आपने आखिरी बार कौन सा जानवर (Animal) देखा था? क्या आपको उसका रंग और आकार याद हैं? क्या आप उसे दूसरे जानवरों से अलग पहचान सकते हैं? ऐसा ही कुछ सवाल पेड़-पौधों (Plants) को लेकर पूछा जा सकता है. आपने जो आखिरी पौधा देखा था उसके बारे में क्या ख्याल है?
क्या होती है प्लांट ब्लाइंडनेस
बेशक आप जानवरों के बारे में पहले बता पाएंगे क्योंकि आप उसके बारे में जानते हैं, लेकिन पेड़ पौधों तक आते-आते आप बताने में थोड़ा वक्त लेंगे. बस इसे ही प्लांट ब्लाइंडनेस (Plant Blindness) कहते हैं. यानी कि लोग अपनी व्यस्त दिनचर्या के चलते कई-कई दिनों तक पेड़-पौधों को नोटिस ही नहीं करते.. या उन्हें अनदेखा करते हैं. पौधों से संबंधित गतिविधियों से लोग धीरे-धीरे दूर होते जा रहे हैं.
क्यों मायने रखता है प्लांट ब्लाइंडनेस
कई ऐसे लोग ऐसे भी हैं जो अपनी बालकनी में रखे पौधे के नाम तक नहीं जानते. अगर आप पौधों के प्रति संवेदनशील नहीं हैं तो फिर आप प्लांट ब्लाइंडनेस के शिकार माने जाएंगे. पर्यावरण के लिए पौधों का संरक्षण मायने रखता है लेकिन यह इंसानों के स्वास्थ्य के लिए भी मायने रखता है.
शहरी लोग प्लांट ब्लाइंडनेस के शिकार
प्लांट ब्लाइंडनेस पर नए अध्ययन में बताया गया है कि इसकी वजह प्रकृति से दूर होना है लेकिन पेड़-पौधों के बीच जाकर और जंगल-बगीचों में समय बिताकर प्लांट ब्लाइंडनेस को कम किया जा सकता है. शहरों में रहने वाले लोग प्लांट ब्लाइंडनेस का शिकार ज्यादा रहे हैं. रिसर्च के मुताबिक लोग पहले जितना समय पेड़ पौधों के साथ बिताते थे अब वह उतना समय जानवरों के साथ बिताना पसंद करते हैं. यहां तक कि लोगों में जैवविविधता को लेकर जागरूकता भी बेहद कम रह गई है.
अगर आप भी प्लांट ब्लाइंडनेस के शिकार होना नहीं चाहते तो घर जाइए और बालकनी में रखे पौधों को गौर से देखिए...उनके बारे में जानिए पढ़िए...इससे आप प्रकृति के और करीब जाएंगे.