उत्तराखंड के इस गांव में आज से कुछ समय पहले लोग रहने के लिए ही तैयार नहीं थे, लेकिन आज यहां से शहरों की ओर जाने वाले युवाओं ने भी रिवर्स गियर डाल लिया है. ऐसा इसलिए क्योंकि पूरे बागेश्वर जिले में 300 होम स्टे हैं. जिसमें से 30 होम स्टे लिथि गांव के हैं.
उत्तराखंड के पूरे कुमाऊं क्षेत्र में इस गांव की पहचान होम स्टे से है. खास बात यह है कि पूरे गांव में होम स्टे के देखरेख का जिम्मा महिलाओं के जिम्मे हैं. यहां पर महिलाएं ही होम स्टे का ज्यादातर ध्यान रखती हैं.
कमाई के साधन का विकल्प नहीं
गांव के लोग बताते हैं कि कुछ साल पहले लोग गांव छोड़कर जाने लगे थे, ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि गांव पहाड़ियों के बीच होने के कारण लोगों के पास कुछ ज्यादा कमाई के साधन का विकल्प नहीं था. फिर कोरोना के बाद स्थितियां और बिगड़ती गई. ऐसे में गांव वालों ने गांव के प्रधान के साथ बैठक में निर्णय लिया कि गांव छोड़कर जाना समस्या का समाधान नहीं हो सकता और इसी बैठक में निष्कर्ष ये रहा कि सभी ने तय किया कि वे अपने घरों को ही होम स्टे में तब्दील करेंगे.
हिमालय नजर आता है
आपको बता दें कि लिथी गांव एक ऐसी पहाड़ पर स्थित है, जहां से हिमालय साफ-साफ नजर आता है. बस इसलिए यहां पर ज्यादा से ज्यादा सोलो ट्रेवलर्स और पर्यटक आते हैं.
इस गांव की महिलाएं बताती हैं कि इस होम स्टे में पूरी तरह से लोगों का ध्यान रखा जाता है. खान-पान से लेकर उनके रहने की व्यवस्था हम ही करते हैं. जब लोग यहां पर आते हैं तब उन्हें पारंपरिक पहाड़ी खाना भी खिलाया जाता है.
इंटरनेशनल टूरिस्ट आते हैं
गांव के प्रधान चामू सिंह बताते हैं कि यहां पर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक , आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और देश के कोने-कोने से लोग आते हैं. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इंटरनेशनल टूरिस्ट भी यहां पर आते हैं.
ज्यादातर इंटरनेशनल टूरिस्ट रूस से आते हैं. वे जब भी यहां पर आते हैं वे हर बार यह बात कहते हैं कि शायद धरती पर इससे सुंदर जगह और कोई नहीं है. गांव के प्रधान बताते हैं कि पूरे गांव वालों का सपना ही है कि ज्यादा से ज्यादा गांव के लोग होम स्टे की इस मुहिम में शामिल हों और प्रयास ही ऐसी महिलाओं को जितना हो सके उतना आत्मनिर्भर बनाएं.