Collar Workers: क्या है व्हाइट, ग्रीन, पिंक, ब्लू, और ग्रे कॉलर जॉब! जानिए इनके बारे में

ब्लू-कॉलर वर्कर वे होते हैं जो शारीरिक श्रम करते हैं और दिहाड़ी कमाते हैं. इसमें लेबर कैटेगरी के वर्कर जैसे वेल्डर, मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन, माइनिंग, खेती-किसानी, मिस्त्री का काम करने वाले वर्कर शामिल होते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग काम करते समय नीली कॉलर वाली शर्ट पहनते हैं.

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gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST

आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि वो शख्स ब्लू कॉलर जॉब करता है... या कोई खुद को व्हाइट कॉलर जॉब वाला बताता है. अलग-अलग सेक्टर्स में जॉब करने वालों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा जाता है. लेकिन क्या आपने सोचा है जॉब के लिए इन अलग-अलग रंगों का इस्तेमाल क्यों किया जाता है?  चलिए जानते हैं किस जॉब को किस रंग के साथ जोड़ा जाता है.

ब्लू-कॉलर वर्कर: ब्लू-कॉलर वर्कर वे होते हैं जो शारीरिक श्रम करते हैं और दिहाड़ी कमाते हैं. इसमें लेबर कैटेगरी के वर्कर जैसे वेल्डर, मैकेनिक, इलेक्ट्रीशियन, माइनिंग, खेती-किसानी, मिस्त्री का काम करने वाले वर्कर शामिल होते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग काम करते समय नीली कॉलर वाली शर्ट पहनते हैं. कुछ ब्लू-कॉलर जॉब्स में शारीरिक रूप से थका देने वाले काम करने पड़ते हैं. 

व्हाइट-कॉलर वर्कर: इसमें ऑफिस में काम करने वाले वो प्रोफेशनल्स शामिल होते हैं. इसमें ज़्यादा स्किल्ड लोग काम करते हैं और इन्हें हर महीने क्षमता के अनुसार हर महीने सैलरी मिलती है. इसमें ज्यादातर सूट और टाई वाले प्रोफेशनल्स होते हैं, जिनके शर्ट की कॉलर व्हाइट होती है. इसलिए इनकी जॉब व्हाइट-कॉलर कैटेगरी में आती है. इन्हें शारीरिक तौर पर मेहनत नहीं करनी पड़ती. इनमें ज्यादातर 9-5 वाले जॉब्स वाले लोग शामिल होते हैं.

गोल्ड-कॉलर वर्कर: इसका उपयोग ज्यादा कुशल लोगों के लिए किया जाता है जो किसी कंपनी के लिए बहुत जरूरी होते हैं. इन्हें जरूरत से ज्यादा क्वालिफाई माना जाता है क्योंकि इनकी डिमांड बहुत ज्यादा होती है. जैसे, पायलट, वकील, डॉक्टर, वैज्ञानिक, आदि.

ओपन कॉलर वर्कर: इसमें ऐसे कर्मचारी आते हैं जो WFH करते हैं. अब कई कंपनियां ऐसी जॉब ऑफर कर रही हैं, जिसे घर से ही किया जा सकता है. देश में ऐसे कर्मचारियों की संख्या में इजाफा हुआ है.

ग्रे-कॉलर वर्कर: ये जॉब उन लोंगों के लिए होती है जिन्हें व्हाइट या ब्लू-कॉलर में शामिल नहीं किया गया है. इसमें ज्यादातर रिटायरमेंट के बाद काम करने वाले लोग होते हैं. अग्निशामक, पुलिस अधिकारी, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर, सुरक्षा गार्ड, आदि. टॉप 3 ग्रे-कॉलर जॉब्स एयरलाइन पायलट, फायर फाइटर और पैरालीगल हैं

ग्रीन-कॉलर वर्कर: ग्रीन कॉलर जॉब में ऐसे लोग शामिल होते हैं सोलर पैनल, ग्रीन पीस और दूसरे एनर्जी सोर्स से जुड़े काम करते हैं. 

पिंक-कॉलर वर्कर: इस जॉब में लाइब्रेरियन, रिसेप्शनिस्ट जैसी कम वेतन वाली नौकरियों में काम करने वाले लोग होते हैं. इसे परंपरागत रूप से महिलाओं का काम माना जाता है और अक्सर कम वेतन मिलता है.

स्कार्लेट-कॉलर वर्कर: पॉर्न इंडस्ट्री में काम करने वाले पुरुष और महिलाओं के ये जॉब रेफर किया जाता है.

 

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