब्रांड साराम (Saraam)लॉन्च किया. शुरुआत में समय बिताने के शौक के रूप में शुरू हुई यह चीज अब एक प्रमुख चॉकलेट ब्रांड में बदल गई है जिसने अब तक 1 करोड़ रुपये का बिजनेस कर लिया है. साराम ब्रांड ने देश भर में 2 टन से अधिक चॉकलेट बेची हैं.
स्पेशल जगह से आता है समान
इन स्वादिष्ट चॉकलेटों को बनाने के लिए दिग्विजय साउथ से, विशेष रूप से केरल और तमिलनाडु से कोको मंगवाते हैं. वह उन राज्यों से भी फल मंगवाते हैं जहां वे मुख्य रूप से उगाए जाते हैं, जैसे उदयपुर से बेर और केरल से कोकम आदि. ये स्वादिष्ट चॉकलेट साराम की वेबसाइट और इंस्टाग्राम के साथ-साथ उदयपुर और जयपुर के स्टोर्स पर ऑनलाइन भी उपलब्ध हैं. दिग्विजय की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा का काम करती है जो अपने शौक को अपने पेशे में बदलने की इच्छा रखते हैं.