म्यूचुअल डिवोर्स लेने की प्रक्रिया क्या है? क्या सहमति से तलाक में भी देनी पड़ती है एलिमनी?

फेमस सिंगर जो जोनस और गेम ऑफ थ्रोन्स की एक्ट्रेस सोफी टर्नर ने तलाक लेने का फैसला किया है. दोनों ने अपनी 4 साल पुरानी शादी तोड़ दी है. दोनों स्टार्स ने सोशल मीडिया पर तलाक की खबर को कंफर्म करते हुए लिखा है कि वे आपसी सहमति से इस रिश्ते को खत्म कर रहे हैं.

sophie turner joe jonas
gnttv.com
  • नई दिल्ली,
  • 08 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 6:19 PM IST

फेमस सिंगर जो जोनस और गेम ऑफ थ्रोन्स की एक्ट्रेस सोफी टर्नर ने तलाक लेने का फैसला किया है. दोनों ने अपनी 4 साल पुरानी शादी तोड़ दी है. दोनों स्टार्स ने सोशल मीडिया पर तलाक की खबर को कंफर्म करते हुए लिखा है कि वे आपसी सहमति से इस रिश्ते को खत्म कर रहे हैं. साल 2019 में शादी के बाद सोफी और जो जुलाई 2020 में अपने पहले बच्चे के माता-पिता बने थे. बेटी विला के जन्म के दो साल बाद कपल के घर 2022 में फिर से बेटी का जन्म हुआ था.

आइए जानते हैं म्यूचुअल डिवोर्स क्या है और क्या इसमें एलfमनी की मांग की जा सकती है...

भारत में सभी धार्मिक समूहों के हैं अपने मैरिज एक्ट
अगर शादी अच्छी नहीं चल रही है तो तलाक का ऑप्शन हमेशा सभी कपल के पास होता है. तलाक तब होता है जब दो वयस्कों के बीच शादी का रिश्ता खत्म हो जाता है. भारत में तलाक के लिए अलग-अलग धार्मिक समूहों पर अलग-अलग कानून लागू होते हैं. हिंदू (सिख, जैन और बौद्ध सहित) हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 का पालन करते हैं, जबकि ईसाई भारतीय तलाक अधिनियम, 1869 और भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 का पालन करते हैं. मुसलमानों के पास तलाक के लिए अपने व्यक्तिगत कानून हैं. 

म्यूचुअल तरीके से हो सकता है तलाक 
म्यूचुअल डिवोर्स शादी खत्म करने का एक शांतिपूर्ण तरीका है. जब पति और पत्नी दोनों स्वेच्छा से अलग होने के लिए सहमत होते हैं तो उसे म्यूचुअल डिवोर्स कहा जाता है. कंटेस्टेंट डिवोर्स की तुलना में यह एक सभ्य और कम मुश्किल प्रक्रिया है, जिसमें कानूनी लड़ाई शामिल होती है. आपसी सहमति से जो तलाक होते हैं वो ज्यादा जल्दी और लागत प्रभावी होते है. म्यूचुअल  डिवोर्स में समय, ऊर्जा, धन की बचत होती है. 

क्या है म्यूचुअल डिवोर्स का प्रोसेस
आपसी सहमति से जो तलाक होता है उसमें, दोनों पति-पत्नी मेंटेनेंस, गुजारा भत्ता या बच्चे की कस्टडी जैसे नियमों और शर्तों पर एक मत बनाते हैं और उसपर सहमत होते हैं. हिंदू विवाह अधिनियम, 1955, और विशेष विवाह अधिनियम, 1954 के तहत, कपल को तलाक के लिए आवेदन करने से पहले अलग होने की तारीख से कम से कम एक साल तक इंतजार करना होता है. इस दौरान उन्हें पति-पत्नी की तरह नहीं बल्कि अलग-अलग रहना होता है. हालांकि वे एक ही घर में रह सकते हैं. 


एलिमनी को लेकर क्या हैं नियम?
तलाक का एक सबसे जरूरी पहलू होता है रख रखाव या गुजारा भत्ता. ये तलाक के बाद एक पति या पत्नी द्वारा दूसरे को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता है. परिस्थितियों के हिसाब से इसे सेटल किया जाता है. ये पति अपनी पत्नी से और पत्नी अपने पति से मांग कर सकता है. गुजारा भत्ता की राशि आम तौर पर पति-पत्नी के बीच आपसी समझौते से निर्धारित होती है.

अदालतें आमतौर पर इस एलिमनी प्रोसेस में हस्तक्षेप नहीं करती हैं. हालांकि, अगर कोई विवाद होता है तो अदालत इस दौरान दी जाने वाली राशि का आकलन कर सकती है.


गुजारा भत्ता कैसे होता है निर्धारित? 

-भुगतान करने वाले पति या पत्नी की आर्थिक स्थिति कैसी है.

-भरण-पोषण चाहने वाले जीवनसाथी की जरूरतें.

-भरण-पोषण चाहने वाले पति या पत्नी की इनकम. 

कई मामलों में, अदालतें आदेश देती हैं कि पति की इनकम या पत्नी की इनकम का एक-चौथाई हिस्सा भरण-पोषण के लिए दिया जाए. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया फैसले में गुजारा भत्ता पति या पत्नी के वेतन का 25% तय किया था.

 

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