घर पर परिवार के साथ मजा करना हो या दोस्तों के साथ कहीं ट्रेवल, कोल्डड्रिंक के साथ कुरकुरे-चिप्स खाए बिना कुछ भी पूरा नहीं होता है. लोग बैठे-बैठे कई पैकेट्स चिप्स-कुरकुरे खा लेते हैं. लेकिन खाने के मजे में हम भूल जाते हैं कि इन चिप्स के पैकेट्स, जे कचरे में जाते हैं, वे हमारे पर्यावरण के लिए कितने हानिकारक हैं.
मल्टी-लेयर प्लास्टिक से बने ये चिप्स पैकेट्स नॉन-बायोडिग्रेडेबल होते हैं, जिसका मतलब है कि इन्हें गलने में लाखों-करोड़ों साल लगेंगे. प्लास्टिक का कचरा हमेशा चिंता का कारण रहा है, लेकिन एक भारतीय कंपनी ने अब चिप्स के पैकेट्स को रिसायकल करके इनसे को धूप के चश्मे (सनग्लासेस) बनाने का एक तरीका खोज लिया है.
आशया ने किया यह इनोवेशन
पुणे की एक कंपनी आशया ने दो साल के शोध के बाद अपनी छोटी सी लैब में बड़ी सफलता हासिल की है. उन्होंने मल्टी-लेयर प्लास्टिक (एमएलपी) को डिग्रेड करने और चिप्स के पैकेटों को रीसायकल करके ट्रेंडी सनग्लासेस बनाने का एक तरीका खोज लिया, जो यूवी-पोलराइज़्ड, टिकाऊ और आरामदायक हैं.
स्टार्टअप के फाउंडर, अनीश मालपानी ने एमएलपी को धूप के चश्मे में बदलने की पूरी प्रक्रिया का खुलासा करते हुए ट्विटर पर एक वीडियो साझा किया. उन्होंने कैप्शन लिखा कि यह अब तक का सबसे मुश्किल काम रहा है. आखिर में, चिप्स के पैकेट से बना दुनिया का पहला रिसायकल्ड धूप का चश्मा पेश करते हुए, यहीं भारत में!
बदलेगी कूड़ा बीनने वालों की जिंदगी
एक अन्य पोस्ट में, मालपानी ने साझा किया कि इस तकनीक के माध्यम से, वे लचीले पैकेजिंग मटेरियल से धूप के चश्मे के अलावा कोस्टर भी बनाएंगे. सबसे दिलचस्प बात यह है कि बिक्री से अर्जित राजस्व का उपयोग कूड़ा बीनने वालों और उनके परिवारों को बेहतर जीवन देने के लिए किया जाएगा.
मालपानी ने एक अन्य पोस्ट में साझा किया कि इस मल्टी-लेयर्ड प्लास्टिक कचरे को विश्व स्तर पर लगभग 0% के साथ रिसायकल करना असंभव माना जाता है. समुद्र में 80% कचरा यह प्लास्टिक पैकेजिंग है.