पानी की एक-एक बूंद को तरस रहा मध्यप्रदेश का मालवा जिला, तीन किमी. दूर से पानी ला रहे लोग

गांव की ही रहने वाली एक लड़की पूनम जिसका विवाह पिछले साल ही हुआ है मगर पहली गर्मी ने ही इसे कई किलोमीटर दूर से पानी लाने के लिए मजबूर कर दिया है. पूनम और उसका परिवार पानी को लेकर काफी परेशानियां उठा रहा है. पूनम के सामने बड़ा संकट यह है कि परिवार के बच्चों को भी पालना है तो पानी लाकर परिवार के लिए भोजन भी बनाना है ताकि वो समय पर काम करने जा सके.

Water Crisis
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 29 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 5:07 PM IST
  • कई किलोमीटर दूर लेने जाते हैं पानी
  • गांव में हैं बहुत कम हैंडपंप

गर्मी का मौसम अभी पूरे जोर पर आया नहीं है मगर पानी की समस्या ने गांवो को घेर लिया है. गांवो के हालत ऐसे हो गए हैं कि पीने का पानी भी कई किलोमीटर दूर से लाना पड़ रहा है. ऐसे में गर्मी जब अपने शबाब पर होगी तब यह संकट और भी गहरा जायेगा.

कई किलोमीटर दूर लेने जाते हैं पानी
गांव की ही रहने वाली एक लड़की पूनम जिसका विवाह पिछले साल ही हुआ है मगर पहली गर्मी ने ही इसे कई किलोमीटर दूर से पानी लाने के लिए मजबूर कर दिया है. पूनम और उसका परिवार पानी को लेकर काफी परेशानियां उठा रहा है. पूनम के सामने बड़ा संकट यह है कि परिवार के बच्चों को भी पालना है तो पानी लाकर परिवार के लिए भोजन भी बनाना है ताकि वो समय पर काम करने जा सके. आगर जिले के पलड़ा गांव मे फिलहाल हाल ऐसे ही हैं जहां के अधिक्तर ग्रामीण मजदूरी से ही अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. साथ ही खेती बाड़ी का काम करते हैं. भीषण गर्मी की शुरुआत में गांव के सभी पेयजल स्रोत सूख चुके हैं. मजबूरीवश ग्रामीणों को पेयजल व्यवस्था के लिए मजदूरी और काम पर जाने से पहले दो तीन किमी दूर पानी लेने जाने को मजबूर होना पड़ रहा है. गांव में एक सहकारी कुंआ भी है जिसमें पानी खत्म हो गया है. इस कुंए में भी लोगों ने अपनी-अपनी मोटर लगाई हुई है. 

गांव में हैं बहुत कम हैंडपंप
आगर जिला मुख्यालय से 8 किलोमीटर दूर ग्राम पलड़ा है, जहां करीब 400 से अधिक घर हैं और जनसंख्या करीब 2500 है. यहां अधिक्तर ग्रामीण अपने परिवार का पालन पोषण मजदूरी या खेती बाड़ी से होने वाली आय से ही करते आ रहे हैं. गांव में पेयजल के नाम पर कुछ हैंडपंप हैं जो गर्मी में जल स्तर कम होने से हर वर्ष की तरह इस बार भी सूख चुके हैं. कुछ हैंडपम्प तो दिसंबर माह तक दम तोड़ दिया करते है. ऐसे में ग्रामीणों को लगातार कई वर्षों से 6 माह तक जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में यहां के ग्रामीण पानी की व्यवस्था के लिए मजदूरी पर जाने से पहले पानी की व्यवस्था के लिए सुबह 5 बजे से ही जाग कर हाथों में पानी के बर्तन लिए गांव से 1-2 किलोमीटर दूर जाते हैं. 

कुछ ग्रामीणों ने अपने खेतों पर कुएं के पानी से इन ग्रामीणों के लिए पानी की व्यवस्था भी है. ऐसा नहीं है कि शासन ने यहां नाकाम कोशिश नही की. जिले में ऐसे एक दो गांव नहीं हैं जहां पानी का संकट गहराता है बल्कि रोजाना, सेमली, देवली सहित कई ऐसे गांव हैं जहां जल संकट अभी से अपने पांव पसार चुका है. 


 

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