देश में लाखों बच्चों का सपना होता है UPSC पास करना. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बता रहे हैं जिन्होंने UPSC पास करके सिविल सर्विस की और अब यूपीएससी के छात्रों को पढ़ा रहे हैं. यह कहानी है पूर्व IRS रवि कपूर की, जिन्होंने अपने जीवन में कई उपलब्धियां हासिल की हैं - एक बॉडीबिल्डर, पावरलिफ्टर, एक आईआरएस अधिकारी और अब लाखों यूएसपीसी परीक्षा उम्मीदवारों के लिए एक गुरु. रवि कपूर ने दस साल तक सिविल सर्विस की और उन्हें लगा कि वह एक अफसर की तुलना में लाखों युवा छात्रों की शिक्षक के रूप में ज्यादा मदद कर सकते हैं.
रवि के अनुसार, अगर वह यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में सफल हो सकते हैं, तो कोई भी ऐसा कर सकता है, और वह ऐसा करने में दूसरों की मदद करना चाहते हैं. कपूर का जन्म दिल्ली के एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था और उनके पास कोई खास शैक्षणिक उपलब्धियां नहीं थीं. वह बहुत शर्मीले बच्चे थे जिसे स्कूल में अधिक वजन के कारण परेशान किया जाता था. उनकी केवल एक चीज़ में रुचि थी- खेल. लेकिन परिवार के दबाव के कारण उन्हें इंजीनियरिंग की पढ़ाई करनी पड़ी,. हालांकि, एक साल बाद उन्हें एहसास हुआ कि यह उनके बस की बात नहीं है, इसलिए उन्होंने पढ़ाई छोड़ दी.
एक हादसे ने बदल दी किस्मत
रवि ने अपना वजन कम करने और फिटनेस के लिए पड़ोस के जिम में जाना शुरू किया, जल्द ही उन्हें बॉडीबिल्डिंग और पॉवरलिफ्टिंग में रुचि हो गई. साल 2006 में बॉडीबिल्डिंग और पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा करना शुरू किया और एशियन पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में भारत के लिए कांस्य पदक जीता. वह 2008 में मिस्टर दिल्ली भी बने, क्योंकि वह इन दो खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर रहा था.
उन्होंने भारतीय रग्बी की ओर ध्यान आकर्षित किया और 2009 में दिल्ली रग्बी क्लब के लिए खेलना शुरू किया. लेकिन एक मैच के दौरान उन्हें गंभीर चोट लग गई और वह कई महीनों तक स्थिर रहा. जैसे ही उनका करियर ख़राब होने लगा, कपूर ने एक बार फिर अपने भविष्य के बारे में सोचना शुरू कर दिया और यूपीएससी में सफल हो गए.
उनका कहना है क जब उन्होंने अपने करियर के बारे में सोचा तो वह उन्हें ज्यादा उज्जवल नहीं दिखा. उनके पास कोई कई ढंग की डिग्री नहीं थी और कोई भी उन्हें नौकरी नहीं देने वाला था. उन्होंने इस बारे में सोचना शुरू किया और जीवन में पहली बार गंभीरता से यूपीएससी की पढ़ाई शुरू की.
साल 2010 में रवि ने अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी पास कर लिया. उन्होंने अपने सिविल सेवा करियर की शुरुआत 2011 में एक आईआरएस अधिकारी के रूप में की, जो चेन्नई हवाई अड्डे पर सीमा शुल्क विभाग में तैनात थे. अपने सिविल सेवा करियर के साथ-साथ, कपूर ने पावरलिफ्टिंग के लिए भी अपना जुनून जारी रखा और 2017 में, उन्होंने ग्लोबल पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में टॉप स्थान हासिल किया.
यूपीएससी छात्रों के बने मेंटर
रवि ने बाद में 2022 में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की. उनका कहना हैकि उन्होंने देखा कि ऐसे कई लोग हो सकते हैं, जो सिविल सेवा में जाना चाहते हैं, लेकिन उचित मार्गदर्शन के अभाव में ऐसा नहीं कर पाते. इसलिए मैंने उनके लिए कुछ करने के बारे में सोचा. उन्होंने 2019 में निबंध लेखन पर एक किताब लिखी जिसे व्यापक रूप से स्वीकार किया गया, और छात्रों ने मार्गदर्शन के लिए उन्हें संपर्क करना शुरू कर दिया,.
कपूर ने कहा कि जैसे-जैसे यूपीएससी छात्र मार्गदर्शन और सलाह के लिए उनके पास आने लगे, उन्हें लगा कि यह उनकी जीवन यात्रा में एक अलग रास्ता अपनाने का समय है.
उन्होंने इंडियाटाइम्स से कहा, "मैं दस साल तक आईआरएस अधिकारी रहा और महसूस किया कि मुझे कुछ नया करने की जरूरत है जिससे मैं संतुष्ट हो सकूं और समाज को भी मदद मिल सके. मैंने अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनने का फैसला किया और यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए मेंटर बन गया।" .
छात्रों के लिए फ्री में मार्गदर्शन
अब तक रवि कपूर ने 1.4 लाख से अधिक यूपीएससी उम्मीदवारों को मुफ्त मेंटरशिप प्रदान की है, जिनमें से कई ने परीक्षा पास की है. कपूर ने कहा कि यूपीएससी उम्मीदवारों के लिए लॉन्ग टाइम कमिटमेंट, स्ट्रेस मैनेजमेंज और प्रेरित रहना महत्वपूर्ण है.
यूपीएससी के लिए आपकी कई विषयों पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए. हालांकि ज्यादातर छात्र ऐसा करने में कामयाब हो जाते हैं, लेकिन कई छात्रों के सामने एक बड़ी चुनौती यह होती है कि एक- डेढ़ साल तक कैसे बिना परिणाम के बारे में सोचे प्रेरित रहें. उनके मन में हमेशा एक डर रहता है कि अगर वे ऐसा नहीं कर पाए तो क्या होगा. ऐसे में उन्हें मोटिवेट करने का काम रवि करते हैं.
उनके मुफ्त मेंटरशिप कार्यक्रम में असाइनमेंट, कार्य, परीक्षण और दिशानिर्देश शामिल हैं जो उम्मीदवारों को उनके ईमेल पर मिलते हैं. वह असाइनमेंट की समीक्षा भी करते हैं और उनमें से सर्वश्रेष्ठ को अन्य छात्रों के लिए अपने सोशल मीडिया चैनलों पर पोस्ट करते हैं. कपूर ने कहा कि परीक्षा जितनी ज्ञान की चुनौती है, उतनी ही मानसिक चुनौती भी है.