हिंदुओं को राम-राम, मुस्लिमों को सलाम... फांसी पर लटकाने से पहले मुजरिम के कान में जल्लाद ये कहता है

जल्लाद अपनी मजबूरी समझाते हुए कैदी के कान में कहता है के-"हिंदुओं को राम-राम, मुस्लिमों को सलाम. मैं अपने फ़र्ज़ के आगे मजबूर हूँ. मैं आपके सत्य की राह में चलने की कामना करता हूँ.

What does the executioner say in ears of criminal before hanging
नाज़िया नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 04 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 3:50 PM IST
  • फांसी के दौरान कुछ नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है.
  • फांसी का लीवर खींचने से पहले जल्लाद, अपराधी के कान में कुछ कहता है

जब भी हमारे देश में किसी को फांसी की सजा दी गई है, वह चर्चा में रही है. बता दें कि भारत में जब कोई अपराधी बड़ा जुर्म करता है तब ही उसे फांसी की सजा दी जाती है. तय दिन और तय समय के अलावा भी फांसी देते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है. और इन नियमों का पालन करने में सबसे बड़ी भूमिका जल्लाद की होती है. जल्लाद ही अपराधी को फांसी पर लटकाता है. फांसी पर लटकाने से पहले जल्लाद अपराधी के कान में कुछ बोलता भी है . आज हम आपको बता रहे हैं कि फांसी से ठीक पहले जल्लाद मुजरिम के कान में क्या कहता है....

फांसी से पहले क्या होता है?

किसी भी मुजरिम को फांसी पर लटकाने से पहले जल्लाद कैदी के वजन का ही पुतला लटकाकर ट्रायल करता है और उसके बाद फांसी देने वाली रस्सी का ऑर्डर दिया जाता है. दोषी के परिजनों को 15 दिन पहले ही सूचना दे दी जाती है कि वो आखिर बार कैदी से मिल सकें.

नियमों का ध्यान रखना जरूरी

किसी भी अपराधी को फांसी देने से पहले नियमों का पालन करना जरूरी होता है. बता दें कि फांसी की रस्सी के साथ फांसी का समय, सबकुछ पहले से तय होता है. इन सभी नियमों का पालन करना बेहद ही जरूरी होता है. 

लीवर खींचने से पहले अपराधी के कान में जल्लाद कहता है ये बात 

बता दें कि फांसी के दौरान जल्लाद चबूतरे से जुड़ा लीवर खींचता है. इस लीवर को खींचने से पहले वह अपराधी के कान में बोलता है ’मुझे माफ कर दो. ’ इसके अलावा अगर अगर अपराधी हिन्दू होता है तो जल्लाद उसे ’राम-राम’ बोलता है  अगर अपराधी मुस्लिम है जल्लाद उसके कान में ’सलाम’ बोलता है. 

यह भी कहता है जल्लाद

इसके अलावा फांसी से पहले जल्लाद अपराधी के कान में अपना फर्ज याद दिलाता है. जल्लाद अपराधी से आगे कहता है कि हम कुछ नहीं कर सकते हैं, हम हुकुम का पालन कर रहे हैं,  इतना कहकर जल्लाद फांसी का फंदा खींच देता है. बता दें कि फांसी के वक्त जेल अधीक्षक, जल्लाद, एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट और डॉक्टर मौजूद रहते है.अगर इन चारों में से अगर कोई एक नहीं रहता है, तो फांसी की सजा रोक दी जाती है. 

फांसी के दिन क्या-क्या होता है?

  • फांसी वाले दिन कैदी को नहलाया जाता है और उसे नए कपड़े पहनने को दिए जाते हैं. 
  • सुबह-सुबह जेल सुप्रीटेंडेंट की निगरानी में गार्ड कैदी को फांसी कक्ष में लाते हैं. 
  • फांसी के वक्त जल्लाद के अलावा तीन अधिकारी मौजूद रहते हैं. 
  • ये तीन अफसर जेल सुप्रीटेंडेंट, मेडिकल ऑफिसर और मजिस्ट्रेट होते हैं. 
  • सुप्रीटेंडेंट फांसी से पहले मजिस्ट्रेट को बताते हैं कि कैदी की पहचान हो गई है और उसे डेथ वॉरंट पढ़कर सुना दिया गया है. 
  • डेथ वॉरंट पर कैदी के साइन कराए जाते हैं.
  • फांसी देने से पहले कैदी से उसकी आखिरी इच्छा पूछी जाती है.
  • कैदी की वही इच्छाएं पूरी की जाती हैं, जो जेल मैनुअल में होती हैं. 
  • फांसी देते वक्त सिर्फ जल्लाद ही दोषी के साथ होता है.    
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