कहते हैं कि जब एक औरत मां बनती है तो उसका दूसरा जन्म होता है. लेकिन अक्सर मां बनने के बाद एक औरत की पहचान उससे मानो छिन जाती है. बच्चे के लिए ज्यादातक मांएं करियर से ब्रेक लेती हैं और अगर दोबारा काम करना चाहें तो उन्हें ऐसे विकल्प नहीं मिलते जहां वे अपने बच्चे की देखभाल करते हुए काम कर सकें. चेन्नई में रहने वाली 30 वर्षीय शंकरा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ.
साल 2021 में अपने बेटे जन्म के बाद उन्होंने करियर से ब्रेक लिया. लेकिन कुछ समय बाद उन्हें लगने लगा कि सिर्फ होममेकर होने के लिए वह ओवरक्वालिफाइड हैं. क्योंकि वह घर और बच्चे को संभाल रही थीं लेकिन आर्थिक तौर पर अपने पति पर निर्भर हो गई थीं और तब उन्हें लगा कि उनकी पहचान मिट रही है. ऐसे में, उन्होंने फिर से काम करना चाहा लेकिन ऐसी कोई जॉब जिसमें वह अपने बच्चे को भी संभाल सकें.
खुद बनाई अपनी राह
हालांकि, उन्हें केवल निराशा ही मिली, क्योंकि वह कोई भी इस तरह की नौकरी नहीं ढूंढ पाईं. सोशल मीडिया पर उन्होंने और भी मांओं को देखा जो अपने करियर और मातृत्व के बीच संघर्ष कर रही थीं. तब उन्हें लगा कि वह अकेली नहीं हैं बल्कि बहुत सी मांएं है जो इस परेशानी से गुजर रही हैं. तब उन्होंने एक ऐसा मंच बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जहां मांएं अपने करियर को फइर से शुरू कर सकें, और इस तरह अगस्त 2022 में 'ओवरक्वॉलिफाइड हाउसवाइव्स' का जन्म हुआ.
चेन्नई में स्थित यह स्टार्ट-अप, कंपनियों और महिलाओं के बीच की खाई को पाटता है, खासकर कि मांएं की. शंकरा ने द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि उनका मानना है कि हर महिला सिर्फ एक गृहिणी होने के लिए ओवरक्वालिफाइड है, इसलिए उन्होंने अपने स्टार्टअप का यह नाम चुना.
चुनौतियों को पार कर मिली मंजिल
थूथुकुडी के एक गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी, शंकरा का जीवन कभी आसान नहीं रहा. उन्होंने कक्षा 10 और 12 दोनों में उच्च अंक प्राप्त किए, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए उन्हें दूर भेजना उनके परिवार के लिए एक कठिन निर्णय था. उनके माता-पिता को इस फैसले के लिए कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा. लेकिन वे अपनी बेटी के साथ खड़े रहे.
उन्होंने एमआईटी, चेन्नई से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, इंफोसिस, मैसूर में काम शुरू किया और चार साल के भीतर संगठन में एक टीम लीडर की पोस्ट तक पहुंच गईं. मैसूर में जीवन ने दुनिया को देखने के उनके नजरिए को पूरी तरह से बदल दिया. हालांकि, उनके करियर को ब्रेक उनके बेटे के जन्म के बाद लगा. पर अपने पति सुदर्शनन गणपति, जो स्वयं एक व्यवसायी हैं, के सहयोग से उन्होंने एक स्टार्ट-अप संस्थापक के रूप में अपनी यात्रा शुरू की.
1000 से ज्यादा महिलाओं ने किया रजिस्टर
अब तक 1,000 से अधिक महिलाएं उनके प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर कर चुकी हैं और 175 कंपनियां इन महिलाओं के लिए काम उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं. यह मंच महिलाओं के लिए फ्लेक्सिबल काम के घंटे देता है और उन्हें करियर गैप के बावजूद फ्रीलांसिंग जॉब और अवसर खोजने में मदद करता है. इसके अलावा, स्टार्ट-अप पंजीकरण के लिए महिलाओं से शुल्क नहीं लेता है, और काम पर रखने वाली कंपनियों से कमीशन लेकर रेवेन्यू जनरेट कर रहा है.
ओवरक्वालिफाइड हाउसवाइव्स ने बहुत सी महिलाओं के जीवन को छुआ है, उनमें से कुछ को पूरी तरह से बदल भी दिया है. ऐसी ही एक शख्सियत हैं राधा गौरीशंकर। वह एक कामकाजी मां थी, और 2009 में उनके पहले बेटे की मौत ने सब बदल दिया. इस त्रासदी ने उसे एक गहरे अवसाद में डाल दिया, और उन्होंने नौकरी छोड़ दी. लेकिन उन्हें कुछ करना था जिससे वह घर को संभालते हुए काम कर सकें और आखिरकार, ओवरक्वॉलिफाइड हाउसवाइव्स की मदद से घर से काम करने का मौका मिला.